पटना: राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने गुरुवार को एक बयान जारी करते हुए केंद्र सरकार की ओर से बुधवार को पेश किए गए बजट (union budget of india ) पर प्रतिक्रिया दी है. शिवानंद तिवारी ने कहा कि मोदी सरकार का बजट भविष्य की चिंता कम करने के बदले बढ़ाने वाला है. उन्होंने कहा कि मोदी जी ने पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं दिया, वे बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दे देंगे, इसकी उम्मीद रखना खुद को भूल में डालने वाला है.
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राज्यों को ऊपर उठाने की योजना नहींः बिहार-झारखंड जैसे निचले पायदान पर खड़े राज्यों को ऊपर उठाने की कोई योजना इस बजट में नहीं है. ऐसा नहीं है कि मोदी सरकार देश के हालात से नावाकिफ हैं. देश की 81 फीसद से ज़्यादा लोगों को केंद्र सरकार प्रति माह पांच किलो मुफ़्त राशन दे रही है. अभी प्रधानमंत्री ने इसी योजना को लेकर दावा किया था कि मैंने किसी के चूल्हे को बुझने नहीं दिया. देश की खेती घाटे में है. किसानों की हालत बुरा है. इसको मोदी सरकार क़ुबूल करती है, इसलिए सरकार 2018 के दिसंबर महीने से किसान सम्मान योजना चला रही है. इस योजना के तहत तीन किस्तों में प्रत्येक किसान को छः हज़ार रुपये सालाना दिए जा रहे हैं.
बेरोजगारी के संकट से जूझ रहा देशः शिवानंद तिवारी ने कहा कि देश बेरोजगारी के संकट से जूझ रहा है, लेकिन देश की इस चुनौती का मुक़ाबला करने का कोई गंभीर प्रयास इस बजट में दिखाई नहीं दे रहा है. आश्चर्यजनक है कि जिस मनरेगा योजना ने संकट काल में करोड़ों श्रमिकों को सहारा दिया, उस योजना में 2022-23 के 78 हज़ार करोड़ रुपये के मुक़ाबले राशि घटा कर 60 हज़ार करोड़ रुपये कर दिया गया. बाज़ार में खाद के मूल्य में अच्छी ख़ासी वृद्धि हुई है. अनाज महंगा हुआ है, लेकिन सरकार ने खाद में मिलने वाली रियायत (सब्सिडी) को बढ़ाने के बदले घटा दी है. खाद्यान्नों में मिलने वाली रियायत भी 2022-23 के 2.87 लाख रुपये के मुक़ाबले 1.97 लाख रुपये कर दिया गया है. इन सबका नतीजा होगा कि किसानों की खेती महंगी होगी, अन्न और महंगा होगा.
बेरोज़गारी दूर करने का प्रयास नहीं: शिवानंद तिवारी ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने कुछ दिन पहले अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुसलमानों को भाजपा से जोड़ने का प्रयास करने की सलाह दी थी. इसलिए उम्मीद थी कि अल्पसंख्यकों के उत्थान की चल रही योजनाओं में वृद्धि होगी लेकिन बजट में मामला उलटा ही नज़र आ रहा है. अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट में 2022-23 के मुक़ाबले 2023-24 में 38 फ़ीसद की कटौती कर दी गई है. मेरिट छात्रवृत्ति, हुनर योजना, तकनीकी पढ़ाई में पिछले बजट में आवंटन 365 करोड़ रुपये से घटा कर 44 करोड़ रुपया कर दिया गया है. बजट में बेरोज़गारी दूर करने की कोशिश नहीं दिखाई दे रही है.