पटना: कहते हैं कि बिहार की मिट्टी में सोना उपजता है. ये सही भी है क्योंकि यहां सिर्फ मिट्टी ही नहीं यहां की रेत भी सोने से कम कीमती नहीं है. ऐसे में सरकार के लिए गंगा जैसी नदियों से बालू कमाई का बहुत बड़ा जरिया है. सरकार की इस कमाई के साधन पर बालू माफियाओं की पैनी नजर है. बालू माफिया बेखौफ होकर पीला सोना कहे जाने वाले बालू की लूट करने में लगे हुए हैं.
पुलिस के नाक के नीचे खनन
पटना से सटे गंगा घाटों पर बालू माफिया बेखौफ होकर अवैध तरीके से बालू की निकासी कर उसे बाजारों में ऊंची कीमत पर बेच रहे हैं. हालात ये है कि माफियाओं पर नकेल कसने के दावे करने वाली पुलिस और सरकारी सिस्टम के नाक के नीचे से लगातार बालू माफिया अवैध तरीके से बालू की निकासी कर रहे हैं. बावजूद इसके माफियाओं पर ना ही सिस्टम और ना ही पुलिस कोई कार्रवाई करती नजर आ रही है.
बिहार में बालू माफिया सक्रिय
राजधानी पटना के गंगा घाटों की हाल तो थोड़े ठीक है. लेकिन पटना से बस कुछ किलोमीटर दूरी पर स्थित दानापुर मनेर और बिहटा में खनन माफिया बड़ी-बड़ी मशीनों के जरिए गंगा और सोन नदी से बालू की निकासी करते हैं. बावजूद इसके पुलिस खनन माफियाओं पर कोई कार्रवाई नहीं करती.
दरअसल, झारखंड से अलग होने के बाद बिहार को खनिज संपदाओं से होने वाले राजस्व को लेकर एक बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. खनिज संपदा से हाथ धोने के बाद बिहार की आर्थिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कृषि के अलावा नदियों का ही एक सहारा बचा था. कहीं ना कहीं सरकार के लिए राजस्व का यह बहुत बड़ा स्रोत भी बना था. लेकिन अब खनन माफियाओं की नजर इस पीले सोने पर भी है.