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बालू खनन नीति-2019 पर सियासत: RJD के बोल- कहीं पर निगाहें, कहीं पर निशाना

आरजेडी ने सरकार की बालू खनन नीति-2019 पर सवाल खड़ा किया है. आरजेडी के वरिष्ठ नेता भाई वीरेंद्र का कहना है कि सरकार की निगाहें कहीं पर हैं और निशाना कहीं पर.

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Published : Aug 16, 2019, 10:15 PM IST

पटना: बिहार में बालू पर सियासत लंबे समय से होती रही है. इसके बाद नीतीश सरकार ने पिछले कैबिनेट में बड़ा फैसला लिया. जिसके तहत एक ठेकेदार को 2 बालू घाट से अधिक बंदोबस्ती नहीं दी जाएगी. आरजेडी ने सरकार की इस मंशा पर सवाल खड़ा किया है. आरजेडी के वरिष्ठ नेता भाई वीरेंद्र का कहना है कि सरकार की निगाहें कहीं पर हैं और निशाना कहीं पर.

बिहार में बालू पर नियंत्रण को लेकर सरकार की ओर से कई तरह के प्रयास किए गए. लेकिन आरोप है कि बालू घाटों पर आरजेडी नेताओं का वर्चस्व खत्म नहीं हुआ है. बिहार में बालू घाटों पर लंबे समय तक एनजीटी के रोक के बाद बालू की कीमत आसमान छूने लग गई थी. इसका सीधा असर विकास कार्यों पर भी देखने को मिला था. अब नीतीश सरकार ने बालू पर वर्चस्व समाप्त करने के लिए कैबिनेट में बालू खनन नीति-2019 को मंजूरी दे दी है.

क्या है बालू खनन नीति...
इस नीति के तहत एक ठेकेदार को अधिकतम दो बालू घाटों की ही बंदोबस्ती मिलेगी. वहीं, अधिकतम 200 हेक्टेयर क्षेत्र का घाट होगा.

प्रतिक्रिया देते भाई वीरेंद्र और गुलाम रसूल बलियावी

'कहीं पर निगाहें, कहीं पर निशाना'
सरकार की इस नीति पर राजद के वरिष्ठ नेता भाई वीरेंद्र का कहना है कि सरकार चाहती है कि बालू घाटों पर वर्चस्व समाप्त हो. लेकिन यह देखना जरूरी है कि लोगों को सस्ते दरों पर बालू मिले. ऐसे में सरकार की मंशा ठीक नहीं दिख रही. इस फैसले से यही लगता है कि सरकार की निगाहें कहीं पर हैं और निशाना कहीं पर.

भाई वीरेंद्र
भाई वीरेंद्र, आरजेडी नेता

जदयू का पलटवार
राजद नेता के बयान पर जदयू विधान पार्षद गुलाम रसूल बलियावी ने कहा कि राजद के लोग बालू से बाहर निकलना ही नहीं चाहते हैं. पहले बिहार में क्या होता था, सब लोग जानते हैं. किस तरह से बालू खनन किया जा रहा था, ये किसी से छिपा नहीं है.

गुलाम रसूल बलियावी, विधान पार्षद, जदयू
गुलाम रसूल बलियावी, विधान पार्षद, जदयू

बालू खनन में आरजेडी के कई नेता शामिल हैं और एक तरह से आरजेडी नेताओं का बिहार के बालू घाटों पर कब्जा है. लेकिन अब देखना है सरकार के फैसले से वर्चस्व समाप्त होता है या नहीं क्योंकि बालू को लेकर बिहार में लंबे समय से खूनी जंग भी होती रही है. बड़े गिरोह भी इसमें शामिल रहे हैं और कई बार हिंसक झड़प की खबरें सामने आती रहीं हैं.

पटना: बिहार में बालू पर सियासत लंबे समय से होती रही है. इसके बाद नीतीश सरकार ने पिछले कैबिनेट में बड़ा फैसला लिया. जिसके तहत एक ठेकेदार को 2 बालू घाट से अधिक बंदोबस्ती नहीं दी जाएगी. आरजेडी ने सरकार की इस मंशा पर सवाल खड़ा किया है. आरजेडी के वरिष्ठ नेता भाई वीरेंद्र का कहना है कि सरकार की निगाहें कहीं पर हैं और निशाना कहीं पर.

बिहार में बालू पर नियंत्रण को लेकर सरकार की ओर से कई तरह के प्रयास किए गए. लेकिन आरोप है कि बालू घाटों पर आरजेडी नेताओं का वर्चस्व खत्म नहीं हुआ है. बिहार में बालू घाटों पर लंबे समय तक एनजीटी के रोक के बाद बालू की कीमत आसमान छूने लग गई थी. इसका सीधा असर विकास कार्यों पर भी देखने को मिला था. अब नीतीश सरकार ने बालू पर वर्चस्व समाप्त करने के लिए कैबिनेट में बालू खनन नीति-2019 को मंजूरी दे दी है.

क्या है बालू खनन नीति...
इस नीति के तहत एक ठेकेदार को अधिकतम दो बालू घाटों की ही बंदोबस्ती मिलेगी. वहीं, अधिकतम 200 हेक्टेयर क्षेत्र का घाट होगा.

