पटना: बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय में भेड़ बकरी प्रदर्शनी सह गोष्टी कार्यक्रम का आयोजन (Sheep Goat Exhibition Program Organized) किया गया. बुधवार को हुए कार्यक्रम में राज्य के कई जिलों से किसान अपनी भेड़-बकरियां लेकर पहुंचे थे. कार्यक्रम में पशु चिकित्सा महाविद्यालय के द्वारा पशुपालकों को भेड़ और बकरी के पालन से कैसे रोजगार बढ़ेंगे और आमदनी अच्छी होगी इसकी जानकारी दी गई. इसके अलावा बकरी के दूध से बने उत्पादों की भी प्रदर्शनी लगाई गई. साथ ही यहां किसानों को बताया गया कि बकरी के दूध की विशेषता क्या है और कौन से उत्पाद कैसे बनाए जाते हैं.
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भेड़ बकरी प्रदर्शनी में 10 भेड़ और 125 बकरिया विभिन्न नस्ल की लाई गई थी. वही भेड़ का एकमात्र नस्ल शाहाबादी नस्ल था. राजा बाजार से आए हुए पशुपालन अजमत अली ने बताया कि वह तोता पड़ी प्रजाति की बकरियां पालते हैं. जिसमें बकरा बहुत तेजी में बड़ा होता है और बकरी एक बार में डेढ़ लीटर तक दूध देती है. वह इस दूध का घर में ही सेवन करते हैं और कई बार जब डेंगू पीड़ित मरीज आते हैं तो उन्हें उसे बेचते हैं. उन्होंने बताया कि बकरी का दूध 400 से ₹500 किलो बिकता है.
वहीं, फुलवारी शरीफ से आए हुए मोहम्मद सोनू ने बताया कि उनके पास ब्लैक बंगाल प्रजाति के बकरे और बकरियां हैं. यह बकरी की प्रजाति अधिक दूध नहीं देती, सिर्फ अपना बच्चा पालने लायक दूध देती है. इसलिए इसका पालन मांस के व्यापार के उद्देश्य से किया जाता है. इसका मांस अन्य प्रजातियों में सबसे स्वादिष्ट होता है और इसके मांस का एक्सपोर्ट भारत से विदेशों में भी किया जाता है. यह बकरी साल में दो बार बच्चे देती है और एक बार में दो से तीन बच्चे देती है. इसलिए बकरियां बच्चे पैदा करने के लिए रखे जाते हैं और बकरे मांस के लिए बेचे जाते हैं.
बिहार वेटरनरी कॉलेज के परीक्षण के उपनिदेशक डॉ. पंकज कुमार ने बताया कि भेड़ और बकरी प्रदर्शनी सह गोष्ठी कार्यक्रम के आयोजन के माध्यम से किसानों को बताया जा रहा है कि किस प्रकार भेड़ और बकरी के पालन के माध्यम से अपने आमदनी को बढ़ा सकते हैं और किस प्रकार इसकी बड़े और छोटे लेवल पर प्रोडक्शन की जा सकती है. उन्होंने बताया कि बिहार का एकमात्र अपना नस्ल का भेड़ है और वह है शाहाबादी नस्ल का भेड़, यह साल में दो से ढाई किलो ऊन दे देता है और 32 से 35 किलो उनका वजन होता है. ऐसे में इनका मीट भी अच्छे दर पर बिकता है और नार्थ ईस्ट में और सेना के कैंपों में इनका एक्सपोर्ट भी होता है.
डॉ. पंकज कुमार ने बताया कि बकरी पालन के लिए किसानों को यहां दूध के उत्पादन के बजाए बकरी पालन के लिए इसलिए प्रेरित किया जा रहा है ताकि वहीं के मांस का व्यापार बड़े पैमाने पर कर सकें. बकरी के मांस के बिजनेस परपस से जो लोग बकरी पालन करना चाहते हैं. उन्हें सलाह दिया जाता है कि ब्लैक बंगाल लिया इसके क्रॉस का पालन करें, क्योंकि यह अधिक फायदेमंद होता है. इस ब्रीड की बकरी साल में दो बार बच्चे पैदा करती है और एक बार में दो से 3 बच्चे पैदा करती है. उन्होंने बताया कि इसके अलावा दक्षिण बिहार का जो इलाका है वह भेड़ बकरी पालन करने के लिए काफी सुयोग्य है. ऐसे में किसान इस क्षेत्र में आकर अपने आमदनी को बढ़ा सकते हैं. भेड़ पालन और बकरी पालन के लिए सरकार की तरफ से कई सारी योजनाएं चल रही हैं.
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