पटना: मंगलवार को बिहार कैबिनेट ( Bihar Cabinet ) ने फैसला लिया है कि अब पंचायतों का विकास अब परामर्शी समिति के तहत की जाएगी. मुखिया अब ग्राम पंचायत के परामर्शी समिति के अध्यक्ष होंगे. समिति में मुखिया से लेकर स्थानीय विधायक के साथ सांसद भी शामिल रहेंगे. कैबिनेट के निर्णय के बाद पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत की.
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16 जून से आदेश होगा प्रभावी
पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा पंचायतों का विकास करना हमारी सरकार का लक्ष्य है. 15 जून के बाद त्रिस्तरीय पंचायत जनप्रतिनिधियों का समय समाप्त हो रहा है. 16 जून से अब पंचायतों का विकास परामर्शी समिति के माध्यम से की जाएगी. पंचायत और ग्राम कचहरी के निर्वाचित प्रतिनिधि पूर्व की तरह काम करेंगे, पर उनके पद नाम बदल जाएगा. 16 जून से सभी प्रतिनिधि बतौर परामर्शी समिति अध्यक्ष और सदस्य के रूप में काम करेंगे.
'16 जून से मुखिया संबंधित ग्राम पंचायत के परामर्शी समिति के अध्यक्ष कहलाएंगे. उप मुखिया, उपाध्यक्ष एवं वार्ड पार्षद सदस्य रहेंगे. जो यह लोग निरंतर कार्य कर रहे थे. वहीं पंचायतों में जो सरपंच से संबंधित ग्राम कचहरी का जो लोग कार्य करते हैं. पहले की तरह सभी कार्य करते रहेंगे. परामर्शी समिति के अध्यक्ष सरपंच होंगे. वहीं उपसरपंच को उपाध्यक्ष एवं पंच सदस्य भी रहेंगे. पंचायत समिति प्रमुख संबंधित पंचायत समिति के परामर्शी समिति के अध्यक्ष कहे जाएंगे. उप प्रमुख, उपाध्यक्ष एवं पंचायत समिति सदस्य रहेंगे.' :- सम्राट चौधरी, पंचायती राज मंत्री
विपक्ष बेवजह माहौल बना रहा
पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि इस परामर्शी समिति में स्थानीय विधायक, विधान पार्षद, लोकसभा सदस्य, राज्यसभा सदस्य भी शामिल रहेंगे. वहीं कार्यपालक पदाधिकारी को उप विकास आयुक्त के रूप में कार्य करेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार ने परामर्शी समिति के माध्यम से जो फैसला लिया है. वो लोकतंत्र की स्थापना की गई है. लोकतंत्र खत्म ना हो, लोकतंत्र बहाल रहे, सरकार उस पर ही कार्य कर रही है. लेकिन कुछ विपक्षी दल थे, जो माहौल बना रहे थे कि सरकार में लोकतंत्र को खत्म कर रही है.
माले विधायकों पर साधा निशाना
सम्राट चौधरी ने माले के विधायकों पर हमला करते हुए कहा कि माले के जो विधायक हैं. वो लाल झंडा लगाकर देश को चलाना चाहते हैं. अभी जो 12 विधायक जीत कर आए हैं. वो यह नहीं समझ रहे हैं कि हमारा कार्यकाल सिर्फ 5 वर्षों का है. वो यह समझ रहे हैं कि उनका कार्यकाल 12 वर्ष का है. जबकि यहां लोकतंत्र है. यहां किसी भी सदस्य को 5 वर्ष ही रहने का अधिकार है. कोरोना का माहौल जैसे ही समाप्त होगा, सरकार जल्द चुनाव करा देगी. यदि मौसम अनुकूल रहा तो अक्टूबर और नवंबर में पंचायतों का चुनाव हो सकता है.
'चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग फैसला लेगा. लेकिन लोकतंत्र के माध्यम से पंचायतों का विकास होता रहे, इसलिए सरकार ने परामर्शी समिति के माध्यम से विकास करने का निर्णय लिया है.' :- सम्राट चौधरी, पंचायती राज मंत्री