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सरकारी बाबुओं के पहनावे पर नीतीश का पहरा, अब जींस और टीशर्ट में नहीं आ सकेंगे ऑफिस - जींस और टीशर्ट

सचिवालय कर्मियों का ड्रेस कोड 1952 से ही तय है. चतुर्थवर्गीय कर्मियों के लिए भी एक खास रंग का परिधान लागू है. आईएएस अधिकारियों समेत अन्य पदाधिकारियों के लिए भी खास मौकों के लिए विशेष ड्रेस कोड निर्धारित किया गया है.

सरकारी बाबू
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Published : Aug 30, 2019, 3:32 PM IST

पटनाः नीतीश कुमार की सरकार ने सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए एक बड़ी घोषणा की है. अब सरकारी दफ्तरों में कोई भी कर्मी जींस और टीशर्ट में नहीं दिखेंगे. इसकी अधिसूचना सामान्य प्रशासन विभाग ने जारी कर दी है. बता दें कि सामान्य प्रशासन विभाग नीतीश कुमार के पास ही है.

विभाग द्वारा जारी चिट्ठी में कहा गया है कि
- कार्यालय संस्कृति के विरुद्ध कैजुअल परिधान में कार्यालय आना गरिमा के प्रतिकूल है.
- समान प्रशासन विभाग पटना में पदस्थापित सभी पदाधिकारी कर्मचारी को निर्देश देता है कि कार्यालय में औपचारिक प्रधान यानी फॉर्मल ड्रेस वह भी सम्मेलन में पहन कर कार्यालय आए.
- कार्य की प्रकृति एवं अवसर के अनुरूप ही परिधान पहन कार्यालय में आए. कार्यालय में अनौपचारिक परिधान जैसे जींस और टीशर्ट आदि नहीं पहने.

पटना
पटना सचिवालय


...ताकि कर्मचारियों के बीच रहे एकरुपता
दरअसल, सचिवालय और अन्य कार्यालयों में काम करने वाले कर्मचारी शर्ट और पैंट की जगह जींस-टीशर्ट में ज्यादा दिखने लगे थे. जिसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने कर्मचारियों पर इन कपड़ों को पहनने को लेकर रोक लगा दिया है. बताया जा रहा है कि इस आदेश के पीछे का मकसद कर्मचारियों के बीच एकरूपता और अनुशासन बनाए रखना है. वहीं, कुछ कर्मियों का मानना है कि सचिवालय में पिछले कुछ वर्षों में हजारों की तादात में युवाओं की बहाली हुई है, जिसके कारण सरकार समय-समय पर ऐसा आदेश निकालती रहती है.

कर्मचारियों का बयान

1952 से ही लागू है ड्रेस कोड
बताया जाता है कि सचिवालय कर्मियों का ड्रेस कोड 1952 से ही तय है, लेकिन लागू करने के स्तर पर लापरवाही बरते जाने की वजह से कर्मी इसका ध्यान नहीं रखते हैं. सचिवालय में चतुर्थवर्गीय कर्मियों के लिए भी एक खास रंग का परिधान लागू है. आइएएस अधिकारियों समेत अन्य पदाधिकारियों के लिए भी खास मौकों के लिए विशेष ड्रेस कोड निर्धारित किया गया है. लेकिन इसे अमल में नहीं लाया जाता है.

पटनाः नीतीश कुमार की सरकार ने सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए एक बड़ी घोषणा की है. अब सरकारी दफ्तरों में कोई भी कर्मी जींस और टीशर्ट में नहीं दिखेंगे. इसकी अधिसूचना सामान्य प्रशासन विभाग ने जारी कर दी है. बता दें कि सामान्य प्रशासन विभाग नीतीश कुमार के पास ही है.

