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सियासी गुरु जेपी को शिवानंद का नमन, बोले- इतिहास पुरुष हैं लोकनायक - जेपी की प्रासंगिकता

जेपी के आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाने वाले शिवानंद तिवारी ने ईटीवी भारत के सामने जेपी की शख्सियत और उनके जीवन से जुड़ी रोचक बातें बताईं.

जेपी को याद कर भावुक हुए शिवानंद तिवारी
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Published : Oct 8, 2019, 10:57 AM IST

पटना: मंगलवार को बिहार के महान सपूत और लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि है. इस मौके पर पूरा बिहार अपने जन नेता को याद कर रहा है. डॉ. राम मनोहर लोहिया कहते हैं कि नेहरू के बाद जेपी ही एकमात्र ऐसे नेता थे, जो देश में आंदोलन खड़ा करने की ताकत रखते थे.

गौरतलब है कि संपूर्ण क्रांति को दिशा देने वाले जेपी आजीवन संघर्ष करते रहे. जेपी के आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाने वाले शिवानंद तिवारी ने ईटीवी भारत के सामने जेपी की शख्सियत और उनके जीवन से जुड़ी रोचक बातें बताईं. शिवानंद तिवारी ने कहा कि जेपी जैसा दूसरा नहीं हुआ.

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लोकनायक जयप्रकाश नारायण (फाइल फोटो)

'बहुत बड़े दिल के नेता थे जेपी'
शिवानंद तिवारी ने कहा कि जयप्रकाश नारायण इतने बड़े दिल के थे कि जब इंदिरा गांधी राज नारायण जी से केस हार गई थी, तब वह जीत का जश्न मनाने के बजाय सीधे इंदिरा गांधी से मिलने पहुंचे थे. उनका व्यक्तित्व शब्दों में बयां नहीं हो सकता है. जेपी को दो बार नायक का सम्मान मिला. पहली बार वह 1942 में जन नेता बने और दूसरी बार संपूर्ण क्रांति के समय उन्हें देश ने जाना.

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सभा के दौरान जेपी (फाइल फोटो)

अंग्रेजों के खिलाफ खड़े हुए थे जेपी
शिवानंद तिवारी बताते हैं कि जब 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' का नारा दिया गया तब अंग्रेजी हुकुमत का दमन इतना अधिक बढ़ गया कि लोग निराश हो गए. तभी जेपी ने जेल से फरार होकर लोगों को साहस दिया. चुनाव के समय उनकी बड़ी-बड़ी सभाएं होती थी. लोग उन्हें सुनने के लिए आते थे.

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ईटीवी भारत संवाददाता ने की शिवानंद तिवारी से बातचीत

इंदिरा गांधी ने ली आन पर बात
राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि गया में जब छात्रों पर गोली चली और जेपी ने विरोध किया था. इस मुद्दे पर बिहार विधानसभा को भंग करने की बात उठ रही थी. जेपी भी चाहते थे कि बिहार विधानसभा को बंद किया जाए, लेकिन इंदिरा गांधी जिद पर अड़ गई. तब जाकर जेपी को आंदोलन में कूदना पड़ा. लगभग ढाई महीने तक चले आंदोलन के कारण देश में इमरजेंसी लगा दी गई.

जेपी को याद कर भावुक हुए शिवानंद तिवारी

जेपी के व्यक्तित्व से लेनी चाहिए प्रेरणा
आरजेडी नेता बताते हैं कि मौजूदा समय में जेपी की प्रासंगिकता और अधिक बढ़ गई है. नेताओं को आज उनसे सीखने की जरूरत है. जिस प्रकार पहले जेपी ने तानाशाही के खिलाफ आवाज बुलंद की. आज के समय में भी लोगों को संविधान बचाने और देश हित के लिए आगे आना चाहिए.

पटना: मंगलवार को बिहार के महान सपूत और लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि है. इस मौके पर पूरा बिहार अपने जन नेता को याद कर रहा है. डॉ. राम मनोहर लोहिया कहते हैं कि नेहरू के बाद जेपी ही एकमात्र ऐसे नेता थे, जो देश में आंदोलन खड़ा करने की ताकत रखते थे.

गौरतलब है कि संपूर्ण क्रांति को दिशा देने वाले जेपी आजीवन संघर्ष करते रहे. जेपी के आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाने वाले शिवानंद तिवारी ने ईटीवी भारत के सामने जेपी की शख्सियत और उनके जीवन से जुड़ी रोचक बातें बताईं. शिवानंद तिवारी ने कहा कि जेपी जैसा दूसरा नहीं हुआ.

