पटनाः एक तरफ जहां डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा दिया जा रहा है. वहीं, दूसरी ओर साइबर फ्रॉड के भी मामले बढ़ रहे हैं. दानापुर के रहने वाले रजत राज के साथ ऐसा ही एक साइबर फ्रॉड हुआ था जिसके बाद वो आज भी न्याय की आस लगाए बैठे हैं. जुलाई 2019 में दिल्ली में प्राइवेट नौकरी कर रहे थे. उसी दौरान साइबर फ्रॉड के शिकार हो गए.
एक साल बाद भी न्याय की आस
दरअसल, एक साल पहले जुलाई 2019 में एक दिन रजत के मोबाइल पर एक कॉल आया. जिसमें कहा गया कि आपने एक एक्सयूवी कार जीती है. इसके लिए एक बैंक अकाउंट पर कुछ पैसे भेजने पड़ेंगे. रजत ने गूगल पे के माध्यम से 4-4 हजार रुपए करके 8 बार भेजे. कुल 32 हजार रुपए भेजने के बाद रजत को लगा कि वे किसी साइबर फ्रॉड के शिकार हो रहे हैं. उसके बाद जिस नंबर से फोन आया था, उस पर कॉल करने पर प्रतिक्रिया मिलनी बंद हो गई.
साइबर सेल में दर्ज कराई शिकायत
साइबर फ्रॉड का शिकार हुए रजत ने नोएडा में साइबर सेल में मामले की शिकायत दर्ज कराई. उन्होंने पटना स्थित बैंक को भी घटना से अवगत कराया था. लेकिन घटना के एक साल से ज्यादा बीत जाने के बावजूद पैसे वापस नहीं आए हैं. रजत का आरोप है कि मामले में बैंक और साइबर सेल की अरुचि के कारण घटना के इतने दिनों के बाद भी न्याय नहीं हो पाया है.
क्या कहते हैं साइबर एक्सपर्ट
वहीं, साइबर एक्सपर्ट अभिनय सौरभ की माने तो ऐसे मामले की जांच में कभी-कभी 6 महीने या साल भर का भी समय लग जाता है. कोर्ट के फैसले के बाद ही बैंक खाते में पैसे वापस करता है. जिन मामलों में उपभोगता की गलती होती है, वैसी स्थिति में पैसे नहीं वापस नहीं होते हैं.
पुलिस लोगों को कर रही जागरूक
साइबर फ्रॉड के बढ़ते मामले को देखते हुए एडीजी जितेंद्र कुमार ने एक अभियान चलाया है. जिसके तहत ई-पोस्टर बनाकर लोगों को जागरूक किया जाता है. रोजाना व्हाट्सएप, फेसबुक और ट्विटर सहित अन्य सोशल प्लेटफॉर्म पर एक ई-पोस्टर जारी कर लोगों को फ्रॉड से बचने के उपाय बताए जाते हैं.
बैंक की ओर से किया जा रहा जागरूक
बैंक की ओर से आए दिन ग्राहकों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जाता है. बैंक इसके लिए ग्राहकों के मोबाइल पर संदेश भेजकर बताता रहता है कि ओटीपी या एटीएम का पासवर्ड किसी के साथ साझा नहीं करें. इसके अलावा नेट बैंकिंग या ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के दौरान सतर्क रहें.
कई बार लोभ में फंस जाते हैं ग्राहक
कई बार लोग प्रलोभन में आकर ओटीपी और एटीएम का पासवर्ड साझा कर देते हैं. ऐसा करने से साइबर फ्रॉड का खतरा बढ़ जाता है. इतना ही नहीं साइबर अपराधी कई बार फोनकर के उपभोगता को इनाम जीतने के लिए सिक्योरिटी मनी भरने को कहता है. लालच में लोग बताए गए खाते में सिक्योरिटी मनी डाल देते हैं. जो कभी वापस नहीं आती है.
साइबर फ्रॉड से निपटने के लिए अपने स्तर से सावधानी बरतने की जरूरत है. इसके लिए बैंक और प्रशासन की ओर से जागरुकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं. फिर भी आए दिन लोग इसके शिकार हो रहे हैं. ऐसे कई मामलों में पीड़ित को कई महीनों तक बैंक और साइबर सेल के चक्कर काटने के बाद भी न्याय नहीं मिल पाता है.