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Prohibition In Bihar: पूर्ण शराबबंदी के लिए कड़े कानून में हुए कई संशोधन, सरकार ने कई बार लिया यू-टर्न

पूर्वी चंपारण में हुए शराब से कई लोगों की मौत के बाद बिहार की राजनीति एक बार फिर से गरम हो गई है. विपक्ष द्वारा सत्ता पक्ष के खिलाफ लगातार हमला किया जा रहा है. मोतिहारी शराब कांड के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराब से मरने वालों के पीड़ितों के लिए चार लाख रुपये मुआवजे का भी ऐलान किया है. इसको लेकर भी बीजेपी सरकार पर लगातार निशाना साध रही है.

बिहार में शराबबंदी पर सियासत
बिहार में शराबबंदी पर सियासत
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Published : Apr 18, 2023, 10:35 PM IST

बिहार में शराबबंदी पर सियासत

पटना: बिहार में पूर्ण शराबबंदी (Complete Prohibition In Bihar) अप्रैल 2016 से लागू है. शराबबंदी को सफल बनाने के लिए सरकार ने कड़े कानून लाए हैं. लेकिन बगैर पूर्व तैयारियों के कानून लाने के चलते सरकार को कई बार पीछे हटना पड़ा और सिलसिला अनवरत जारी है. कई बार शराबबंदी कानून में संशोधन से सवाल उठ रहे हैं. नीतीश सरकार की ओर से शराबबंदी कानून को लागू करने के लिए कठोर नियम बनाए गए. नियम ऐसे बनाए गए थे कि पूरे बिहार में कानून का खौफ था. लोगों की संपत्ति तक जब्त करने की बात कानून में समाहित की गई थी.

ये भी पढ़ें- Bihar Hooch Tragedy: विपक्ष को रास नहीं आ रहा मुआवजे की प्रक्रिया, बोले- 'यह काफी पेचीदा है'

शराबबंदी पर सियासत: शुरुआती दौर में कानून में यह समाहित किया गया था कि जहां कहीं भी शराब पकड़ी जाएगी. सरकार उस जगह को जब्त कर लेगी. सरकार के इस कानून का लोगों ने फायदा उठाना शुरू किया और सरकारी जमीन पर शराब का सेवन धड़ल्ले से शुरू कर दिया गया. सरकार के सामने चुनौती आ गई कि सरकारी संपत्ति को कैसे जब्त की जाए. सरकार को इस कानून में तत्काल संशोधन करना पड़ा.

शराबबंदी कानून में संशोधन: में बिहार विधानसभा के मानसून सत्र में एक और संशोधन लाया गया. संशोधन के तहत अगर पहली बार शराब पीने पर गिरफ्तारी होती है तो वैसे स्थिति में उसे जमानती करार दे दिया गया. इसके अलावा सार्वजनिक जुर्माने के प्रावधान को भी खत्म कर दिया गया. बिहार में शराब का धंधा करने वालों को मिलने वाली सजा को भी कम किया गया. 10 साल की सजा को कम कर 5 साल कर दिया गया. वहीं दूसरी तरफ शराब पीते हुए पकड़े जाने पर मिलने वाली न्यूनतम सजा को 5 साल से कम कर 3 महीने करने की बात कही गई.

लगातार कार्रवाई कर रही सरकार: किसी परिवार द्वारा दखल किए गए जगह या मकान में कोई मादक द्रव्य शराब पाया जाता है या उपयोग किया जाता है, तो 18 वर्ष से अधिक उम्र वाले परिवार के सभी सदस्य को दोषी मानने वाले शब्द को भी कानून से हटा दिया गया. बिहार के जेलों में जब शराब से जुड़े मामलों के आरोपियों के बाढ़ आ गई, तब सरकार ने एक और फरमान जारी किया. इसमें कहा गया कि पीने वालों के बजाय शराब के व्यवसाय करने वालों को सरकार पकड़ेगी.

शराब से मरने वालो के पीड़ितों को मिलेगा मुआवजा: 31 मार्च 2022 को विधानसभा में संशोधन विधेयक लाया गया. जिसके तहत शराब पीने पर पहली बार पकड़े जाने पर 5000 रुपये जुर्माना और 30 दिनों के कारावास की सजा का प्रावधान किया गया. अगर वही व्यक्ति दूसरी बार शराब पीते पकड़ा गया, तो 1 साल के कारावास की सजा का प्रावधान किया गया. सरकार ने एक और संशोधन लाने का काम किया. जिसके तहत जहरीली शराब पीकर मरने वालों के परिजनों को मुआवजे की राशि दी जाएगी. नीतीश कुमार इस बात पर अड़े थे कि जहरीली शराब पीकर मरने वालों को मुआवजा नहीं दिया जाएगा. लेकिन चौतरफा दबाव के बाद मुख्यमंत्री राहत कोष से मृतक के परिजनों को 4 लाख रुपये देने की घोषणा की गई.

शराबबंदी पर बीजेपी का सीएम नीतीश पर हमला: एक के बाद एक संशोधन को लेकर सरकार विपक्ष के निशाने पर है. भाजपा प्रवक्ता विनोद शर्मा ने कहा है कि, शराबबंदी कानून की हवा निकल गई है. अब सरकार एक के बाद एक संशोधन ला रही है. ऐसा लगता है कि राजद के दबाव में नीतीश कुमार धीरे-धीरे शराबबंदी कानून को तिलांजलि देने वाले हैं.

