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RTI में संशोधन पर RJD का आरोप, कहा- बहुमत को आधार बनाकर मनमानी कर रही है सरकार

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Published : Jul 31, 2019, 10:15 AM IST

आरटीआई कानून में बदलाव होने के बाद से विपक्ष लगातार सरकार को घेर रहा है. विपक्ष का आरोप है कि सरकार भ्रष्टाचार को रोकने वाली कानून को अपने मुताबिक चला रही है.

फाइल फोटो

पटना: केंद्र सरकार ने आरटीआई एक्ट यानी सूचना का अधिकार कानून में संशोधन किया है. इस एक्ट में संशोधन के बाद से विपक्ष ने सरकार पर आरोप साधना शुरू कर दिया. विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सूचना का अधिकार पर भी सरकार ने कैंची चलानी शुरू कर दी है.

आरजेडी का सरकार पर आरोप
आरजेडी नेता आलोक मेहता ने कहा कि जिस सूचना के अधिकार को मौलिक अधिकार में जोड़ा गया. जनता को महसूस हुआ कि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए यह महत्वपूर्ण कानून है. उसे सरकार ने बहुमत को आधार बनाकर उसके साथ खिलवाड़ कर रही है. आरजेडी नेता ने बताया कि सरकार मनमानी पर उतर आ आई है. उन्होंने कहा कि अब तक सूचना आयुक्त का पद किसी भी सरकारी हस्तक्षेप से मुक्त था. लेकिन, नए संशोधन के बाद अब सूचना आयुक्तों का वेतन और उनका कार्यकाल और उनकी सेवा शर्तें भी केंद्र सरकार पर आश्रित हो गई है.

पटना से अमित वर्मा की रिपोर्ट

बीजेपी ने किया बचाव
उधर बीजेपी ने विपक्ष के इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. बीपेजी प्रवक्ता अजीत चौधरी ने कहा कि सरकार ने आरटीआई कानून में जो भी बदलाव किए हैं. उससे जनता को ही फायदा पहुंचेगा. विपक्ष का काम है कि वह सरकार के हर काम को गलत बताना. अजीत चौधरी ने कहा कि आरटीआई एक्ट में बदलाव होने अधिकारियों को और उत्तरदायित्व बना रहे हैं. इससे भ्रष्टाचार और भी कम होगा.

ये हुए बदलाव
बता दें कि आरटीआई एक्ट 2005 के मुताबिक केंद्र और राज्य दोनों जगहों पर मुख्य सूचना आयुक्त का कार्यकाल 5 साल का होता था. उनका वेतन केंद्र और राज्यों के मुख्य चुनाव आयुक्त के बराबर था. लेकिन, जो संशोधन केंद्र सरकार ने किया है, उसके मुताबिक अब मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का कार्यकाल सरकार तय करेगी. इसके साथ-साथ इनका वेतन भत्ता और सेवा से जुड़ी अन्य शर्ते भी अब सरकार ही निर्धारित करेगी.

पटना: केंद्र सरकार ने आरटीआई एक्ट यानी सूचना का अधिकार कानून में संशोधन किया है. इस एक्ट में संशोधन के बाद से विपक्ष ने सरकार पर आरोप साधना शुरू कर दिया. विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सूचना का अधिकार पर भी सरकार ने कैंची चलानी शुरू कर दी है.

आरजेडी का सरकार पर आरोप
आरजेडी नेता आलोक मेहता ने कहा कि जिस सूचना के अधिकार को मौलिक अधिकार में जोड़ा गया. जनता को महसूस हुआ कि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए यह महत्वपूर्ण कानून है. उसे सरकार ने बहुमत को आधार बनाकर उसके साथ खिलवाड़ कर रही है. आरजेडी नेता ने बताया कि सरकार मनमानी पर उतर आ आई है. उन्होंने कहा कि अब तक सूचना आयुक्त का पद किसी भी सरकारी हस्तक्षेप से मुक्त था. लेकिन, नए संशोधन के बाद अब सूचना आयुक्तों का वेतन और उनका कार्यकाल और उनकी सेवा शर्तें भी केंद्र सरकार पर आश्रित हो गई है.

