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बिहार विस चुनाव 2020: NDA में सीट शेयरिंग को लेकर फंसेगा पेंच! क्या कहते हैं ये आंकड़े?

नीतीश कुमार 2005 से लेकर 2010 तक हमेशा 140 विधानसभा सीट के आसपास लड़ते रहे हैं. लेकिन इस बार परिस्थितियां बदली हुई हैं. ऐसे में न केवल विधानसभा सीट बल्कि कुल सीटों की संख्या को लेकर भी मुश्किल आएगी.

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Published : Sep 13, 2019, 11:59 PM IST

पेश है खास रिपोर्ट

पटना: बिहार में होने वाले 2020 विधानसभा चुनाव में जेडीयू, बीजेपी और एलजेपी के बीच कई सीटों पर पेंच फंस सकता है. 2015 में आरजेडी और कांग्रेस के साथ चुनावी मैदान में उतरे नीतीश कुमार का ऐसी सीटों पर कब्जा है, जो पहले बीजेपी के पास थीं. वहीं, बीजेपी ने भी जेडीयू की परंपरागत सीटों पर कब्जा कर रखा है. नीतीश कुमार 2005 से लेकर 2010 तक हमेशा 140 विधानसभा सीट के आसपास लड़ते रहे हैं. लेकिन इस बार परिस्थितियां बदली हुई हैं. ऐसे में न केवल विधानसभा सीट बल्कि कुल सीटों की संख्या को लेकर भी मुश्किल आएगी.

यदि लोकसभा चुनाव परिणाम की बात करें तो विपक्ष के कई बड़े दिग्गज भी विधानसभा चुनाव हारते दिख रहे हैं. लेकिन जदयू और बीजेपी के साथ लोजपा के बीच भी सीट बंटवारे में अब पेंच फंस सकता है. 2 दर्जन से अधिक सीटें ऐसी हैं. जिस पर जेडीयू और बीजेपी दोनों की दावेदारी होगी. राजधानी पटना की ही बात करें तो दीघा सीट पर हमेशा जदयू का कब्जा रहा है लेकिन अभी बीजेपी के उम्मीदवार वहां से जीते हैं. इसी तरह कई सीटों पर बीजेपी और जदयू दोनों का दबदबा है, तो इसको लेकर भी सीट शेयरिंग का पेंच फंस सकता है.

पेश है खास रिपोर्ट

क्या कहते हैं जेडीयू और बीजेपी नेता
हालांकि, बीजेपी-जेडीयू दोनों के नेता कह रहे हैं कि इस मामले को साथ बैठकर सुलझा लिया जाएगा. जेडीयू प्रवक्ता निखिल मंडल का कहना है कि 2015 में जब आरजेडी के साथ चुनाव लड़े थे, तब हमारे पास 117 विधायक थे. लेकिन हमने 101 सीट पर चुनाव लड़ा. अभी लोकसभा में बीजेपी के पास 22 सांसद थे. लेकिन बीजेपी ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ना स्वीकारा. इसी तरह आगे भी एनडीए में चीजों को तय किया जाएगा. वहीं, बीजेपी विधान पार्षद नवल यादव ने कहा कि पार्टी जो तय करेगी, वही होगा और कोई झंझट नहीं होने वाली है.

  • तेजस्वी यादव को इस बार जनता पानी पिला-पिलाकर हराएगी- जेडीयू https://t.co/ZtVkrciRbX

    — ETV Bharat Bihar (@etvbharatbihar) September 13, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

एक नजर 2005 और 2010 विस चुनाव पर

  • 2010 में जदयू 141 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 115 जीती थी.
  • बीजेपी ने 102 सीटों में से 91 पर जीत हासिल की थी.
  • 243 में से 206 सीटें एनडीए गठबंधन ने जीती थी.
  • 2005 में फरवरी में जो पहली बार चुनाव हुए थे, तो उसमें जदयू 138 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और बीजेपी 103 सीटों पर.
  • 2005 में ही अक्टूबर में फिर से जब चुनाव हुए तो उसमें जेडीयू 140 सीटों पर चुनाव लड़ी, जिसमें से 88 सीटों पर जीती.
  • इसी चुनाव में बीजेपी 102 सीटों में से 55 सीटों पर जीती.
  • वहीं, रामविलास पासवान की पार्टी 203 सीटों पर चुनाव लड़कर केवल 10 सीटें ही जीत पाई थी.

