पटना: कोरोना संक्रमण को लेकर बिहार लॉकडाउन है ऐसे में सुबह 7 बजे से 11 बजे तक ही कुछ जरूरी सेवाओं वाली दुकानें खुल रहीं हैं. इस बार पोल्ट्री उद्योग पर लॉकडाउन का साफ असर दिख रहा है. कहीं न कहीं होटल और रेस्टोरेंट के बंद होने से इनका व्यापार पूरी तरह से चौपट हो गया है. एक रिपोर्ट के अनुसार राजधानी पटना में आम दिनों में प्रतिदिन 3 लाख चिकेन की बिक्री होती थी, जो आज घटकर औसतन 50 से 60 हजार प्रतिदिन तक पहुंच गया है.
संडे हो या मंडे कैसे खाएं रोज अंडे?
अंडे की बात करें तो आंकड़े बताते हैं कि सिर्फ राजधानी पटना में 70 हजार कैरट अंडे की बिक्री प्रति दिन होती थी. लॉकडाउन में घटकर वो 20 हजार कैरट पर आ गया है. निश्चित तौर पर लॉकडाउन ने इस व्यापार पर काफी प्रभाव डाला है. पोल्ट्री व्यवसाय से जुड़े व्यापारी काफी परेशान हैं. शास्त्रीनगर में अंडा का व्यापार करने वाले राकेश कुमार का कहना है कि प्रतिदिन 50 कैरट अंडा बेचते थे, आज 10 कैरट भी नहीं बिक रहा है. लॉकडाउन में दुकान खोलने का समय कम मिलता है. इससे बिक्री प्रभावित हो रही है. सरकार को चाहिए कि समय बढ़ाए जिससे शाम में भी दुकान खोल सकें.
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मुश्किल में अंडे बेचने वाले
अंडा व्यवसायी राकेश बताते हैं कि अंडे की कीमत बढ़ गयी है. बाहर से अंडा नहीं आ रहा है. लोकल अंडा है. पहले एक कैरट की कीमत 110 से 120 रुपये होती थी. आज 160 से 170 रुपये हो गया है. आपको बता दें कि एक कैरट में 36 अंडा होता है. बाजार में मंहगाई है, यही कारण है कि इसे महंगे दरों पर ही बेचना पड़ता है. बिक्री भी काफी कम है ऐसे में बहुत दिक्कत है. बड़ी मुश्किल से परिवार का पेट चला पा रहे हैं.
'पहले प्रतिदिन 50 कैरेट अंडा बेचते थे, अब 10 कैरेट भी नहीं बिक रहा है. सरकार की ओर से दुकान खोलने का समय कम ही दिया गया है. इसकी वजह से बिक्री प्रभावित हो रही है. सरकार शाम में भी दुकानों को खोलने की अनुमति दे'- राकेश कुमार, अंडा व्यवसायी
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चिकेन दुकानदार भी पस्त
चिकेन दुकानदारों का भी यही हाल है. सबकी हालत लॉकडाउन से पस्त है. राजाबाजार में चिकेन दुकान चलाने वाले मिट्ठू मियां ने बताया कि उनका बिजनेस डाउन हो गया है. पहले हर दिन 100 से 150 पीस चिकेन बेचते थे. लॉकडाउन में 20 से 30 पीस ही बेच पा रहे हैं. उनका व्यापार खत्म होने की कगार पर है. ऊपर से चिकेन का दाम भी बढ़ गया है. अभी 150 रुपए प्रति किलो की खरीद है. मजबूरी है कि 160 से 170 रुपए प्रति किलो बेच रहे हैं.
कोरोना से बिगड़ी बाजार की सेहत
ऐसा ही कुछ औरंगजेब के साथ हो रहा है. उन्होंने बताया कि पोल्ट्री उद्योग से जुड़े लोगों के लिए ये समय बेहद खराब है. संक्रमण के डर से कम ही लोग घर से निकल पा रहे हैं. जब तक कोरोना रहेगा हालात अच्छे नहीं होंगे.
'लॉकडाउन से व्यापार खत्म होने की कगार पर है. ऊपर से महंगाई ने कमर तोड़ रखी है. कोरोना संक्रमण ने बाजार की हालत खराब कर रखी है. लोग कम ही बाजारों की ओर निकल रहे हैं'- चिकेन व्यवसायी
सेहत-स्वाद से ग्राहकों का समझौता
वहीं अंडा और चिकेन खरीदने आए शख्स ने बताया कि दुकानें कम समय के लिए खुलतीं हैं. भीड़ होने की आशंका से कम ही लोग दुकानों तक पहुंचते हैं. ऊपर से अंडा और चिकेन भी महंगा हुआ है. इसका असर साफ तौर पर बिक्री पर पड़ रहा है. सरकार को चाहिए कि इसके लिए समय बढ़ाए. शाम को भी बिक्री की मंजूरी मिले. प्रोटीन का डायरेक्ट स्रोत होने की वजह से ये खास जरूरत है.
निश्चित तौर पर चिकेन और अंडे की बिक्री पर लॉकडाउन की मार पड़ी है. इसके पीछे दो वजहें निकलकर सामने आ रही है. पहली ये कि दुकानों को बिक्री करने के लिए समय कम मिल रहा है. दूसरी ये कि इनके दामों में काफी उछाल आया है. कोरोना संक्रमण के डर से लोग बाजारों से दूरी भी बनाए हुए हैं. ऐसे में हालात तब तक सुधरते नहीं दिख रहे हैं, जब तक कोरोना का संकट पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाता.
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