पटना: बिहार की राजधानी पटना के एनएमसीएच के लापता डाॅक्टर संजय कुमार की (NMCH missing doctor Sanjay Kumar) बरामदगी को लेकर बॉलीवुड के नामी-गिरामी कलाकार शेखर सुमन ने पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है. पटना पहुंचने पर ईटीवी भारत से खास बातचीत में फिल्म स्टार शेखर सुमन ने पुलिस की जांच पर सीधे तौर पर तो सवाल नहीं उठाया, लेकिन इशारों में 22 दिन बीत जाने का हवाला देते हुए निशाना साधा है.
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शेखर सुमन के बहनोई हैं डाॅक्टर संजयः शेखर सुमन ने कहा है कि वह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर पूरी वस्तु स्थिति से अवगत कराते हुए डॉक्टर संजय कुमार की सकुशल बरामदगी की दिशा में मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग भी करेंगे. बताते चलें कि एनएमसीएच के फार्माकोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ संजय कुमार रिश्ते में शेखर सुमन के बहनोई लगते हैं. डॉक्टर संजय की पत्नी प्रोफेसर सलोनी शेखर सुमन की चचेरी बहन है. शेखर सुमन ने कहा कि 22 दिन हो गए हैं और डॉक्टर संजय अब तक लापता हैं और पुलिस कोई सुराग नहीं मिला है.
"22 दिन हो गए हैं और डॉक्टर संजय अब तक लापता हैं और पुलिस कोई सुराग नहीं मिला है. परिवार के सदस्य विभिन्न पहलुओं पर चिंता कर रहे हैं, लेकिन कोई भी ठोस डायरेक्शन नहीं निकल रहा है. जहां तक आत्महत्या करने का सवाल उठ रहा है, उन्हें यकीन है कि वह आत्महत्या नहीं कर सकते.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर पूरी वस्तु स्थिति से अवगत कराते हुए डॉक्टर संजय कुमार की सकुशल बरामदगी की दिशा में मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग करूंगा" - शेखर सुमन, बाॅलीवुड कलाकार
केस का कोई निष्कर्ष निकलना जरूरीः उन्होंने कहा कि परिवार के सदस्य विभिन्न पहलुओं पर चिंता कर रहे हैं, लेकिन कोई भी ठोस डायरेक्शन नहीं निकल रहा है. जहां तक आत्महत्या करने का सवाल उठ रहा है, उन्हें यकीन है कि वह आत्महत्या नहीं कर सकते. परिवार में अच्छा माहौल था, 35 वर्ष का शादीशुदा जीवन था. दोनों बच्चे शिक्षा में बेहतर कर रहे हैं, परिवार में बातचीत के दौरान तनाव या डिप्रेशन कभी नजर नहीं आया. एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर कभी सवाल नहीं बन रहा, क्योंकि किसी ने उन्हें किसी और के साथ देखा नहीं, मोबाइल में ऐसा कोई चैट नहीं है, ना ही कोई फोटो है.
साधु-महात्मा बनने की भी लोग कर रहे बातः शेखर सुमन ने यहां तक कहा कि कोई कह रहा है कि साधु महात्मा बन गए, तो ऐसा भी नहीं हो सकता. क्योंकि अगर कोई व्यक्ति साधु महात्मा बन रहा होता तो उसके विचार भी पूर्व से इस प्रकार के दिखने लगते हैं. कोई फिलोसॉफिकल बातें नहीं, कोई आध्यात्मिक बातें नहीं, बातचीत रहन-सहन में कोई बदलाव नहीं, किसी से झगड़ा भी नहीं किसी से किसी प्रकार का कोई खतरा भी नहीं, ऐसे में आखिर डॉक्टर संजय कहां चले गए इस बात से पूरा परिवार बहुत चिंतित है.
शुरुआती जांच में हुई है लापरवाहीः शेखर सुमन ने कहा कि पुलिस की जांच में शुरू में लापरवाही हुई है, लेकिन उसके बाद पुलिस अपना काम कर रही है. परंतु अभी तक पुलिस भी कोई डायरेक्शन में नहीं आ पाई है. ऐसे में परिवार के सभी सदस्य चाहते हैं कि इस केस का कोई ना कोई निष्कर्ष निकले. वह इस मुद्दे को लेकर के आज मीडिया से मुखातिब हो रहे हैं, क्योंकि वह चाहते हैं कि इस केस का हल हो और यह केस बिना हल हुए क्लोज ना हो जाए. पुलिस से अगर जांच नहीं हो पा रही है तो और बेहतर एजेंसियों को जांच सौंप देना चाहिए.
पूरा परिवार CBI से जांच करवाना चाहता हैः शेखर सुमन ने कहा कि पूरा परिवार अब इस मामले की सीबीआई जांच कराने की इच्छा प्रकट कर रहा है. उन्होंने कहा कि वह इस मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से मिलने की कोशिश करेंगे और पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग करेंगे. शेखर सुमन ने कहा कि इस केस में कई पहलू हैं, जिस पर जांच होनी चाहिए. डॉ संजय जिस दिन लापता हुए हैं, उसके ठीक 7 दिन पहले से उनके ऑफिस का सीसीटीवी फुटेज गायब है. स्वास्थ विभाग कहता है कि उन्हें कहीं जांच के लिए नहीं भेजा गया. जबकि इस संबंध में उनके पास पत्र मौजूद है कि उन्हें जांच के लिए भेजा गया है. परिवार को बता कर निकलते हैं कि जांच के लिए जा रहे हैं, लेकिन जांच के लिए जाते नहीं है.
आत्महत्या का बात पच नहीं रहीः परिवार को बता कर जाते हैं कि दूसरे गाड़ी से जाना है और फिर अपनी गाड़ी से जाते हैं. लगभग 7:45 बजे के करीब से वह लापता हैं, लेकिन उनका मोबाइल का गूगल एक्टिविटी बता रहा है कि रात 12:10 बजे तक मोबाइल से एक्टिविटी हुई है. डॉ संजय फार्मोकोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष थे और बेहतर जानकार थे, ऐसे में अगर उन्हें खुदखुशी भी करनी होती तो सरल तरीके से कोई दवा बनाकर के खा लेते, लंबी दूरी पैदल चलकर पुल से छलांग लगाने जैसी योजना परिवार को पच नहीं रही. क्योंकि वह तनाव में बिल्कुल नहीं थे.
पुल का सीसीटीवी फुटेज संदेहास्पदः शेखर ने कहा कि अगर पुल से कूदते भी तो 7:45 बजे रात को गांधी सेतु पुल पर पीक समय होता है, गाड़ियों की काफी भीड़ रहती है और कोई ना कोई जरूरी उन्हें देख लेता. गंगा में कूदे होते तो बॉडी भी मिल जाती, लेकिन जिस प्रकार से रहस्यमय ढंग से गायब हुए हैं और आसपास सीसीटीवी कैमरा भी नहीं है जो उन्हें देख पाई है. यह अपने आप में रहस्य है. गांधी सेतु पुल से नजदीक निजी कंस्ट्रक्शन कंपनी के सीसीटीवी कैमरे से थोड़ी बहुत तस्वीर कैप्चर हुई है जो संदेहास्पद है कि आखिर वह डॉक्टर संजय है कि कोई और है. इस पूरे मामले में जितना रहस्य है यह परिवार को चिंतित कर रहा है. उनकी बहन का रो रो कर बुरा हाल है. वह चाहते हैं कि हर हाल में इस केस का कुछ निष्कर्ष निकले और वह समझते हैं कि इस मामले को अब सीबीआई को सौंप देना चाहिए.