पटनाः बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक है और कोरोना संक्रमण काल में भी बिहार में सियासत चरम पर है. गृह मंत्री अमित शाह की वर्चुअल रैली पर अब जातीय समीकरण के आधार पर सियासत शुरू हो गयी है.
राजद के पूर्व मंत्री सह विधायक शिवचंद्र राम ने कहा है कि इस रैली में बीजेपी दलित नेताओं को तवज्जो नहीं दी है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है. निश्चित तौर पर मंच पर दलित नेताओं को कहीं जगह नहीं दिया गया. बीजेपी के दलित प्रेम का ढोंग अब सामने आने लगा है और जनता को अब इसकी सच्चाई समझ में आ रही है.
बिहार में सियासत तेज
बीजेपी पर निशाना साधते हुए आरजेडी के दलित नेता पूर्व मंत्री शिवचंद्र राम ने कहा कि बीजेपी सिर्फ दलितों को वोट के लिए खुश करने का ढोंग करती है. लेकिन वास्तविकता यह है कि बीजेपी कभी दलितों को नेता ही नहीं माना है. वहीं उन्होंने कहा कि देश में सबसे जरूरी है कि कोरोना काल में दलित कैसे जिंदा रहें, बेरोजगारों को रोजगार कैसे मिले. इस पर सरकार का ज्यादा फोकस होना चाहिए था. लेकिन बीजेपी, जेडीयू और लोजपा को इससे कोई मतलब नहीं है. वह सिर्फ चुनाव जीते और सत्ता में बने रहें इसकी चिंता इन्हें ज्यादा है.
आरजेडी ने बीजेपी, जेडीयू और लोजपा पर साधा निशाना
वहीं, शिवचंद्र राम राम ने कहा कि बीजेपी, जेडीयू और लोजपा सत्ता में इसलिए रहना चाहते है कि वह गरीबों को सताते रहे. गृह मंत्री अमित शाह ने डिजिटल रैली सिर्फ चुनाव जीतने के लिए की है. उन्हें दलितों से कोई मतलब नहीं है. यदि दलितों से उन्हें मतलब होता तो निश्चित तौर पर अपने मंच पर दलित नेता को भी जगह देते हैं. लेकिन उन्होंने सभी को मंच पर जगह दिया. सिर्फ दलित नेता को मंच पर जगह नहीं दिया, क्योंकि दलितों को आप हमेशा अपमानित करते रहते हैं.
7 जून को हुई थी अमित शाह की वर्चुअल रैली
आपको बता दें कि 7 जून को गृह मंत्री अमित शाह ने वर्चुअल रैली के माध्यम से अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं से संवाद किया था और आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए तैयार रहने का मंत्र दिया था. जिसको लेकर आरजेडी ने गृह मंत्री अमित शाह सहित जेडीयू और लोजपा पर निशाना साधा है.