पटना: केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (Union Minister RCP Singh) के जातीय जनगणना (Caste Census) और आरक्षण (Reservation) के बयान पर बिहार में सियासत शुरू हो गई है. राजद (RJD) के प्रधान महासचिव आलोक मेहता ने इनके इस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
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आलोक मेहता ने कहा कि आरक्षण के मुद्दे को लेकर जिस तरह का बयान आरसीपी सिंह ने दिया है. यह बहुत बड़ी आश्चर्य की बात है क्योंकि आरसीपी सिंह भी उसी समाज से आते हैं. जिस समाज के लोगों को बाबा साहब अंबेडकर द्वारा संविधान में दिए गए आरक्षण के अधिकार का फायदा मिलता है.
"आज कल वह एनडीए में है और एनडीए के घटक दल बीजेपी और आरएसएस के लोग नहीं चाहते हैं कि आरक्षण पूरी तरह से देश में लागू हो और लोगों को इसका लाभ मिले. यही कारण है कि आरसीपी सिंह भी उसी की भाषा बोल रहे हैं." - आलोक मेहता, प्रधान महासचिव, राजद
आलोक मेहता ने कहा कि जातीय जनगणना का सवाल हो या आरक्षण का सवाल सभी को जिस तरह से डिप्लोमेटिक तरीके से खत्म करने की बात आरसीपी सिंह करते नजर आए, उससे स्पष्ट है कि वो अपनी ही बातों को भूल गए है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जो बात कर रहे हैं, आरसीपी सिंह उसको अपनी भाषा में व्याख्या कर समाप्त करना चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार में बीजेपी जो चाहती है, वही करती है. ऐसे में अब मजबूरी में वो इस मुद्दे को भी सामने नहीं लाना चाहते हैं. इस मुद्दे को बीजेपी डिप्लोमेटिक तरीके से खत्म करने की साजिश कर रही है. उसमें आरसीपी सिंह जैसे लोग भी शामिल है. उनके बयान से ये स्पष्ट होता है कि बाबा साहेब ने जो समाज के निचले पंक्ति के लोगों को आगे आने के लिए जो सुविधा दिया था. आज उस पर जदयू का भी वही स्टैंड हो गया, जो बीजेपी का है.
बता दें कि जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व केन्द्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (RCP Singh) मंत्री बनने के बाद पहली बार पटना पहुंचे. जहां आरसीपी सिंह से जेडीयू कार्यालय में मीडिया से बातचीत हुए कहा कि 'हमारा देश संविधान के अनुसार चलता है. जातीय जनगणना SC/ST के लिए होती है. क्योंकि उसी के अनुरूप संविधान में आरक्षण देने की योजना बनती है. आरक्षण आज उस तरह का मुद्दा नहीं है जो 70 के दशक में 80 के दशक में होता था. आज सब लोग मांग करते हैं कि डेटा चाहिए. किस बात के लिए डेटा चाहिए?'
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