पटना: वोट प्रतिशत और नए नेतृत्व की बात करें तो राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने 2015 चुनाव के मुकाबले इस बार बढ़िया प्रदर्शन किया है. लेकिन मुस्लिम वोटर्स का गढ़ कहे जाने वाले सीमांचल क्षेत्र में पार्टी का प्रदर्शन बेहद ही चिंताजनक रहा है. एनडीए की नाक में दम करने वाली आरजेडी ने सीमांचल में आखिर क्यों ओवैसी के सामने घुटने टेक दिए, ये एक बड़ा सवाल उठ रहा है.
सीमांचल के इस बार के चुनाव नतीजों पर गौर करें तो एक तरफ ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने 5 सीटें हासिल की तो दूसरी तरफ बीजेपी और जदयू का प्रदर्शन भी पिछले चुनाव की तुलना में बेहतर रहा. वहीं आरजेडी का कटिहार और पूर्णिया से पूरा सफाया हो गया, जबकि किशनगंज में महज एक सीट आरजेडी के खाते में आई. इस बारे में आरजेडी नेता यह मानते हैं कि पहले चरण तक पार्टी के एजेंडे पर ही चुनाव हुआ लेकिन जब नौकरी के मुद्दे पर बीजेपी पिछड़ती नजर आई तो कई अन्य मुद्दे दूसरे और तीसरे चरण में उछाल दिए गए.
'तीसरे चरण में गड़बड़ाया मामला'
आरजेडी के प्रदेश प्रवक्ता अनवर हुसैन ने कहा कि वोट पोलराइजेशन के कारण तीसरे चरण में सबसे ज्यादा असर पार्टी पर पड़ा. आरजेडी प्रवक्ता ने कहा की यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के घुसपैठ पर दिए बयान और ओवैसी के बयानों से काफी असर पड़ा. हालांकि, वो यह भी स्वीकार करते हैं कि कहीं ना कहीं महागठबंधन से ओवैसी के सामने कद्दावर नेता खड़ा करने में कमी रह गई.
कटिहार का हाल
कटिहार में बरारी से आरजेडी विधायक नीरज यादव जदयू से चुनाव हार गए. कोढ़ा सीट जो कांग्रेस के कब्जे में थी, इसपर भी बीजेपी ने कब्जा जमा लिया. कटिहार में बीजेपी ने 3, जेडीयू ने 1, कांग्रेस ने 2 और माले ने 1 सीट पर फतह हासिल की.
अररिया के आंकड़े
जोकीहाट सीट पर कैंडिडेट बदलने का खामियाजा आरजेडी को भुगतना पडा. तस्लीमुद्दीन के पुत्र नवनिर्वाचित विधायक शाहनवाज को जब आरजेडी ने टिकट नहीं दिया तो वे एआईएमआईएम की टिकट से चुनाव लड़े और अपने भाई सरफराज को हरा दिया. वहीं, नरपतगंज सीट पर आरजेडी विधायक अनिल यादव भी चुनाव हार गए. अररिया में बीजेपी को 3, जेडीयू, कांग्रेस और एआईएमआईएम को 1-1 सीट पर जीत मिली.
पूर्णिया की महागठबंधन के हाथ से फिसलीं ये सीटें
पूर्णिया में भी महागठबंधन के दो प्रमुख दलों को सबसे बड़ा नुकसान हुआ. आरजेडी यहां से अपनी एकमात्र सीट भी गंवा बैठी. बायसी सीट पर एआईएमआईएम ने आरजेडी को पराजित किया. वहीं, अमौर सीट कांग्रेस के हाथ से निकल गई. इस तरह पूर्णिया में जेडीयू को 2, बीजेपी को 2, कांग्रेस का 1 और एआईएमआईएम ने 2 सीटों पर जीत दर्ज की.
किशनगंज में RJD को सिर्फ एक सीट
सीमांचल में आरजेडी को एकमात्र सीट किशनगंज में नसीब हुई, यहां भी एआईएमआईएम ने 2 सीटों पर कब्जा किया, जबकि आरजेडी और कांग्रेस को एक-एक सीट मिली.
एमवाई की चिंता जरूरी
इस बारे में राजनीतिक विश्लेषक भी स्वीकार करते हैं कि कहीं ना कहीं महागठबंधन की ओर से सीमांचल को आंकने में भूल हुई है. मुस्लिम वोटर्स का मूड भांपने में आरजेडी नेता विफल रहे. इसके साथ-साथ कैंडिडेट्स के चयन में भी आरजेडी ने गलती की, जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा. चुनाव के नतीजों में एक तरफ जहां ओवैसी की बिहार में बड़ी एंट्री दिखाई पड़ रही है. तो दूसरी तरफ सीमांचल में बीजेपी और जेडीयू ने पिछले चुनाव के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है. यह आरजेडी के लिए बड़ी चिंता का विषय है क्योंकि आरजेडी के लिए एमवाई (मुस्लिम-यादव) वोट बैंक हमेशा से अहमियत रखता रहा है.