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2 प्रोफेसर और 7 शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के वेतन पर लगी रोक, शिक्षा विभाग के आदेश के विरोध में प्रदर्शन करने पर एक्शन

Action on Professors in Bihar: बिहार में शिक्षा विभाग एक बार फिर से सुर्खियों में है. शिक्षा विभाग के आदेशों के विरोध में धरना प्रदर्शन करने वाले विश्वविद्यालयों के दो प्रोफेसर और 7 शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर रोक लगा दी गई है.

बिहार में प्रोफेसर और शिक्षकेत्तर कर्मचारी पर एक्शन
बिहार में प्रोफेसर और शिक्षकेत्तर कर्मचारी पर एक्शन
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 21, 2023, 12:35 PM IST

पटना: बिहार में दो प्रोफेसर और 7 शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के वेतन पर रोक लगा दी गई है. शिक्षा विभाग की उच्च शिक्षा निदेशक रेखा कुमारी की ओर से बुधवार को आदेश जारी करते हुए ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अमरेश शांडिल्य और वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गुरु चरण सिंह के वेतन और पेंशन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है. इस आदेश में कहा गया है कि समाचार पत्र में खबर चली है कि विभागीय निर्देशों का फुटाब के बैनर तले दोनों प्रोफेसर ने विरोध किया है.

प्रोफेसर और शिक्षकेत्तर कर्मचारी पर एक्शन: उच्च शिक्षा विभाग की निदेशक रेखा कुमारी ने पत्र के माध्यम से कहा है कि दोनों प्रोफेसर्स का आचरण गैर पेशेवर है और सरकार की छवि को धूमिल करने वाला है. विभाग ने दोनों से स्पष्टीकरण की मांग की है. जब तक विभाग को संतोषजनक स्पष्टीकरण प्राप्त नहीं होता है, तब तक दोनों के वेतन और पेंशन पर रोक लगाने का निर्देश जारी किया गया है. इस संबंध में शिक्षा विभाग की ओर से दोनों प्रोफेसर्स के संबंधित विश्वविद्यालय के कुलसचिव को आदेश पत्र जारी किया गया है.

प्रदर्शन में शामिल हुए थे सभी: वहीं उच्च शिक्षा विभाग की निदेशक रेखा कुमारी की ओर से ऐसा ही पत्र विश्वविद्यालयों के 7 शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के लिए जारी किया गया है. शिक्षा विभाग की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि समाचार पत्र में प्रकाशित खबर के माध्यम से जानकारी प्राप्त होता है कि सातों कर्मचारियों ने कर्मचारी महासंघ की बैठक में हिस्सा लिया है और सरकार के नीतियों का विरोध किया है. शिक्षा विभाग के अनुसार यह गैर पेशेवर आचरण के साथ-साथ सरकार की छवि को धूमिल करने वाला काम है.

7 शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के वेतन-पेंशन पर रोक: विभाग ने कर्मचारी महासंघ के 7 पदाधिकारी शंकर यादव (एलएनएमयू), डॉ सरोज कुमार सिंह (जेपीयू), राघवेंद्र कुमार सिंह (बीआरबीयू), डॉ राजेश्वर राय (बीएनएमयू), डॉ रविंद्र कुमार मिश्र (केडीएसयू), सैयद शाही नकवी (मौलाना मजहरूल हक अरबी फारसी विवि.) और सुबोध कुमार (पटना विश्वविद्यालय) से स्पष्टीकरण की मांग करते हुए तत्काल प्रभाव से वेतन और पेंशन पर रोक लगा दी है. 3 सप्ताह के भीतर स्पष्टीकरण नहीं मिलने पर कठोर कार्रवाई करने का आदेश भी दिया गया है.

फुटाब ने आदेश को तुगलकी बताया: वहीं विश्वविद्यालय शिक्षकों के संगठन फुटाब के महासचिव और विधान पार्षद संजय कुमार सिंह का कहना है कि शिक्षा विभाग में तानाशाही हावी है. केके पाठक के निर्देश पर विभाग असंवैधानिक निर्णय ले रहा है. शैक्षणिक अवधि के बाद सभी को अपने संघ से जुड़कर अपनी बातों को रखने का अधिकार है लेकिन बिहार में शिक्षा विभाग अपने निर्देशों से शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मियों के मौलिक अधिकारों का हनन कर रहा है.

