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मांझी की 'आस्था वाली राजनीति' : राम को नकारते हैं, लालू के जेल जाते ही भगवान कृष्ण याद आते हैं!

आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव (RJD supremo Lalu Yadav) को चारा घोटाले के डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद बिहार की राजनीति एक बार फिर रंग बदलने लगी है. कोई उनके फेवर में बयान दे रहा है, तो कोई इसे न्याय की जीत बता रहा है. हम के नेता जीतन राम मांझी ने तो उनकी तुलना श्री कृष्ण से ही कर दी. मांझी की इस हमदर्दी को देखकर राजनीतिक गलियारे में कई तरह की चर्चाएं होने लगीं. पढ़ें पूरी खबर...

जीतन राम मांझी
जीतन राम मांझी
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Published : Feb 18, 2022, 6:19 PM IST

Updated : Feb 18, 2022, 6:53 PM IST

पटनाः सियासत में रंग कैसे बदलना है ये बिहार के पूर्व सीएम और हिंदुस्‍तानी अवाम मोर्चा के मुख‍िया जीतन राम मांझी (Ex CM Jitan Ram Manjhi ) बखूबी जानते हैं. कभी भगवान राम के अस्तित्व पर बार-बार सवाल उठाने वाले मांझी को अब भगवान श्रीकृष्ण की याद (Jitan Ram Manjhi on lord krishna and ram) आई है. वैसे एक बार उन्होंने ये भी कहा था कि मैंने कृष्ण को नहीं देखा है, इसलिए मैं कृष्ण को भी नहीं मानता हूं. अब ऐसे में सवाल उठता है कि मांझी को कृष्ण जी क्यों याद आए.

ये भी पढ़ेंः लालू के दोषी करार देने पर बोले मांझी- 'कृष्ण भी गए थे जेल, क्या वो गुनहगार थे?'

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आखिर जीतन राम मांझी को कान्हा जी क्यों याद आए, वजह हैं लालू यादव. दरअसल बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व हम प्रमुख मांझी की लालू के लिए संवेदना जागी है. चारा घोटाला मामले में लालू यादव (Lalu Yadav Convicted in Chara Ghotala) के एक बार फिर दोषी करार दिए जाने के बाद मांझी (Jitan Ram Manjhi on lalu yadav) ने उनकी तुलना श्री कृष्ण से कर दी. उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि श्री कृष्ण भी तो जेल गए थे.

जीतन राम मांझी के इस बयान के बाद बिहार की सियासत में चर्चाओं का बाजार गर्म है, कि आखिर माजरा क्या है? कहीं मुकेश सहनी की तरह जीतन राम मांझी का मोह भी एनडीए से भंग तो नहीं होने लगा. लालू यादव से इतनी हमदर्दी आखिर क्यों? कहीं मांझी बिहार में सियासी बदलाव तो नहीं चाहते. क्योंकि कहीं ना कहीं बिहार की सियासत में इस बात की चर्चा है कि मांझी भी मुकेश सहनी की तरह एनडीए से नाराज चल रहे हैं. हालांकि इन बयानों को लेकर मांझी की पार्टी ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है.

'राम और कृष्ण के अस्तित्व पर मांझी ने कभी सवाल नहीं उठाए. उन्हें तो बस उनके चरित्र की चर्चा की है. जीतन राम मांझी ने लालू की परेशानी अपने शब्दों में बयां की है और यह भी संकेत दिया है कि इतनी उम्र होने के बाद जब उन्हें दोषी करार दिया गया, फिर भी उनके बेटे तेजस्वी उनके साथ नहीं थे'- दानिश रिजवान, राष्ट्रीय प्रवक्ता

वहीं, जब उनसे पूछा गया कि लालू यादव को लेकर जिस तरह की संवेदना जीतन राम मांझी दिखा रहे हैं, क्या उसके कुछ और भी मायने हैं, इस पर दानिश रिजवान (HAM Leader Danish Rizwan) ने ऐसी किसी भी संभावना से इंकार किया और उन्होंने साफ कहा कि मांझी के इस बयान का कोई और मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए.

