पटना: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से इन दिनों बिहार समेत पूरा देश जूझ रहा है. इस बार कोरोना वायरस के साथ ही ब्लैक और व्हाइट फंगस का संक्रमण भी जानलेवा साबित हो रहा है. विशेषज्ञों का अंदेशा है कि कोरोना की तीसरी लहर से सबसे अधिक बच्चे प्रभावित होंगे. इस खतरे को देखते हुए बिहार सरकार ने बच्चों के इलाज के लिए अस्पतालों की आधारभूत संरचना मजबूत करने का दावा किया है.
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बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच के शिशु रोग विभाग में सरकारी दावे के अनुसार कोई तैयारी नहीं दिखती. यहां इतनी गंदगी है कि खतरनाक किस्म के फंगस के पनपने के लिए आदर्श स्थिति है. अस्पताल की दीवार और आसपास के इलाके में ग्रीन फंगस फैला हुआ है. डॉक्टर दिवाकर तेजस्वी ने ऐसी स्थिति को बहुत खतरनाक बताया है.
खतरनाक है ऐसी स्थिति
डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने कहा "ग्रीन फंगस अगर हॉस्पिटल के वार्ड में है तो बहुत खतरनाक हो सकता है. बच्चों को कई तरह के फंगस से एलर्जिक रिएक्शन होते हैं. फंगस से बच्चों को गंभीर एलर्जी भी हो सकती है. इसके साथ ही इस तरह का वातावरण अगर अस्पताल में है. अगर नमी बनी रहती है और फंगस पनप रहे हैं तो यह गंभीर मामला है."
हो सकता है गंभीर खतरा
"इस तरह की अनहाइजीनिक स्थिति अन्य तरह के फंगस के भी पनपने के लिए अच्छा हो सकता है. इसमें ऐसे फंगस भी शामिल हो सकते हैं जो इंसान की सेहत के लिए बहुत खतरनाक हैं. जहां भी गंभीर रूप से बीमार मरीजों के इलाज की व्यवस्था हो या अस्पताल हो वहां फंगस नहीं पनपना चाहिए. इसके लिए विशेष सावधानी रखने की जरूरत है. नहीं तो यह इंसानों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकता है."- डॉ. दिवाकर तेजस्वी
दीवार पर लगी है काई
गौरतलब है कि पीएमसीएच के शिशु वार्ड में प्रवेश करते ही सबसे पहले सामना ग्रीन फंगस से होता है. ग्रीन फंगस शिशु विभाग की पहचान बन गई है. शिशु विभाग की बाहरी दीवारों पर काफी पौधे उगे हुए हैं और गंदगी और अधिक पानी जमा होने के कारण काफी काई जम गई है. शिशु वार्ड के इमरजेंसी में प्रवेश करने से पहले मरीज का सबसे पहले सामना गंदगी और काई से होता है. यहां गंदा पानी टपकता रहता है. खिड़की और दरवाजों पर गंदगी और नमी के कारण मासूमों को फंगल इन्फेक्शन का खतरा बढ़ा हुआ है.
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