पटना: बिहार में बालू पर सियासत लंबे समय से होती रही है. इसके बाद नीतीश सरकार ने पिछले कैबिनेट में बड़ा फैसला लिया. जिसके तहत एक ठेकेदार को 2 बालू घाट से अधिक बंदोबस्ती नहीं दी जाएगी. आरजेडी ने सरकार की इस मंशा पर सवाल खड़ा किया है. आरजेडी के वरिष्ठ नेता भाई वीरेंद्र का कहना है कि सरकार की निगाहें कहीं पर हैं और निशाना कहीं पर.
बिहार में बालू पर नियंत्रण को लेकर सरकार की ओर से कई तरह के प्रयास किए गए. लेकिन आरोप है कि बालू घाटों पर आरजेडी नेताओं का वर्चस्व खत्म नहीं हुआ है. बिहार में बालू घाटों पर लंबे समय तक एनजीटी के रोक के बाद बालू की कीमत आसमान छूने लग गई थी. इसका सीधा असर विकास कार्यों पर भी देखने को मिला था. अब नीतीश सरकार ने बालू पर वर्चस्व समाप्त करने के लिए कैबिनेट में बालू खनन नीति-2019 को मंजूरी दे दी है.
क्या है बालू खनन नीति...
इस नीति के तहत एक ठेकेदार को अधिकतम दो बालू घाटों की ही बंदोबस्ती मिलेगी. वहीं, अधिकतम 200 हेक्टेयर क्षेत्र का घाट होगा.
'कहीं पर निगाहें, कहीं पर निशाना'
सरकार की इस नीति पर राजद के वरिष्ठ नेता भाई वीरेंद्र का कहना है कि सरकार चाहती है कि बालू घाटों पर वर्चस्व समाप्त हो. लेकिन यह देखना जरूरी है कि लोगों को सस्ते दरों पर बालू मिले. ऐसे में सरकार की मंशा ठीक नहीं दिख रही. इस फैसले से यही लगता है कि सरकार की निगाहें कहीं पर हैं और निशाना कहीं पर.
जदयू का पलटवार
राजद नेता के बयान पर जदयू विधान पार्षद गुलाम रसूल बलियावी ने कहा कि राजद के लोग बालू से बाहर निकलना ही नहीं चाहते हैं. पहले बिहार में क्या होता था, सब लोग जानते हैं. किस तरह से बालू खनन किया जा रहा था, ये किसी से छिपा नहीं है.
बालू खनन में आरजेडी के कई नेता शामिल हैं और एक तरह से आरजेडी नेताओं का बिहार के बालू घाटों पर कब्जा है. लेकिन अब देखना है सरकार के फैसले से वर्चस्व समाप्त होता है या नहीं क्योंकि बालू को लेकर बिहार में लंबे समय से खूनी जंग भी होती रही है. बड़े गिरोह भी इसमें शामिल रहे हैं और कई बार हिंसक झड़प की खबरें सामने आती रहीं हैं.