ETV Bharat / state

चिराग के दोस्त सौरभ ने पशुपति पारस पर फोड़ा लेटर बम.. लिखा- 'NDA से नाराज थे चाचा, अकेले चुनाव लड़ने का फैसला उनका भी था' - पटना न्यूज

विधानसभा चुनाव में लोजपा को मिली करारी शिकस्त का जिम्मेदार पशुपति पारस ने जिस सौरभ पांडेय को बताया था, उन्होंने अपनी चुप्पी तोड़ी है. सौरभ पांडेय ने पत्र के माध्यम से जवाब देते हुए कहा कि चुनाव से पहले पशुपति कुमार पारस भी एनडीए से नाराज थे. पढे़ं पूरी खबर...

सौरभ पांडेय पशुपति कुमार पारस
सौरभ पांडेय पशुपति कुमार पारस
author img

By

Published : Oct 23, 2021, 3:12 PM IST

Updated : Oct 23, 2021, 3:19 PM IST

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में एलजेपी को मिली करारी शिकस्त के लिए पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) ने अपने भतीजे चिराग पासवान (Chirag Paswan) के दोस्त सौरभ पांडेय को जिम्मेदार ठहराया था. वहीं, इससे पहले और बाद में भी पशुपति पारस सौरभ पांडे पर कई आरोप लगा चुके हैं. इन आरोपों पर सौरभ पांडेय ने अपनी चुप्पी तोड़ी है.

इसे भी पढ़ें- चिराग को जनसमर्थन लूटता देख चाचा पारस को नहीं हुआ बर्दाश्त, पटना आकर सीधे जाएंगे हाजीपुर

पशुपति पारस के आरोपों का एक पत्र के माध्यम से सौरभ पांडेय ने जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि कोई और नहीं बल्कि चिराग के चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने ही एनडीए के द्वारा 15 सीट मिलने के बाद असहमति जताते हुए अकेले चुनाव लड़ने को कहा था.

सौरभ ने अपने पत्र में लिखा 'मैंने बिहार को ना सिर्फ अपनी आखों से बल्कि राम विलास पासवान की भी आखों से देखा है. बिहार फर्स्ट के मूल में भारत फर्स्ट छिपा हुआ है. सब कुछ देखने और समझने के बाद ही मैंने बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट डॉक्यूमेंट तैयार किया था, जिसे 14 अप्रैल, 2020 को गांधी मैदान में प्रस्तावित रैली में रामविलास पासवान के हाथों से जारी किया जाना था. लेकिन कोरोना के वजह से लगे लॉकडाउन के कारण कार्यक्रम स्थगित हो गया.'

इसे भी पढे़ं-LJP में बगावत करने वाले पशुपति कुमार पारस को आप कितना जानते हैं?

सौरभ ने आगे कहा 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट के कारण चिराग पासवान ने कोई समझौता नहीं किया. ना ही केंद्र में मंत्री बनने की परवाह की. हमें पहली बार जो वोट मिला वह हमारी सोच पर मिला ना कि किसी के साथ गठबंधन होने के कारण. मैं इस बात को मानता हूं कि बिहार विधानसभा चुनाव में जो गठबंधन हुए वह मात्र खुद जीतने के लिए हुए, उन गठबंधनों के बनने से बिहार को कोई लाभ नहीं हुआ.'

सौरभ पांडेय ने पत्र में यह भी लिखा है कि 'रामविलास पासवान अक्सर मुझसे कहा करते थे कि एमपी, एमएलए हजारों होते हैं, लेकिन नेता कोई-कोई होता है. मुझे खुशी है कि उनका बेटा आज नेताओं की श्रेणी में आ रहा है.' उन्होंने बताया कि पारस कृष्णा राज को बीजेपी से लड़ाना चाहते थे. ताकि वो सुरक्षित जीत हासिल कर सकें. लेकिन इसपर हमने कहा था कि आप चिराग पासवान से बात कर लें. इसी बात पर उनसे मेरा विवाद हुआ था.'

उन्होंने कहा, 'एनडीए द्वारा 15 सीट देने की बात पारस को बताई गई थी और उन्होंने भी 15 सीट को अस्वीकार किया था. ये बात पार्टी के रिकॉर्ड में हैं. 15 सीट पर लड़कर क्या बिहार फर्स्ट बिहारी, फर्स्ट की बलि चढ़ा देनी चाहिए थी? क्या यह उचित होता? चिराग पासवान अपने चाचा पारस का सम्मान अपने पिता से कम नहीं करते हैं. उनकी माता के भी मुंह से भी मैंने हमेशा पारस के लिए अच्छा सुना है.'

सौरभ ने अपने दोस्त और चिराग को लेकर कहा है कि पिता के मृत्यु के बाद वे बिलकुल अकेले हो गए थे. ऐसे में एक भाई और दोस्त के नाते उनका मार्गदर्शन करना मेरी जिम्मेदारी थी. मजबूत प्रत्याशियों और नेता के प्रति समर्पित कार्यकर्ताओं व बिहार फर्स्ट सोच के कारण आशीर्वाद यात्रा सफल रही.