वहीं, मांझी के इस बयान पर राजद नेता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि जीतन राम मांझी आज जो कुछ भी हैं, वह लालू यादव की बदौलत हैं. यह बात वह कभी नहीं भूल सकते. इसीलिए वह अपनी संवेदना जता रहे हैं जो स्वभाविक है. राजद नेता ने कहा कि राम और कृष्ण को लेकर जीतन राम मांझी क्या कर रहे हैं, इस पर कोई प्रतिक्रिया देना उचित नहीं क्योंकि उनका अपना विचार है. हम तो सिर्फ इतना जानते हैं कि हम दोनों भगवान को मानते हैं. ये अलग बात है कि राम के नाम पर मांझी की सहयोगी पार्टी बीजेपी की सियासत चल रही है.

बहरहाल राजद और हम नेताओं की बातों से एक बात तो साफ है कि फिलहाल जो भी बयान सामने आ रहे हैं, उसमें मांझी और लालू के बीच की अपनी केमिस्ट्री एक बड़ी वजह है. मांझी और लालू का पुराना पॉलिटिकल कनेक्शन रहा है और यही वजह है कि लालू यादव की परेशानी को मांझी अपने शब्दों में बयां कर रहे हैं. क्योंकि हम के नेता आज भी तेजस्वी यादव पर आरोपों की बौछार कर रहे हैं और उन पर हमला करने का कोई मौका नहीं चूकते.

ये भी पढ़ेंः मांझी का छलका दर्द, बोले- कसक तो है.. सभी पार्टियों की सहमति से नहीं हुआ NDA में सीटों का बंटवारा

डोरंडा कोषागार मामले में लालू दोषी : बता दें कि चारा घोटाला में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव दोषी करार (Lalu Yadav Convicted in Fodder Scam) दिए पर पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने कहा था कि लालू यादव के सजा होने के बाद गरीब-गुरबों में हताशा है. लालू जी सामाजिक न्याय के पुरोधा हैं और उनका समाज के प्रति काफी योगदान रहा है. वे एक समाजवादी नेता हैं और किस वजह से उन्हें बार-बार जेल जाना पड़ रहा है? यह तो न्यायालय प्रक्रिया से जुड़े न्यायाधीश लोग ही बेहतर समझ सकते हैं. इस दौरान उन्होंने लालू यादव की तुलना श्री कृष्ण से कर दी और कहा कि श्री कृष्ण भी तो जेल गए थे. जिसके बाद से बिहार की सिसायत में कई चर्चाएं होनी शुरू हो गई थीं.

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पटनाः सियासत में रंग कैसे बदलना है ये बिहार के पूर्व सीएम और हिंदुस्‍तानी अवाम मोर्चा के मुख‍िया जीतन राम मांझी (Ex CM Jitan Ram Manjhi ) बखूबी जानते हैं. कभी भगवान राम के अस्तित्व पर बार-बार सवाल उठाने वाले मांझी को अब भगवान श्रीकृष्ण की याद (Jitan Ram Manjhi on lord krishna and ram) आई है. वैसे एक बार उन्होंने ये भी कहा था कि मैंने कृष्ण को नहीं देखा है, इसलिए मैं कृष्ण को भी नहीं मानता हूं. अब ऐसे में सवाल उठता है कि मांझी को कृष्ण जी क्यों याद आए.

ये भी पढ़ेंः लालू के दोषी करार देने पर बोले मांझी- 'कृष्ण भी गए थे जेल, क्या वो गुनहगार थे?'

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आखिर जीतन राम मांझी को कान्हा जी क्यों याद आए, वजह हैं लालू यादव. दरअसल बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व हम प्रमुख मांझी की लालू के लिए संवेदना जागी है. चारा घोटाला मामले में लालू यादव (Lalu Yadav Convicted in Chara Ghotala) के एक बार फिर दोषी करार दिए जाने के बाद मांझी (Jitan Ram Manjhi on lalu yadav) ने उनकी तुलना श्री कृष्ण से कर दी. उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि श्री कृष्ण भी तो जेल गए थे.

