पटना: बिहार कर्मचारी चयन आयोग (BSSC) के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सुधीर कुमार (Senior IAS officer Sudhir Kumar) मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जालसासी मामले में एफआईआर दर्ज करवाने के लिए शनिवार को पटना के एससी-एसटी थाना पहुंचे थे. पहले तो उन्हें थानाध्यक्ष से मुलाकात करने के लिए काफी इंतजार करना पड़ा. फिर करीब चार से पांच घंटों के इंतजार के बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं की गई है.
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"बारह बजे से चार बज गया है, लेकिन अब तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई है. हमें सिर्फ एक रिसिप्ट दे दिया गया है और कहा गया है कि एफआईआर बाद में दर्ज करेंगे. यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित अन्य कई अफसरों पर जालसाजी और झूठा कागजात बनाने का मामला है. दारोगा जी कह रहे हैं कि अंग्रेजी में लिखा होने के कारण हमें समझ में नहीं आ रहा है. नीचे से उपर तक के लोगों के नाम हैं. बिना एफआईआर लिखे हम नाम का उजागर नहीं करेंगे, लेकिन मुख्यमंत्री का भी नाम इसमें है." सुधीर कुमार, वरिष्ठ आईएएस अधिकारी
इसके साथ ही वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वो बीते 5 मार्च को भी शास्त्री नगर थाने में इसी मामले को लेकर एफआईआर दर्ज करवाने गए थे. उस दौरान एसएसपी उपेन्द्र कुमार शर्मा और डीएसपी राजेश कुमार प्रभाकर भी मौजूद थे. न तो उस वक्त उनकी एफआईआर दर्ज की गई थी, और न ही अब दर्ज की गई है. आरटीआई के जरिए इस मामले की तलब उच्च अधिकारियों से की गई तो भी इसका जवाब प्रशासनिक अधिकारियों ने नहीं दिया.
बता दें कि सुधीर कुमार के BSSC अध्यक्ष रहते हुए 2014 में इंटर स्तरीय संयुक्त परीक्षा का पेपर लीक हुआ था, जिस मामले में 2017 में इनको निलंबित करते हुए गिरफ्तार किया गया था. इन्हें तीन वर्ष से अधिक की सजा भी हुई थी. सुधीर कुमार 1988 बैच के आईएएस अधिकारी रहे हैं. बीएसएससी के अलावा वह गृह विभाग के प्रधान सचिव की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं. फिलहाल वह सामान्य प्रशासन विभाग में मुख्य जांच आयुक्त के पद पर नियुक्त हैं.
बता दें कि बीएसएससी (BSSC) प्रथम संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा 2014 के लिए आवेदन शुरू की गई थी. इस परीक्षा के लिए लगभग 18 लाख अभ्यार्थियों ने आवेदन दिया था. यह परीक्षा 2016 में आयोजित की गई थी. लेकिन पेपर लीक होने से परीक्षा को रद्द कर 2018 में 8, 9 और 10 दिसंबर को आयोजित कराई गई थी. वहीं परीक्षा रिजल्ट 14 फरवरी 2020 में घोषित किया गया था.
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