पटना: पिछले साल हुए बिहार विधानसभा चुनाव में कांटे की टक्कर में महागठबंधन की हार हुई. 75 सीट जीतकर राजद सबसे बड़ी पार्टी तो बन गई, लेकिन सत्ता नहीं मिली. इसके चलते पार्टी ने अब खुद को और मजबूत करने की कबायद शुरू कर दी है. पार्टी जमीनी स्तर पर संगठन मजबूत कर रही है. इसके साथ ही संगठन विस्तार के लिए नया एक्शन प्लान तैयार किया गया है.
हर जिले में खुलेगा पार्टी ऑफिस
गांव-गांव तक पार्टी की मौजूदगी दिखे इसके लिए राजद ने हर जिले में अपना ऑफिस खोलने का फैसला किया है. पार्टी ने हर जिले और महानगर इकाई में ऑफिस खोलने की तैयारी कर ली है. राजद ने नए साल में बिहार के 38 जिले और दो पुलिस जिला (बगहा और नौगछिया) व 10 महानगर इकाई (पटना, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गया, भागलपुर आदि) में ऑफिस खोलने का फैसला किया है.
फिलहाल बिहार के कई जिलों में राजद का दफ्तर नेता के घर से संचालित हो रहा है, इसका खामियाजा पार्टी को चुनाव में भुगतना पड़ा. पार्टी ने तय किया है कि दफ्तर सार्वजनिक जगह होना चाहिए ताकि आम आदमी और कार्यकर्ता बेहिचक जब चाहें आ सकें. इससे पार्टी को एक नई पहचान मिलेगी.
संगठन विस्तार की तैयारी
नए साल में राजद संगठन विस्तार की तैयारी कर रहा है. पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को प्रमोट कर प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया है. श्याम रजक, भूदेव चौधरी और प्रेम कुमार मणि हाल ही में पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष बनाए गए हैं. राजद संगठन विस्तार के रूप में यह पार्टी का बड़ा कदम माना जा रहा है. अब प्रदेश उपाध्यक्ष की बैठक में पार्टी आगे की रणनीति तय करने वाली है.
राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री वृषिण पटेल ने कहा "11 जनवरी को पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्षों की बैठक होगी. 16 जनवरी को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक होगी. इसमें संगठन को मजबूत करने और आगे की रणनीति पर भी चर्चा होगी. तेजस्वी यादव की धन्यवाद यात्रा की तैयारी को लेकर भी बैठक में चर्चा होगी."
मिड टर्म इलेक्शन की तैयारी
"वर्तमान सरकार का कोई भरोसा नहीं कि कब गिर जाए. इसलिए विपक्ष को हर स्थिति के लिए तैयार होना चाहिए. यही वजह है कि हम मध्यावधि चुनाव के लिए भी अपने कार्यकर्ताओं को तैयार कर रहे हैं."-वृषिण पटेल, राजद नेता और पूर्व मंत्री
ढाई गुना बढ़ा अंशदान
नए दफ्तर खोलने और संगठन को मजबूत करने के लिए जरूरी धन के लिए राजद ने अपने विधायकों और विधान पार्षदों से मिलने वाले अंशदान को बढ़ा दिया है. पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पहले विधायकों और विधान पार्षदों को हर महीने 4 हजार रुपए पार्टी फंड में अंशदान के रूप में देना होता था. इसे ढ़ाई गुना बढ़ाकर 10 हजार रुपए प्रति माह कर दिया गया है. इसपर पार्टी का कोई नेता खुलकर बोलने को तैयार नहीं है. हालांकि वे स्वीकार करते हैं कि यह तो हर पार्टी में होता है.