"बिहार में सख्ती से शराबबंदी कानून लागू किया जा रहा है. भाजपा शासित राज्यों में शराबबंदी लागू नहीं है, फिर भी वहां जहरीली शराब से मौत होती है. जनहित को देखते हुए सरकार ने मुआवजे का ऐलान किया है."- अभिषेक झा, जदयू प्रवक्ता

"सरकार को इसलिए बार-बार संशोधन करने पड़ रहे हैं. क्योंकि शराबबंदी कानून लाने के पहले सरकार ने होमवर्क नहीं किया. कायदे से कानून लाने से पहले कई अस्त्रों पर विमर्श होना चाहिए. जिस तरीके से आनन-फानन में कानून लाया जाता है, उससे संशोधन की गुंजाइश बनी रहती है."- शिवपूजन झा, वरिष्ठ पत्रकार

बिहार में शराबबंदी पर सियासत

पटना: बिहार में पूर्ण शराबबंदी (Complete Prohibition In Bihar) अप्रैल 2016 से लागू है. शराबबंदी को सफल बनाने के लिए सरकार ने कड़े कानून लाए हैं. लेकिन बगैर पूर्व तैयारियों के कानून लाने के चलते सरकार को कई बार पीछे हटना पड़ा और सिलसिला अनवरत जारी है. कई बार शराबबंदी कानून में संशोधन से सवाल उठ रहे हैं. नीतीश सरकार की ओर से शराबबंदी कानून को लागू करने के लिए कठोर नियम बनाए गए. नियम ऐसे बनाए गए थे कि पूरे बिहार में कानून का खौफ था. लोगों की संपत्ति तक जब्त करने की बात कानून में समाहित की गई थी.

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शराबबंदी पर सियासत: शुरुआती दौर में कानून में यह समाहित किया गया था कि जहां कहीं भी शराब पकड़ी जाएगी. सरकार उस जगह को जब्त कर लेगी. सरकार के इस कानून का लोगों ने फायदा उठाना शुरू किया और सरकारी जमीन पर शराब का सेवन धड़ल्ले से शुरू कर दिया गया. सरकार के सामने चुनौती आ गई कि सरकारी संपत्ति को कैसे जब्त की जाए. सरकार को इस कानून में तत्काल संशोधन करना पड़ा.

शराबबंदी कानून में संशोधन: में बिहार विधानसभा के मानसून सत्र में एक और संशोधन लाया गया. संशोधन के तहत अगर पहली बार शराब पीने पर गिरफ्तारी होती है तो वैसे स्थिति में उसे जमानती करार दे दिया गया. इसके अलावा सार्वजनिक जुर्माने के प्रावधान को भी खत्म कर दिया गया. बिहार में शराब का धंधा करने वालों को मिलने वाली सजा को भी कम किया गया. 10 साल की सजा को कम कर 5 साल कर दिया गया. वहीं दूसरी तरफ शराब पीते हुए पकड़े जाने पर मिलने वाली न्यूनतम सजा को 5 साल से कम कर 3 महीने करने की बात कही गई.

लगातार कार्रवाई कर रही सरकार: किसी परिवार द्वारा दखल किए गए जगह या मकान में कोई मादक द्रव्य शराब पाया जाता है या उपयोग किया जाता है, तो 18 वर्ष से अधिक उम्र वाले परिवार के सभी सदस्य को दोषी मानने वाले शब्द को भी कानून से हटा दिया गया. बिहार के जेलों में जब शराब से जुड़े मामलों के आरोपियों के बाढ़ आ गई, तब सरकार ने एक और फरमान जारी किया. इसमें कहा गया कि पीने वालों के बजाय शराब के व्यवसाय करने वालों को सरकार पकड़ेगी.

शराब से मरने वालो के पीड़ितों को मिलेगा मुआवजा: 31 मार्च 2022 को विधानसभा में संशोधन विधेयक लाया गया. जिसके तहत शराब पीने पर पहली बार पकड़े जाने पर 5000 रुपये जुर्माना और 30 दिनों के कारावास की सजा का प्रावधान किया गया. अगर वही व्यक्ति दूसरी बार शराब पीते पकड़ा गया, तो 1 साल के कारावास की सजा का प्रावधान किया गया. सरकार ने एक और संशोधन लाने का काम किया. जिसके तहत जहरीली शराब पीकर मरने वालों के परिजनों को मुआवजे की राशि दी जाएगी. नीतीश कुमार इस बात पर अड़े थे कि जहरीली शराब पीकर मरने वालों को मुआवजा नहीं दिया जाएगा. लेकिन चौतरफा दबाव के बाद मुख्यमंत्री राहत कोष से मृतक के परिजनों को 4 लाख रुपये देने की घोषणा की गई.

शराबबंदी पर बीजेपी का सीएम नीतीश पर हमला: एक के बाद एक संशोधन को लेकर सरकार विपक्ष के निशाने पर है. भाजपा प्रवक्ता विनोद शर्मा ने कहा है कि, शराबबंदी कानून की हवा निकल गई है. अब सरकार एक के बाद एक संशोधन ला रही है. ऐसा लगता है कि राजद के दबाव में नीतीश कुमार धीरे-धीरे शराबबंदी कानून को तिलांजलि देने वाले हैं.

"बिहार में सख्ती से शराबबंदी कानून लागू किया जा रहा है. भाजपा शासित राज्यों में शराबबंदी लागू नहीं है, फिर भी वहां जहरीली शराब से मौत होती है. जनहित को देखते हुए सरकार ने मुआवजे का ऐलान किया है."- अभिषेक झा, जदयू प्रवक्ता

"सरकार को इसलिए बार-बार संशोधन करने पड़ रहे हैं. क्योंकि शराबबंदी कानून लाने के पहले सरकार ने होमवर्क नहीं किया. कायदे से कानून लाने से पहले कई अस्त्रों पर विमर्श होना चाहिए. जिस तरीके से आनन-फानन में कानून लाया जाता है, उससे संशोधन की गुंजाइश बनी रहती है."- शिवपूजन झा, वरिष्ठ पत्रकार

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