जीतन राम मांझी के इस बयान के बाद बिहार की सियासत में चर्चाओं का बाजार गर्म है, कि आखिर माजरा क्या है? कहीं मुकेश सहनी की तरह जीतन राम मांझी का मोह भी एनडीए से भंग तो नहीं होने लगा. लालू यादव से इतनी हमदर्दी आखिर क्यों? कहीं मांझी बिहार में सियासी बदलाव तो नहीं चाहते. क्योंकि कहीं ना कहीं बिहार की सियासत में इस बात की चर्चा है कि मांझी भी मुकेश सहनी की तरह एनडीए से नाराज चल रहे हैं. हालांकि इन बयानों को लेकर मांझी की पार्टी ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है.

'राम और कृष्ण के अस्तित्व पर मांझी ने कभी सवाल नहीं उठाए. उन्हें तो बस उनके चरित्र की चर्चा की है. जीतन राम मांझी ने लालू की परेशानी अपने शब्दों में बयां की है और यह भी संकेत दिया है कि इतनी उम्र होने के बाद जब उन्हें दोषी करार दिया गया, फिर भी उनके बेटे तेजस्वी उनके साथ नहीं थे'- दानिश रिजवान, राष्ट्रीय प्रवक्ता

वहीं, जब उनसे पूछा गया कि लालू यादव को लेकर जिस तरह की संवेदना जीतन राम मांझी दिखा रहे हैं, क्या उसके कुछ और भी मायने हैं, इस पर दानिश रिजवान (HAM Leader Danish Rizwan) ने ऐसी किसी भी संभावना से इंकार किया और उन्होंने साफ कहा कि मांझी के इस बयान का कोई और मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए.

वहीं, मांझी के इस बयान पर राजद नेता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि जीतन राम मांझी आज जो कुछ भी हैं, वह लालू यादव की बदौलत हैं. यह बात वह कभी नहीं भूल सकते. इसीलिए वह अपनी संवेदना जता रहे हैं जो स्वभाविक है. राजद नेता ने कहा कि राम और कृष्ण को लेकर जीतन राम मांझी क्या कर रहे हैं, इस पर कोई प्रतिक्रिया देना उचित नहीं क्योंकि उनका अपना विचार है. हम तो सिर्फ इतना जानते हैं कि हम दोनों भगवान को मानते हैं. ये अलग बात है कि राम के नाम पर मांझी की सहयोगी पार्टी बीजेपी की सियासत चल रही है.

बहरहाल राजद और हम नेताओं की बातों से एक बात तो साफ है कि फिलहाल जो भी बयान सामने आ रहे हैं, उसमें मांझी और लालू के बीच की अपनी केमिस्ट्री एक बड़ी वजह है. मांझी और लालू का पुराना पॉलिटिकल कनेक्शन रहा है और यही वजह है कि लालू यादव की परेशानी को मांझी अपने शब्दों में बयां कर रहे हैं. क्योंकि हम के नेता आज भी तेजस्वी यादव पर आरोपों की बौछार कर रहे हैं और उन पर हमला करने का कोई मौका नहीं चूकते.

ये भी पढ़ेंः मांझी का छलका दर्द, बोले- कसक तो है.. सभी पार्टियों की सहमति से नहीं हुआ NDA में सीटों का बंटवारा

डोरंडा कोषागार मामले में लालू दोषी : बता दें कि चारा घोटाला में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव दोषी करार (Lalu Yadav Convicted in Fodder Scam) दिए पर पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने कहा था कि लालू यादव के सजा होने के बाद गरीब-गुरबों में हताशा है. लालू जी सामाजिक न्याय के पुरोधा हैं और उनका समाज के प्रति काफी योगदान रहा है. वे एक समाजवादी नेता हैं और किस वजह से उन्हें बार-बार जेल जाना पड़ रहा है? यह तो न्यायालय प्रक्रिया से जुड़े न्यायाधीश लोग ही बेहतर समझ सकते हैं. इस दौरान उन्होंने लालू यादव की तुलना श्री कृष्ण से कर दी और कहा कि श्री कृष्ण भी तो जेल गए थे. जिसके बाद से बिहार की सिसायत में कई चर्चाएं होनी शुरू हो गई थीं.

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Last Updated : Feb 18, 2022, 6:53 PM IST
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