अब स्थितियां बदल गई हैं. बीजेपी किसी कीमत पर जदयू से कम सीट पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं होने वाली है. ऐसे में देखना दिलचस्प है नीतीश कुमार की क्या रणनीति होगी.

पटना: बिहार में होने वाले 2020 विधानसभा चुनाव में जेडीयू, बीजेपी और एलजेपी के बीच कई सीटों पर पेंच फंस सकता है. 2015 में आरजेडी और कांग्रेस के साथ चुनावी मैदान में उतरे नीतीश कुमार का ऐसी सीटों पर कब्जा है, जो पहले बीजेपी के पास थीं. वहीं, बीजेपी ने भी जेडीयू की परंपरागत सीटों पर कब्जा कर रखा है. नीतीश कुमार 2005 से लेकर 2010 तक हमेशा 140 विधानसभा सीट के आसपास लड़ते रहे हैं. लेकिन इस बार परिस्थितियां बदली हुई हैं. ऐसे में न केवल विधानसभा सीट बल्कि कुल सीटों की संख्या को लेकर भी मुश्किल आएगी.

यदि लोकसभा चुनाव परिणाम की बात करें तो विपक्ष के कई बड़े दिग्गज भी विधानसभा चुनाव हारते दिख रहे हैं. लेकिन जदयू और बीजेपी के साथ लोजपा के बीच भी सीट बंटवारे में अब पेंच फंस सकता है. 2 दर्जन से अधिक सीटें ऐसी हैं. जिस पर जेडीयू और बीजेपी दोनों की दावेदारी होगी. राजधानी पटना की ही बात करें तो दीघा सीट पर हमेशा जदयू का कब्जा रहा है लेकिन अभी बीजेपी के उम्मीदवार वहां से जीते हैं. इसी तरह कई सीटों पर बीजेपी और जदयू दोनों का दबदबा है, तो इसको लेकर भी सीट शेयरिंग का पेंच फंस सकता है.

पेश है खास रिपोर्ट

क्या कहते हैं जेडीयू और बीजेपी नेता
हालांकि, बीजेपी-जेडीयू दोनों के नेता कह रहे हैं कि इस मामले को साथ बैठकर सुलझा लिया जाएगा. जेडीयू प्रवक्ता निखिल मंडल का कहना है कि 2015 में जब आरजेडी के साथ चुनाव लड़े थे, तब हमारे पास 117 विधायक थे. लेकिन हमने 101 सीट पर चुनाव लड़ा. अभी लोकसभा में बीजेपी के पास 22 सांसद थे. लेकिन बीजेपी ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ना स्वीकारा. इसी तरह आगे भी एनडीए में चीजों को तय किया जाएगा. वहीं, बीजेपी विधान पार्षद नवल यादव ने कहा कि पार्टी जो तय करेगी, वही होगा और कोई झंझट नहीं होने वाली है.

  • तेजस्वी यादव को इस बार जनता पानी पिला-पिलाकर हराएगी- जेडीयू https://t.co/ZtVkrciRbX

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एक नजर 2005 और 2010 विस चुनाव पर

  • 2010 में जदयू 141 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 115 जीती थी.
  • बीजेपी ने 102 सीटों में से 91 पर जीत हासिल की थी.
  • 243 में से 206 सीटें एनडीए गठबंधन ने जीती थी.
  • 2005 में फरवरी में जो पहली बार चुनाव हुए थे, तो उसमें जदयू 138 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और बीजेपी 103 सीटों पर.
  • 2005 में ही अक्टूबर में फिर से जब चुनाव हुए तो उसमें जेडीयू 140 सीटों पर चुनाव लड़ी, जिसमें से 88 सीटों पर जीती.
  • इसी चुनाव में बीजेपी 102 सीटों में से 55 सीटों पर जीती.
  • वहीं, रामविलास पासवान की पार्टी 203 सीटों पर चुनाव लड़कर केवल 10 सीटें ही जीत पाई थी.

