पटनाः राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने कोरोना काल में किये जाने वाले कुछ कार्यों का सुझाव दिया है. पत्र लिखने के पहले उन्होंने कहा कि सरकार ने सही नीति नहीं बनाई. जिस कारण लॉकडाउन के बावजूद भी स्थिति बेहद खराब हो गई.
'सरकार के पास नहीं है कोई प्लान'
उपेंद्र कुशवाहा ने अपने पत्र में लिखा है कि देश भर से लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर अपने घर वापस आ रहे हैं. ऐसे में हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती इन मजदूरों को अपने गांव-कस्बे में काम मुहैया कराना है, ताकि न सिर्फ बड़ी आबादी को रोजगार से जोड़ा जा सके, बल्कि राज्य भी विकास के मॉडल पर आगे बढ़ सके. बिहार सरकार शॉर्ट टर्म अवधि की नीति बनाकर इन श्रमिकों को बिहार में ही रोजी-रोटी चलाने की संभावनाएं तलाश सकती है.
'शिक्षा और स्किल के आधार पर तैयार हो डेटाबेस'
आरएलएसपी सुप्रीमो ने कहा कि बिहार सरकार को उम्र, शिक्षा और स्किल के आधार पर इन मजदूरों का डेटाबेस और वर्कर्स प्रोफाइल तैयार करना चाहिए. ताकि इन्हें तुरंत काम पर लगाया जा सके. मनरेगा के मजदूरों का खेतिहर मजदूर के रूप में इस्तेमाल करने से मजदूरों के लिए रोजगार का एक बड़ा क्षेत्र उपलब्ध हो सकता है. साथ ही किसानों को अपनी इनपुट लागत कम करने में भी बड़ी सहूलियत मिल सकती है.
'ज्यादा से ज्यादा रोजगार सृजन'
मनरेगा के मजदूरों का कार्य दिवस कम से कम 200 दिन तक बढ़ाये जाने की जरूरत है. राज्य में ज्यादा से ज्यादा रोजगार सृजन के लिए हर स्कूल में भवन निर्माण हो. हर गांव में पुस्तकालय और खेल के मैदान का निर्माण हो. गांव में कला और संस्कृति केंद्र का निर्माण हो. सरकारी जमीन की घेराबंदी का काम, नदियों की साफ सफाई और उड़ाही का काम शुरू किया जाए.
ये भी पढ़ेंः खबर का असर: राशन कार्ड फेंके जाने के मामले में DM ने दिए जांच के आदेश
मृतक के परिजन को 10 लाख देने की मांग
उपेंद्र कुशवाहा ने अपने पत्र में सरकार से ये भी मांग की है कि लॉकडाउन के समय बिहार आ रहे अनेक मजदूरों की रास्ते में दुर्घटना और अन्य कारणों से मौत हो गई है, इनके परिजनों को 10-10 लाख और घायलों को 2-2 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए.
27 मई को होगा सांकेतिक धरना
उपेंद्र कुशवाहा ने बताया कि 27 मई को उनकी पार्टी के कार्यकर्ता सोशल डिस्टेंस अपनाते हुए सांकेतिक धरना हर जिला मुख्यालय में करेंगे और राजनीतिक गतिविधि शुरू करेंगे. क्योंकि अब समय आ गया है कि हमें खुद अपना बचाव करना होगा. सरकार के भरोसे रहेंगे तो कुछ नहीं होगा.