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लोकनायक जयप्रकाश नारायण (फाइल फोटो)

'बहुत बड़े दिल के नेता थे जेपी'
शिवानंद तिवारी ने कहा कि जयप्रकाश नारायण इतने बड़े दिल के थे कि जब इंदिरा गांधी राज नारायण जी से केस हार गई थी, तब वह जीत का जश्न मनाने के बजाय सीधे इंदिरा गांधी से मिलने पहुंचे थे. उनका व्यक्तित्व शब्दों में बयां नहीं हो सकता है. जेपी को दो बार नायक का सम्मान मिला. पहली बार वह 1942 में जन नेता बने और दूसरी बार संपूर्ण क्रांति के समय उन्हें देश ने जाना.

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सभा के दौरान जेपी (फाइल फोटो)

अंग्रेजों के खिलाफ खड़े हुए थे जेपी
शिवानंद तिवारी बताते हैं कि जब 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' का नारा दिया गया तब अंग्रेजी हुकुमत का दमन इतना अधिक बढ़ गया कि लोग निराश हो गए. तभी जेपी ने जेल से फरार होकर लोगों को साहस दिया. चुनाव के समय उनकी बड़ी-बड़ी सभाएं होती थी. लोग उन्हें सुनने के लिए आते थे.

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ईटीवी भारत संवाददाता ने की शिवानंद तिवारी से बातचीत

इंदिरा गांधी ने ली आन पर बात
राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि गया में जब छात्रों पर गोली चली और जेपी ने विरोध किया था. इस मुद्दे पर बिहार विधानसभा को भंग करने की बात उठ रही थी. जेपी भी चाहते थे कि बिहार विधानसभा को बंद किया जाए, लेकिन इंदिरा गांधी जिद पर अड़ गई. तब जाकर जेपी को आंदोलन में कूदना पड़ा. लगभग ढाई महीने तक चले आंदोलन के कारण देश में इमरजेंसी लगा दी गई.

जेपी को याद कर भावुक हुए शिवानंद तिवारी

जेपी के व्यक्तित्व से लेनी चाहिए प्रेरणा
आरजेडी नेता बताते हैं कि मौजूदा समय में जेपी की प्रासंगिकता और अधिक बढ़ गई है. नेताओं को आज उनसे सीखने की जरूरत है. जिस प्रकार पहले जेपी ने तानाशाही के खिलाफ आवाज बुलंद की. आज के समय में भी लोगों को संविधान बचाने और देश हित के लिए आगे आना चाहिए.

Intro: बिहार की मिट्टी के महान सपूत जयप्रकाश नारायण को उनके पुण्यतिथि के मौके पर लोग याद कर रहे हैं जयप्रकाश नारायण दो आंदोलनों के महानायक थे नेहरू के बाद जीपी ऐसे नेता थे जो देश में बड़ा आंदोलन खड़ा करने की ताकत रखते थे


Body:देश आज जयप्रकाश नारायण को याद कर रहा है पहले 1942 और फिर उसके बाद संपूर्ण क्रांति के आंदोलन को दिशा देने वाले शख्सियत जेपी आजीवन संघर्ष करते रहे डॉ राम मनोहर लोहिया के जयप्रकाश नारायण को जवाहरलाल नेहरू के बाद बड़ा नेता मानते थे


Conclusion:आंदोलनों में जयप्रकाश नारायण के साथ सक्रिय भूमिका निभाने वाले शिवानंद तिवारी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान जेपी से जुड़ी हुई कई तथ्य बताएं शिवानंद तिवारी ने कहा कि जयप्रकाश नारायण इतने बड़े दिल के थे कि जब इंदिरा गांधी राजनारायण जी से केस हार गई थी तब वह जीत का जश्न मनाने के बजाय सीधे इंदिरा गांधी से मिलने पहुंचे थे l
शिवानंद तिवारी ने कहा कि गया में छात्रों पर गोली चली थी जिसका जी पी ने विरोध किया था और उस मुद्दे पर बिहार विधानसभा को भंग करने की बात उठ रही थी जेपी भी चाहते थे कि बिहार विधानसभा को बंद किया जाए लेकिन इंदिरा गांधी जिद पर अड़ गई और जेपी को आंदोलन में कूदना पड़ा लगभग ढाई महीने आंदोलन चला और देश में इमरजेंसी लगा दिया गया नतीजतन आंदोलन अपने उद्देश्यों को हासिल नहीं कर सका
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