पटना से अमित वर्मा की रिपोर्ट

बीजेपी ने किया बचाव
उधर बीजेपी ने विपक्ष के इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. बीपेजी प्रवक्ता अजीत चौधरी ने कहा कि सरकार ने आरटीआई कानून में जो भी बदलाव किए हैं. उससे जनता को ही फायदा पहुंचेगा. विपक्ष का काम है कि वह सरकार के हर काम को गलत बताना. अजीत चौधरी ने कहा कि आरटीआई एक्ट में बदलाव होने अधिकारियों को और उत्तरदायित्व बना रहे हैं. इससे भ्रष्टाचार और भी कम होगा.

ये हुए बदलाव
बता दें कि आरटीआई एक्ट 2005 के मुताबिक केंद्र और राज्य दोनों जगहों पर मुख्य सूचना आयुक्त का कार्यकाल 5 साल का होता था. उनका वेतन केंद्र और राज्यों के मुख्य चुनाव आयुक्त के बराबर था. लेकिन, जो संशोधन केंद्र सरकार ने किया है, उसके मुताबिक अब मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का कार्यकाल सरकार तय करेगी. इसके साथ-साथ इनका वेतन भत्ता और सेवा से जुड़ी अन्य शर्ते भी अब सरकार ही निर्धारित करेगी.

Intro:केंद्र सरकार ने आरटीआई एक्ट यानी सूचना का अधिकार कानून में संशोधन किया है। इस एक्ट में संशोधन को लेकर बिहार में विपक्ष ने केंद्र सरकार पर बड़ा हमला बोला है और सरकार पर जनता के सबसे बड़े अधिकार पर कैंची चलाने का आरोप लगाया है। एक खास रिपोर्ट


Body:सूचना का अधिकार कानून में संशोधन के बाद विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर है। बिहार में भी मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने जनता के इस सबसे बड़े हथियार की धार को कुंद करने का आरोप केंद्र सरकार पर लगाया है।
दरअसल आरटीआई एक्ट 2005 के मुताबिक केंद्र और राज्य दोनों जगहों पर मुख्य सूचना आयुक्त का कार्यकाल 5 साल का होता था और उनका वेतन केंद्र और राज्यों के मुख्य चुनाव आयुक्त के बराबर था। लेकिन जो संशोधन केंद्र सरकार ने किया है उसके मुताबिक अब मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का कार्यकाल सरकार तय करेगी। इसके साथ-साथ इन का वेतन भत्ता और सेवा से जुड़ी अन्य शर्ते भी अब सरकार ही निर्धारित करेगी। विपक्ष का कहना है कि अब तक सूचना आयुक्त का पद किसी भी सरकारी हस्तक्षेप से मुक्त था। यानी वे अपने वेतन या सेवा शर्तों के लिए किसी भी तरह से सरकार पर आश्रित नहीं थे। लेकिन नए संशोधन के बाद अब सूचना आयुक्तों का वेतन और उनका कार्यकाल और उनकी सेवा शर्तें भी केंद्र सरकार ही तय करेगी तो जाहिर है सूचना आयुक्त की आजादी सरकार ने खत्म कर दी। राजद नेता आलोक मेहता ने कहा कि अब इस संशोधन के बाद सूचना आयुक्त अपने वेतन, कार्यकाल और सेवा शर्त के लिए सरकार पर आश्रित होंगे और उनके खिलाफ फैसले लेने से भी बचेंगे।
इधर बीजेपी ने अपने इस फैसले का बचाव किया है बीजेपी नेता अजीत कुमार चौधरी ने कहा कि सरकार में सूचना आयुक्तों को लेकर जो फैसला किया है वह सोच समझ कर किया गया है और इसका फायदा आम लोगों को ही मिलेगा।


Conclusion:आलोक कुमार मेहता राजद नेता
अजीत कुमार चौधरी बीजेपी नेता
पीटीसी
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