"शिक्षा विभाग के ऐसे तुगलकी निर्देशों के विरोध में वह सभी बैठक कर आगे अहिंसात्मक आंदोलन की रूपरेखा तय करेंगे. इससे पहले वह ऐसे तुगलकी निर्देशों के विरोध में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर सभी बातों को अवगत कराने का काम करेंगे"- संजय कुमार सिंह, फुटाब महासचिव सह विधान पार्षद

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पटना: बिहार में दो प्रोफेसर और 7 शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के वेतन पर रोक लगा दी गई है. शिक्षा विभाग की उच्च शिक्षा निदेशक रेखा कुमारी की ओर से बुधवार को आदेश जारी करते हुए ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अमरेश शांडिल्य और वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गुरु चरण सिंह के वेतन और पेंशन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है. इस आदेश में कहा गया है कि समाचार पत्र में खबर चली है कि विभागीय निर्देशों का फुटाब के बैनर तले दोनों प्रोफेसर ने विरोध किया है.

प्रोफेसर और शिक्षकेत्तर कर्मचारी पर एक्शन: उच्च शिक्षा विभाग की निदेशक रेखा कुमारी ने पत्र के माध्यम से कहा है कि दोनों प्रोफेसर्स का आचरण गैर पेशेवर है और सरकार की छवि को धूमिल करने वाला है. विभाग ने दोनों से स्पष्टीकरण की मांग की है. जब तक विभाग को संतोषजनक स्पष्टीकरण प्राप्त नहीं होता है, तब तक दोनों के वेतन और पेंशन पर रोक लगाने का निर्देश जारी किया गया है. इस संबंध में शिक्षा विभाग की ओर से दोनों प्रोफेसर्स के संबंधित विश्वविद्यालय के कुलसचिव को आदेश पत्र जारी किया गया है.

प्रदर्शन में शामिल हुए थे सभी: वहीं उच्च शिक्षा विभाग की निदेशक रेखा कुमारी की ओर से ऐसा ही पत्र विश्वविद्यालयों के 7 शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के लिए जारी किया गया है. शिक्षा विभाग की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि समाचार पत्र में प्रकाशित खबर के माध्यम से जानकारी प्राप्त होता है कि सातों कर्मचारियों ने कर्मचारी महासंघ की बैठक में हिस्सा लिया है और सरकार के नीतियों का विरोध किया है. शिक्षा विभाग के अनुसार यह गैर पेशेवर आचरण के साथ-साथ सरकार की छवि को धूमिल करने वाला काम है.

7 शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के वेतन-पेंशन पर रोक: विभाग ने कर्मचारी महासंघ के 7 पदाधिकारी शंकर यादव (एलएनएमयू), डॉ सरोज कुमार सिंह (जेपीयू), राघवेंद्र कुमार सिंह (बीआरबीयू), डॉ राजेश्वर राय (बीएनएमयू), डॉ रविंद्र कुमार मिश्र (केडीएसयू), सैयद शाही नकवी (मौलाना मजहरूल हक अरबी फारसी विवि.) और सुबोध कुमार (पटना विश्वविद्यालय) से स्पष्टीकरण की मांग करते हुए तत्काल प्रभाव से वेतन और पेंशन पर रोक लगा दी है. 3 सप्ताह के भीतर स्पष्टीकरण नहीं मिलने पर कठोर कार्रवाई करने का आदेश भी दिया गया है.

फुटाब ने आदेश को तुगलकी बताया: वहीं विश्वविद्यालय शिक्षकों के संगठन फुटाब के महासचिव और विधान पार्षद संजय कुमार सिंह का कहना है कि शिक्षा विभाग में तानाशाही हावी है. केके पाठक के निर्देश पर विभाग असंवैधानिक निर्णय ले रहा है. शैक्षणिक अवधि के बाद सभी को अपने संघ से जुड़कर अपनी बातों को रखने का अधिकार है लेकिन बिहार में शिक्षा विभाग अपने निर्देशों से शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मियों के मौलिक अधिकारों का हनन कर रहा है.

"शिक्षा विभाग के ऐसे तुगलकी निर्देशों के विरोध में वह सभी बैठक कर आगे अहिंसात्मक आंदोलन की रूपरेखा तय करेंगे. इससे पहले वह ऐसे तुगलकी निर्देशों के विरोध में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर सभी बातों को अवगत कराने का काम करेंगे"- संजय कुमार सिंह, फुटाब महासचिव सह विधान पार्षद

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