पटना: बिहार में अति पिछड़ा आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद राज्य में सियासी सरगर्मी तेज हो गई है. तमाम दल एक दूसरे के ऊपर हमला करने से नहीं चूक रहे हैं. आरजेडी प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी (BJP leader Sushil Modi ) और बीजेपी के अन्य नेताओं पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत और झूठी व्याख्या कर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया है.
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बीजेपी नेता कर रहे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या:बुधवार को आरजेडी प्रवक्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सुनील कुमार द्वारा पटना हाईकोर्ट के फैसले ( सीआर नं. 240/2022 दिनांक 19 अक्टूबर 2022) के खिलाफ दायर अपील पर आदेश देते हुए आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के डेडिकेटेड आयोग के गठन पर रोक लगाया है, न कि अति पिछड़ा वर्ग के आयोग के गठन पर बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी और अन्य बीजेपी नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत एवं झूठी व्याख्या कर लोगों को गुमराह किया है.
बीजेपी नेता मांगें माफी: आरजेडी प्रवक्ता ने कहा है कि प्रोपगंडा, झूठ और दुष्प्रचार की बुनियाद पर खड़े बीजेपी नेता बार- बार अपने चारित्रिक पतन की सीमा लांघते रहे हैं. यदि उनमें थोड़ी भी नैतिकता बची हो तो उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए. इस तरह चितरंजन गगन ने बीजेपी नेताओं से माफी मांगने की बात कही है.
"बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी और अन्य बीजेपी नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत एवं झूठी व्याख्या कर लोगों को गुमराह किया है. यदि उनमें थोड़ी भी नैतिकता बची हो तो उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए" - चितरंजन गगन, प्रवक्ता, आरजेडी
"जेडीयू और आरजेडी नेता आयोग में शामिल ": बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी (Sushil Modi Targets CM Nitish) ने कहा कि नगर निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार ट्रिपल टेस्ट के लिए एक डेडिकेटेड इंडिपेंडेंट कमीशन बनाया जाना था. लेकिन नीतीश कुमार ने अति पिछड़ा आयोग को ही डेडिकेटेड कमीशन अधिसूचित कर दिया. जिसमें अध्यक्ष सहित सभी सदस्य जेडीयू-आरजेडी के वरिष्ठ नेता थे. सुशील मोदी ने आगे कहा कि भाजपा यह मांग कर रही थी कि किसी सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में कमीशन गठित किया जाए, ताकि वह निष्पक्ष, पारदर्शी और बिना भेदभाव के काम कर सकें.
"जेडीयू-आरजेडी समर्थित आयोग ने अधूरा सर्वे कराया": उन्होंने आगे कहा कि जेडीयू-आरजेडी समर्थित आयोग ने जल्दबाजी में रिपोर्ट दाखिल करने के चक्कर में संपूर्ण निकाय क्षेत्र का सर्वे करने के बजाय नगर निगम में 7, नगर परिषद में 5 और नगर पंचायत में मात्र 3 वार्ड में ही सर्वे का निर्णय लिया. पटना नगर निगम में 75 वार्ड है, परंतु मात्र 7 वार्ड और वह भी मात्र 21 प्रगणक द्वारा कराया जा रहा है.कमीशन को सभी ओबीसी का सर्वे कर उसमें राजनैतिक पिछड़ापन के आधार पर रिपोर्ट देनी थी, परन्तु केवल ईबीसी का ही सर्वे कराया जा रहा था. वह भी आधा-अधूरा. जिस कारण नगर निकाय चुनाव की प्रक्रिया अधर में है.