प्रतिक्रिया देते भाई वीरेंद्र और गुलाम रसूल बलियावी

'कहीं पर निगाहें, कहीं पर निशाना'
सरकार की इस नीति पर राजद के वरिष्ठ नेता भाई वीरेंद्र का कहना है कि सरकार चाहती है कि बालू घाटों पर वर्चस्व समाप्त हो. लेकिन यह देखना जरूरी है कि लोगों को सस्ते दरों पर बालू मिले. ऐसे में सरकार की मंशा ठीक नहीं दिख रही. इस फैसले से यही लगता है कि सरकार की निगाहें कहीं पर हैं और निशाना कहीं पर.

भाई वीरेंद्र
भाई वीरेंद्र, आरजेडी नेता

जदयू का पलटवार
राजद नेता के बयान पर जदयू विधान पार्षद गुलाम रसूल बलियावी ने कहा कि राजद के लोग बालू से बाहर निकलना ही नहीं चाहते हैं. पहले बिहार में क्या होता था, सब लोग जानते हैं. किस तरह से बालू खनन किया जा रहा था, ये किसी से छिपा नहीं है.

गुलाम रसूल बलियावी, विधान पार्षद, जदयू
गुलाम रसूल बलियावी, विधान पार्षद, जदयू

बालू खनन में आरजेडी के कई नेता शामिल हैं और एक तरह से आरजेडी नेताओं का बिहार के बालू घाटों पर कब्जा है. लेकिन अब देखना है सरकार के फैसले से वर्चस्व समाप्त होता है या नहीं क्योंकि बालू को लेकर बिहार में लंबे समय से खूनी जंग भी होती रही है. बड़े गिरोह भी इसमें शामिल रहे हैं और कई बार हिंसक झड़प की खबरें सामने आती रहीं हैं.

Intro:पटना-- बिहार में बालू पर सियासत लंबे समय से होती रही है। नीतीश कुमार चाह कर भी बालू पर आरजेडी नेताओं के नियंत्रण को समाप्त नहीं कर सके हैं लेकिन नीतीश सरकार ने पिछले कैबिनेट में बड़ा फैसला लिया है एक ठेकेदार को 2 बालू घाट से अधिक बंदोबस्ती नहीं दी जाएगी। आरजेडी ने सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा किया है आरजेडी के वरिष्ठ नेता भाई वीरेंद्र का कहना है कि कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना है सरकार की । वहीं जदयू ने पलटवार करते हुए कहा कि आरजेडी बालू से बाहर निकलना ही नहीं चाहती है।
पेश है खास रिपोर्ट---


Body: बिहार में बालू पर नियंत्रण को लेकर सरकार की ओर से कई तरह के प्रयास किए गए लेकिन बालू घाटों पर आरजेडी नेताओं का वर्चस्व खत्म नहीं हुआ है बिहार में बालू घाटों पर लंबे समय तक ngt के रोक के कारण बालू की कीमत एक बार आसमान भी छूने लगा था और विकास कार्य पर भी असर पड़ा था। अब नीतीश सरकार ने बालू पर वर्चस्व समाप्त करने के लिए कैबिनेट में बालू खनन नीति 2019 को मंजूरी दे दी है इसमें अधिकतम दो बालू घाटों का ही बंदोबस्ती किसी को मिलेगा और अधिकतम 200 हेक्टेयर क्षेत्र का घाट होगा। सरकार के फैसले पर राजद के वरिष्ठ नेता भाई वीरेंद्र का कहना है कि सरकार चाहती है कि बालू घाटों पर वर्चस्व समाप्त हो लेकिन यह देखना जरूरी है कि लोगों को सस्ते दरों पर बालू मिले ऐसे सरकार की मंशा ठीक दिख नहीं रही है । इस फैसले से यही लगता है कि सरकार की कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना है।
बाईट--भाई वीरेंद्र, राजद नेता
राजद नेता के बयान पर जदयू विधान पार्षद गुलाम रसूल बलियावी ने कहा कि राजद के लोग बालू से बाहर निकलना ही नहीं चाहते हैं। पहले बिहार में क्या होता था सब लोग जानते हैं किस तरह से बालू खनन किया जा रहा था किसी से छिपा नहीं है।
बाईट--गुलाम रसूल वलियाबी, जदयू विधान पार्षद।


Conclusion:बालू खनन में आरजेडी के कई नेता शामिल हैं और एक तरह से आरजेडी नेताओं का बिहार के बालू घाटों पर कब्जा है लेकिन अब देखना है सरकार के फैसले से वर्चस्व समाप्त होता है या नहीं। क्योंकि बालू को लेकर बिहार में लंबे समय से खूनी जंग भी होता रहा है बड़े गिरोह भी इसमें शामिल रहे हैं और कई बार हिंसक झड़प में कई की जानें भी गई है। अब नीतीश सरकार के के फैसले का कितना होता है , जब जनवरी 2020 में बालू नीति लागू होगा तभी पता चल पाएगा।
अविनाश, पटना।
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