अब स्थितियां बदल गई हैं. बीजेपी किसी कीमत पर जदयू से कम सीट पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं होने वाली है. ऐसे में देखना दिलचस्प है नीतीश कुमार की क्या रणनीति होगी.

Intro:पटना-- 2020 विधानसभा चुनाव ने जदयू और बीजेपी के साथ लोजपा के बीच कई सीटों पर पेंच फंस सकता है। 2015 में नीतीश कुमार के आरजेडी और कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ने के कारण ऐसी कई सीटें हैं जो पहले बीजेपी के पास थी अब उनके पास है उनके उम्मीदवार वहां से जीते हुए हैं तो वहीं बीजेपी के पास भी ऐसी कई सीटें हैं जो पहले जदयू के पास हुआ करते थे। यही नहीं नीतीश कुमार 2005 से लेकर 2010 तक हमेशा 140 विधानसभा सीट के आसपास लड़ते रहे हैं लेकिन इस बार परिस्थितियां बदली हुई है ऐसे में न केवल विधानसभा सीट बल्कि कुल सीटों की संख्या को लेकर भी मुश्किल आएगी ।
पेश है खास रिपोर्ट---


Body: यदि लोकसभा चुनाव परिणाम की बात करें तो विपक्ष के कई बड़े दिग्गज भी विधानसभा चुनाव हारते दिख रहे हैं लेकिन जदयू और बीजेपी के साथ लोजपा के बीच भी सीट बंटवारे में अब पेंच फंस सकता है क्योंकि 2 दर्जन से अधिक सीट ऐसे हैं जिस पर जदयू और बीजेपी दोनों की दावेदारी होगी। राजधानी पटना की ही बात करें दीघा सीट पर हमेशा जदयू का कब्जा रहा है लेकिन अभी बीजेपी के उम्मीदवार वहां से जीते हैं। इसी तरह कई सीट हैं बीजेपी और जदयू दोनों तरफ से दाबे होंगे।
हालांकि बीजेपी जदयू दोनों के नेता कह रहे हैं सभी मामले को मिल बैठकर सुलझा लिया जाएगा।
जदयू प्रवक्ता निखिल मंडल का कहना है 2015 में जब आरजेडी के साथ चुनाव लड़े थे तब हमारे पास 117 विधायक थे लेकिन हमने 101 सीट पर चुनाव लड़ा अभी लोकसभा में बीजेपी के पास 22 सांसद थे लेकिन बीजेपी ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ना स्वीकारा इसी तरह आगे भी nda में चीजों को तय किया जाएगा। बीजेपी विधान पार्षद नवल यादव का भी कहना है पार्टी जो तय करेगी वही होगा और कोई झंझट होने वाला नहीं है।
बाइट्स-- निखिल मंडल जदयू प्रवक्ता
नवल यादव बीजेपी विधान पार्षद




Conclusion:2010 में जदयू 141 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 115 जीती थी बीजेपी 102 सीटों में से 91 पर जीत हासिल की थी , 243 में से 206 सीटें nda गठबंधन ने जीती थी । 2005 में फरवरी में जो पहली बार चुनाव हुए थे तो उसमें जदयू 138 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और बीजेपी 103 सीटों पर लेकिन 2005 में ही अक्टूबर में फिर से जब चुनाव हुए तो उसमें जेडी 140 सीटों पर चुनाव लड़ी जिसमें से 88 सीट जीती थी और बीजेपी 102 सीटों पर 55 सीटें जीती वही रामविलास पासवान की पार्टी ने 203 सीटों पर चुनाव लड़कर केवल 10 सीटें ही जीत पाई थी। लेकिन अब स्थितियां बदल गई हैं बीजेपी किसी कीमत पर जदयू से कम सीट पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं होने वाली है ऐसे में देखना दिलचस्प है नीतीश कुमार की क्या रणनीति होगी।
अविनाश, पटना।
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