पटना: बिहार में नई शिक्षक नियमावली आने के बाद से ही विवादों में है. लगातार शिक्षक व शिक्षक अभ्यर्थी इसका विरोध कर रहे हैं. इसी कड़ी में पूर्व सांसद व बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने नई शिक्षक नियमावली को शिक्षकों के सम्मान के खिलाफ बताते हुए कहा है कि बिहार सरकार शिक्षकों के साथ अन्याय कर रही है. उन्होंने कहा कि नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली के तहत बीपीएससी के माध्यम से शिक्षकों की परीक्षा ली जाएगी, तो सरकार सुन ले कि शिक्षक किसी परीक्षा से डरने वाले नहीं हैं. शिक्षक का जीवन ही परीक्षा लेना और उत्तर पुस्तिकाओं की जांच करना, स्वयं उनकी परीक्षा ही होती है.
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शिक्षक को सरकार दुश्मन समझ रही: शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि रोज-रोज शिक्षकों की गुणवत्ता पर जो शंका जाहिर करते हैं. वह किसी प्रकार से कोई गुणवत्ता नहीं रखते हैं. शिक्षक को सरकार दुश्मन समझ रही है और इसी से बदला लेने के लिए बार-बार गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर रही है. बीपीएससी की परीक्षा क्वालीफाई कर कई शिक्षक अधिकारी बने, लेक्चरर बने. आज शिक्षक बनने के 17 साल बाद शिक्षकों की परीक्षा लेकर सरकार शिक्षकों की छंटनी करना चाहती है. आप आईएएस, आईपीएस और मुख्यमंत्री बन गए तो इसका मतलब यह नहीं कि आप बहुत अधिक काबिल है. सरकार समझ ले कि शिक्षकों ने ही उन्हें पैदा किया है और उनके खुराफात को भलीभांति समझते हैं.
"बिहार सरकार शिक्षकों के साथ अन्याय कर रही है.नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली के तहत बीपीएससी के माध्यम से शिक्षकों की परीक्षा ली जाएगी, तो सरकार सुन ले कि शिक्षक किसी परीक्षा से डरने वाले नहीं हैं. शिक्षक का जीवन ही परीक्षा लेना और उत्तर पुस्तिकाओं का जांच करना, स्वयं उनकी परीक्षा ही होती है. शिक्षक को सरकार दुश्मन समझ रही है और इसी से बदला लेने के लिए बार-बार गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर रही है. बीपीएससी की परीक्षा क्वालीफाई कर कई शिक्षक अधिकारी बने, लेक्चरर बने. आज शिक्षक बनने के 17 साल बाद शिक्षकों की परीक्षा लेकर सरकार शिक्षकों की छंटनी करना चाहती है" - शत्रुघ्न प्रसाद सिंह, महासचिव, बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ
प्रोन्नति के लिए लें विभागीय परीक्षाः शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि 17 साल बाद सरकार परीक्षा लेकर शिक्षकों की फिर से नई नियुक्ति करेगी और जो नया वेतनमान तय किया गया है. उससे काफी अधिक वेतन तो वर्तमान में शिक्षक प्राप्त कर ही रहे हैं. वह सभी शिक्षक सरकारी वेतनमान की सरकार से मांग कर रहे हैं. समान कार्य का समान वेतन की मांग कर रहे हैं और राज्य कर्मी का दर्जा मांग रहे हैं. सरकार ध्यान से सुन ले कि शिक्षक परीक्षा से नहीं डर रहे. शिक्षकों की प्रोन्नति रुकी हुई है. 1961 के शिक्षा संहिता का संस्करण है उसके अनुसार प्रधानाध्यापक के लिए विभागीय परीक्षा होती थी. अन्य विभागों में भी पदोन्नति के लिए विभागीय परीक्षा होती है. सरकार से वह कहेंगे कि बीपीएससी से परीक्षा लेने की बजाय विभागीय परीक्षा का प्रावधान करें.
एक स्कूल में भांति-भांति के शिक्षक: बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली लाकर पूरे देश में प्रदेश के शिक्षक समाज को कलंकित करने की साजिश रची गई है. देश में ऐसी शिक्षा संरचना कहीं नहीं है, एक ही विद्यालय में भांति भांति के शिक्षक हैं, कोई टीईटी पास है, कोई एसटीइटी पास है कोई बिटेट पास है और अब एक नया हो जाएगा लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास शिक्षक और फेल शिक्षक.
शिक्षकों को चाहिए सरकारी वेतनमानः शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री कहते हैं आकर्षक वेतनमान दिया जाएगा, लेकिन शिक्षकों को आकर्षक वेतनमान नहीं चाहिए बल्कि सरकारी वेतनमान चाहिए. सरकारी वेतनमान तय करने के लिए राज्य सरकार एक आयोग गठित करता है. इसमें बड़े-बड़े विशेषज्ञ बैठते हैं और देश की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए वेतनमान का निर्धारण होता है और इसको लेकर रिपोर्ट सरकार को दी जाती है. जिसे सरकार को पालन करना होता है. उन्होंने कहा कि इस नई नियमावली के विरोध में कल मजदूर दिवस के मौके पर वह लोग पूरे प्रदेश में प्रखंड स्तर पर अपना विरोध दर्ज कराएंगे और जिला में जाकर जिलाधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन सौंपेंगे. उनकी एक ही मांग है कि बिना शर्त सरकार शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा दे और सरकारी वेतनमान शिक्षकों के लिए तय करे. वह अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने के लिए चार बार पत्र दे चुके हैं लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया है.