पटना : भले ही मंत्री आलोक मेहता ने 10 फीसदी आरक्षण के मुद्दे पर विवादित बयान के बाद सफाई दे दी हो, आरजेडी ने उनके बयान को गलत तरीके से पेश करने की बात कही हो, लेकिन एक बार फिर आरजेडी का कांटा उसी बयान की तरफ मुड़ गया है. इस बार बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और राजद के वरिष्ठ नेता उदय नारायण चौधरी ने मंत्री आलोक मेहता के बयान को सही बताया. उन्होंने दावा किया कि मंत्री ने 10 फीसदी पर जो बयान दिया था वो 100 फीसदी सही है.
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मंत्री आलोक मेहता के बयान का समर्थन : उदय नारायण चौधरी ने कहा कि आजादी की लड़ाई का इतिहास उठाकर देख लीजिए आपको पता चल जाएगा कि किस समाज के लोगों की संख्या ज्यादा थी. यही लोग देश की आजादी में बढ़-चढ़कर भाग लिए थे. वो शोषित पीड़ित समाज से थे. ऐसा नहीं है कि अन्य समाज के लोग आजादी की लड़ाई नहीं लड़ी, लेकिन इस समय बहुसंख्यक जो थे, जो दबे कुचले थे, वो ज्यादा आक्रामकता से अंग्रेज का विरोध करते थे. साफ-साफ आलोक मेहता जो कह रहे कहीं ना कहीं वह सही है. भारत का इतिहास भी ये बताता है, फिर इसमें गलती कहां है?
''आलोक मेहता जी ने जो कुछ भी कहा है वो एकदम सही है. मॉर्डन इतिहास को पढ़िए तो स्वतंत्रता संग्राम में किनका क्या योगदान था पता चल जाएगा. सबसे ज्यादा कुर्बानी मुख्य धारा से जो बाहर के लोग थे उन्होंने कुर्बानी दी. इसका मतलब ये नहीं है कि उन लोगों ने (10%) कुर्बानी नहीं दी. लेकिन बाहुलता तो बहुसंख्यक (90%) की रही है. इसलिए आलोक मेहता जी के बातों को हम आगे बढ़ाते हैं.'' - उदय नारायण चौधरी, वरिष्ठ आरजेडी नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष
क्या था आलोक मेहता का बयान? : आपको बता दें कि बिहार सरकार के मंत्री आलोक मेहता ने कहा था कि आजादी की लड़ाई में वैसे समाज के 10 परसेंट लोग की भागीदारी नहीं थी, जिसकी आज चर्चा होती है. वो कहीं से भी आजादी की लड़ाई में शामिल नहीं रहे थे. इसको लेकर बिहार में सियासत तेज हो गई. आलोक मेहता ने खुद से इस बयान की पुष्टि भी की थी. लेकिन, आज फिर से राजद के वरिष्ठ नेता उदय नारायण चौधरी ने आलोक मेहता के इस बयान पर मुहर लगाया है.
अगड़ा-पिछड़ा कर बांटने की कोशिश?: कुल मिलाकर देखें तो एक बार फिर से राजद ने आजादी की लड़ाई सवर्णों की भूमिका को लेकर बहस छेड़ दी है अब देखना यह है कि यह बहस कहां तक जाकर रुकती है. फिलहाल राजद के वरिष्ठ नेता ने आलोक मेहता के बयान का पूरी तरह से समर्थन किया है. साफ-साफ कहा है कि मॉडर्न इतिहास के किताब में भी यह सब बातें लिखी हुईं हैं. उसे पढ़ने की जरूरत है.