पटना: बिहार की बेटी स्वीटी कुमारी ने डर को पीछे छोड़कर हौसले को चुना और आज दुनियाभर में आज नाम कमा रही हैं. बिहार के एक छोटे-से प्रखंड बाढ़ के नवादा गांव से निकली स्वीटी महज 19 साल की उम्र में एशिया की सर्वश्रेष्ठ रग्बी प्लेयर हैं.
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स्वीटी भारतीय रग्बी टीम में विंगर की पोजिशन से खेलती हैं. टीम में स्वीटी को भारत की स्कोरिंग मशीन कहा जाता है. पिछले साल स्वीटी कुमारी को महिला रग्बी की आधिकारिक वेबसाइट 'स्क्रमक्वींस' ने इंटरनेशनल प्लेयर ऑफ द ईयर सम्मान दिया था. 20 साल की स्वीटी यह अवार्ड पाने वाली देश की पहली महिला रग्बी खिलाड़ी हैं.
''स्वीटी ने शुरुआत से ही अपने खेल से सबको प्रभावित किया है लेकिन इस साल उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया है. भारत ने जिन सात टूर्नामेंट में हिस्सा लिया, उनमें अपनी तेजी और पॉवर के कारण ही स्वीटी ने सबसे ज्यादा स्कोर किया. वहीं सिंगापुर के खिलाफ जिस टेस्ट मैच में भारत को पहली बार जीत हासिल हुई, उसमें भी स्वीटी ने दो शानदार टाई से स्कोर किए.'' - स्क्रमक्वींस वेबसाइट
रग्बी प्लेयर बनने का सफर दिलचस्प है
स्वीटी की कहानी फिल्म स्क्रिप्ट से कम नहीं है. स्वीटी के पिता मजदूर हैं और मां आंगनबाड़ी में काम करती हैं. स्वीटी का रग्बी प्लेयर बनने का सफर काफी दिलचस्प रहा है. पहले स्कूल फिर जिले और फिर राज्य स्तर पर उन्होंने दौड़ में हिस्सा लिया और जीतीं. इसी दौड़ के कारण वे रग्बी प्लेयर बन गईं.
स्वीटी बताती हैं कि तेज रफ्तार उन्हें ईश्वर ने उपहार के तौर पर दिया है. उन्होंने कहा कि इस मुकाम को हासिल करने में हमें बहुत कठिनाईयां हुईं, लेकिन हमने कभी हार नहीं मानी.
''अच्छा लगता है जब बाढ़ रग्बी क्लब के बच्चे आकर बोलते हैं कि हमें भी स्वीटी दीदी जैसा बनना है. जिस तरह मैंने सात बार इंडिया का प्रतिनिधित्व किया उसी तरह हमें भी करना है. ये सब सुनकर अच्छा लगता है. मैं दूसरों को केवल यही कहती हूं कि मेहनत करो. सब मिलेगा.'' - स्वीटी कुमारी, रग्बी प्लेयर
दौड़ते-दौड़ते बन गई रग्बी खिलाड़ी
स्वीटी के बड़े भाई एथलीट में थे. उन्हें एथलीट में देखकर स्वीटी ने भी एथलीट में कदम रखा. स्वीटी की टाइमिंग गजब की थी. साल 2014 स्वीटी स्कूल गेम्स में हिस्सा लेने के लिए पटना पहुंचीं. यहां रग्बी के सेक्रेटरी पंकज कुमार ने इस बच्ची की रफ्तार को देखकर अचंभित हुए.
उन्होंने स्वीटी को रग्बी खेलने की सलाह दी. और कहा कि तुम रग्बी में काफी आगे बढ़ोगी. लेकिन स्वीटी को रग्बी के बारे में कुछ भी पता नहीं था. तब उन्होंने स्वीटी से सिर्फ इतना कहा कि दौड़ना आता है तो रग्बी भी सीख जाओगी. बस फिर क्या था. यहां से स्वीटी का रग्बी का सफर शुरू हुआ.
परिवार को नहीं पता था...'क्या है रग्बी?'
स्वीटी के रग्बी खेलने की जानकारी घरवालों की भी नहीं थी. इसके पिछे भी एक दिलचस्प कहानी है. दरअसल, स्वीटी को रग्बी खेलने दुबई जाना था और पासपोर्ट बनवाना था. जब स्वीटी ने मम्मी-पापा से पोसपोर्ट की बात बताई, तब उन्होंने जाना कि रग्बी भी कोई खेल होता है.
"'बचपन में कभी ऐसा नहीं लगा था कि स्वीटी को खेल में रूचि है. लेकिन, समय के साथ वो आगे बढ़ी और आज इस मुकाम पर खड़ी है.'' - स्वीटी की मां
''काफी मेहनत कर स्वीटी ने ये मुकाम हासिल किया है. वे इसके लिए भगवान को धन्यवाद देते हैं.'' -स्वीटी के पिता
कोचिंग के लिए रोजाना ट्रेन में सफर...मुश्किल था
स्वीटी उन दिनों को याद करते हुए कहती है, 'पढ़ाई और रग्बी साथ-साथ करना मुश्किल हो रहा था. रग्बी की ट्रेनिंग के लिए रोजाना बाढ़ से पटना का सफर और भी मुश्किल था. लेकिन दो साल तक यह सब कुछ चलता रहा. और एक दिन वो समय आ गया जब रग्बी खेलने के लिए पहल बार मुझे विदेश जाने का मौका मिला. और फिर मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
'स्कोरिंग मशीन' का अब तक का सफर:
- सिंगापुर, ब्रुनेई, फिलीपींस, इंडोनेशिया और लाओस में रग्बी खेल चुकी हैं
- एशिया रग्बी अंडर 18 गर्ल्स चैंपियनशिप.
- एशिया रग्बी सेवेंस ट्राफी जकार्ता इंडोनेशिया 2019 में बेस्ट प्लेयर अवॉर्ड
- जकार्ता इंडोनेशिया 2019 बेस्ट स्कोरर अवॉर्ड.
- सिंगापुर के खिलाफ टेस्ट मैच में दो टाई से स्कोर कर भारत को जीत दिलाई.
- फिलिपिंस के खिलाफ मैच में भी बेहतर प्रदर्शन.
- स्वीटी को अमेरिकन रग्बी कोच माइक फ्राइडे भी खेल का गुर सिखा चुके हैं.