पटना: गोपालगंज में ठेकेदार की मौत और सीतामढ़ी में जिला परिषद सदस्य को मिली धमकी को लेकर मुख्य विपक्षी पार्टी आरजेडी ने सरकार को आड़े हाथों लिया है. प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने कहा कि पूरे मामले में पुलिस-प्रशासन की लापरवाही दिख रही है. साथ ही दोषियों को बचाने की भी कोशिश हो रही है.
गोपालगंज से जांच कर लौटी टीम
आरजेडी ने गोपालगंज में ठेकेदार की संदेहास्पद मौत को लेकर सरकार पर निशाना साधा है. पार्टी ने इस मामले की जांच के लिए एक टीम गोपालगंज भेजी थी. टीम का नेतृत्व कर रहे पूर्व स्पीकर उदय नारायण चौधरी ने कहा कि इस मामले में वहां के मुख्य अभियंता समेत सभी आरोपी संदेह के घेरे में हैं. इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और पीड़ित परिवार को 5 करोड़ की सहायता सरकार को देनी चाहिए.
इंजीनियरों की भूमिका की जांच हो
आरजेडी प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने कहा कि ठेकेदार रमाशंकर सिंह को सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता मुरलीधर सिंह कार्य का भुगतान करने वाले थे, लेकिन वे भुगतान के बदले पैसे की मांग कर रहे थे. घूस के पैसे नहीं मिलने पर ठेकेदार को अपने आवास पर बुलाकर तेल छिड़ककर आग लगा दी. अधीक्षण अभियंता और कार्यपालक अभियंता के सामने हुई इस घटना को अंजाम दिया गया. मुरलीधर सिंह पिछले 4 साल से गोपालगंज में पोस्टेड है. लिहाजा मुरलीधर समेत तमाम अभियंताओं के पिछले 5 सालों के काम की संपूर्ण जांच कराई जाए.
सीतामढ़ी में महिला जिला पार्षद को धमकी
भाई वीरेंद्र ने कहा कि सूबे में कानून का राज खत्म हो गया है. सीतामढ़ी में जिला परिषद के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने पर महिला पार्षद को धमकी मिलती है. अश्लील बातें कही जाती है. ये भी कहा जाता है कि वे लोग एनडीए से जुड़े हैं, पुलिस कुछ नहीं कर पाएगी. आरजेडी नेता ने कहा कि ताज्जुब की बात तो ये है कि वीडियो होने के बाद भी सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है.
बदमाशों को सरकार में बैठे लोगों का संरक्षण
आरजेडी नेता भाई वीरेंद्र ने कहा कि गोपालगंज और सीतामढ़ी दोनों मामलों में साफ पता चलता है कि इन बदमाशों को सरकार में बैठे रसूखदार लोगों का संरक्षण प्राप्त है. यही वजह है कि अबतक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हो रही है.
क्या है गोपालगंज का मामला?
बताया जाता है कि गोपालगंज के गंडक कॉलोनी में मुख्य अभियंता के घर का निर्माण कराया गया था. इस घर के निर्माण का ठेका रमाशंकर सिंह को मिला था. आवास का निर्माण करीब 1 करोड़ 52 लाख रूपये की लागत से कराया गया था. जिसमे भवन निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद भी करीब 60 लाख रूपये का भुगतान लंबित था. आरोप है कि 60 लाख रूपये के भुगतान के लिए मुख्य इंजीनियर मुरलीधर सिंह के द्वारा 15 लाख रूपये की घूस की मांग की जा रही थी, जिसको लेकर कई महीने से पेमेंट नहीं किया जा रहा था. इसी पेमेंट को लेकर रमाशंकर सिंह मुख्य इंजीनियर मुरलीधर सिंह के नवनिर्मित आवास पर गए थे. आरोप है कि इसी दौरान गार्ड रूम में उनके शरीर में आग लगाकर उन्हें जिन्दा जला दिया गया.