इसे भी पढ़ें- चिराग के खासमखास सौरभ पांडे के जवाब से हिल जाएगा पारस गुट, चिट्ठी जारी कर किया पलटवार

बता दें कि जिस कृष्णा राज के कारण अपने और पशुपति पारस के बीच विवाद पैदा होने की बात सौरभ पांडेय ने की है, वे रामविलास पासवान के भाई दिवंगत रामचंद्र पासवान के बेटे हैं. यानी चिराग के चचेरे भाई और सांसद प्रिंस राज के भाई हैं. आपको बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव में कृष्णा ने समस्तीपुर जिले के रोसड़ विधानसभा सीट से लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ी थी और हार गए थे.

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में एलजेपी को मिली करारी शिकस्त के लिए पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) ने अपने भतीजे चिराग पासवान (Chirag Paswan) के दोस्त सौरभ पांडेय को जिम्मेदार ठहराया था. वहीं, इससे पहले और बाद में भी पशुपति पारस सौरभ पांडे पर कई आरोप लगा चुके हैं. इन आरोपों पर सौरभ पांडेय ने अपनी चुप्पी तोड़ी है.

इसे भी पढ़ें- चिराग को जनसमर्थन लूटता देख चाचा पारस को नहीं हुआ बर्दाश्त, पटना आकर सीधे जाएंगे हाजीपुर

पशुपति पारस के आरोपों का एक पत्र के माध्यम से सौरभ पांडेय ने जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि कोई और नहीं बल्कि चिराग के चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने ही एनडीए के द्वारा 15 सीट मिलने के बाद असहमति जताते हुए अकेले चुनाव लड़ने को कहा था.

सौरभ ने अपने पत्र में लिखा 'मैंने बिहार को ना सिर्फ अपनी आखों से बल्कि राम विलास पासवान की भी आखों से देखा है. बिहार फर्स्ट के मूल में भारत फर्स्ट छिपा हुआ है. सब कुछ देखने और समझने के बाद ही मैंने बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट डॉक्यूमेंट तैयार किया था, जिसे 14 अप्रैल, 2020 को गांधी मैदान में प्रस्तावित रैली में रामविलास पासवान के हाथों से जारी किया जाना था. लेकिन कोरोना के वजह से लगे लॉकडाउन के कारण कार्यक्रम स्थगित हो गया.'

इसे भी पढे़ं-LJP में बगावत करने वाले पशुपति कुमार पारस को आप कितना जानते हैं?

सौरभ ने आगे कहा 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट के कारण चिराग पासवान ने कोई समझौता नहीं किया. ना ही केंद्र में मंत्री बनने की परवाह की. हमें पहली बार जो वोट मिला वह हमारी सोच पर मिला ना कि किसी के साथ गठबंधन होने के कारण. मैं इस बात को मानता हूं कि बिहार विधानसभा चुनाव में जो गठबंधन हुए वह मात्र खुद जीतने के लिए हुए, उन गठबंधनों के बनने से बिहार को कोई लाभ नहीं हुआ.'

सौरभ पांडेय ने पत्र में यह भी लिखा है कि 'रामविलास पासवान अक्सर मुझसे कहा करते थे कि एमपी, एमएलए हजारों होते हैं, लेकिन नेता कोई-कोई होता है. मुझे खुशी है कि उनका बेटा आज नेताओं की श्रेणी में आ रहा है.' उन्होंने बताया कि पारस कृष्णा राज को बीजेपी से लड़ाना चाहते थे. ताकि वो सुरक्षित जीत हासिल कर सकें. लेकिन इसपर हमने कहा था कि आप चिराग पासवान से बात कर लें. इसी बात पर उनसे मेरा विवाद हुआ था.'

उन्होंने कहा, 'एनडीए द्वारा 15 सीट देने की बात पारस को बताई गई थी और उन्होंने भी 15 सीट को अस्वीकार किया था. ये बात पार्टी के रिकॉर्ड में हैं. 15 सीट पर लड़कर क्या बिहार फर्स्ट बिहारी, फर्स्ट की बलि चढ़ा देनी चाहिए थी? क्या यह उचित होता? चिराग पासवान अपने चाचा पारस का सम्मान अपने पिता से कम नहीं करते हैं. उनकी माता के भी मुंह से भी मैंने हमेशा पारस के लिए अच्छा सुना है.'

सौरभ ने अपने दोस्त और चिराग को लेकर कहा है कि पिता के मृत्यु के बाद वे बिलकुल अकेले हो गए थे. ऐसे में एक भाई और दोस्त के नाते उनका मार्गदर्शन करना मेरी जिम्मेदारी थी. मजबूत प्रत्याशियों और नेता के प्रति समर्पित कार्यकर्ताओं व बिहार फर्स्ट सोच के कारण आशीर्वाद यात्रा सफल रही.

इसे भी पढ़ें- चिराग के खासमखास सौरभ पांडे के जवाब से हिल जाएगा पारस गुट, चिट्ठी जारी कर किया पलटवार

बता दें कि जिस कृष्णा राज के कारण अपने और पशुपति पारस के बीच विवाद पैदा होने की बात सौरभ पांडेय ने की है, वे रामविलास पासवान के भाई दिवंगत रामचंद्र पासवान के बेटे हैं. यानी चिराग के चचेरे भाई और सांसद प्रिंस राज के भाई हैं. आपको बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव में कृष्णा ने समस्तीपुर जिले के रोसड़ विधानसभा सीट से लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ी थी और हार गए थे.

Last Updated : Oct 23, 2021, 3:19 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.