विभाग द्वारा जारी चिट्ठी में कहा गया है कि
- कार्यालय संस्कृति के विरुद्ध कैजुअल परिधान में कार्यालय आना गरिमा के प्रतिकूल है.
- समान प्रशासन विभाग पटना में पदस्थापित सभी पदाधिकारी कर्मचारी को निर्देश देता है कि कार्यालय में औपचारिक प्रधान यानी फॉर्मल ड्रेस वह भी सम्मेलन में पहन कर कार्यालय आए.
- कार्य की प्रकृति एवं अवसर के अनुरूप ही परिधान पहन कार्यालय में आए. कार्यालय में अनौपचारिक परिधान जैसे जींस और टीशर्ट आदि नहीं पहने.

पटना
पटना सचिवालय


...ताकि कर्मचारियों के बीच रहे एकरुपता
दरअसल, सचिवालय और अन्य कार्यालयों में काम करने वाले कर्मचारी शर्ट और पैंट की जगह जींस-टीशर्ट में ज्यादा दिखने लगे थे. जिसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने कर्मचारियों पर इन कपड़ों को पहनने को लेकर रोक लगा दिया है. बताया जा रहा है कि इस आदेश के पीछे का मकसद कर्मचारियों के बीच एकरूपता और अनुशासन बनाए रखना है. वहीं, कुछ कर्मियों का मानना है कि सचिवालय में पिछले कुछ वर्षों में हजारों की तादात में युवाओं की बहाली हुई है, जिसके कारण सरकार समय-समय पर ऐसा आदेश निकालती रहती है.

कर्मचारियों का बयान

1952 से ही लागू है ड्रेस कोड
बताया जाता है कि सचिवालय कर्मियों का ड्रेस कोड 1952 से ही तय है, लेकिन लागू करने के स्तर पर लापरवाही बरते जाने की वजह से कर्मी इसका ध्यान नहीं रखते हैं. सचिवालय में चतुर्थवर्गीय कर्मियों के लिए भी एक खास रंग का परिधान लागू है. आइएएस अधिकारियों समेत अन्य पदाधिकारियों के लिए भी खास मौकों के लिए विशेष ड्रेस कोड निर्धारित किया गया है. लेकिन इसे अमल में नहीं लाया जाता है.

Intro:नीतीश कुमार ने सुबह में काम करने वाले बाबूओ जींस और टीशर्ट पहनने पर रोक लगा दिया है। इसकी अधिसूचना समान प्रशासन विभाग ने जारी कर दी है। दरअसल सचिवालय और अन्य कार्यालयों में काम करने वाले कर्मचारी शर्ट पैंट की जगह जींस और टीशर्ट का उपयोग ज्यादा करते दिखने लगे थे।
जिसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने कर्मचारियों को इन कपड़ों के पहनने पर रोक लगा दिया है।



Body:सामान्य प्रशासन विभाग नीतीश कुमार के पास ही है। विभाग द्वारा जारी की गई चिट्ठी में लिखा गया है कि

" कार्यालय संस्कृति के विरुद्ध कैजुअल परिधान में कार्यालय आना गरिमा के प्रतिकूल है "
"समान प्रशासन विभाग पटना में पदस्थापित सभी पदाधिकारी कर्मचारी को निर्देश देता है कि कार्यालय में औपचारिक प्रधान यानी फॉर्मल ड्रेस वह भी सम्मेलन में पहन कर कार्यालय आए"
" कार्य की प्रकृति एवं अवसर के अनुरूप हैं परिधान पहन कार्यालय में आये।कार्यालय में अनौपचारिक परिधान जैसे जींस और टीशर्ट आदि नहीं पहने"



Conclusion: इस आदेश के पीछे का मकसद कर्मचारियों के बीच एकरूपता और अनुशासन बनाए रखना माना जा रहा है। कुछ वरिष्ठ सचिवालय कर्मी का मानना है कि पिछले कुछ वर्षों में हजारों ने युवा सचिवालय सेवा में बहाल हुए हैं जिसके कारण सरकार समय-समय पर या आदेश निकालती है।
सचिवालय कर्मियों का ड्रेस कोड 1952 से ही लागू है। सरकार के इस आदेश का सभी सचिवालय कर्मी स्वागत कर रहे हैं।
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