पटना: लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद हार की समीक्षा के लिये राजद ने 29 मई को 3 सदस्यीय कमेटी बनाई थी. इस समिति को 1 महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी. लेकिन महीना भर बीत जाने के बाद भी न तो रिपोर्ट आई और न ही इस पर राजद का कोई भी नेता बोलने को तैयार है. गायब तेजस्वी यादव के साथ-साथ इस रिपोर्ट की भी चर्चा खूब जोर-शोर से हो रही है.
बता दें कि बिहार विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हो गया है. इस दौरान तेजस्वी को ढूंढने के सवाल पर राजद ने सरकार पर मुद्दों से भटकाने का आरोप लगाया है. राजद का आरोप है कि सरकार मुजफ्फरपुर में बड़ी संख्या में बच्चों की मौत और बिहार में बढ़ते अपराध पर जवाब देने से बचने के लिए तेजस्वी यादव की अनुपस्थिति का मुद्दा बना रही है. बीजेपी नेता प्रोफेसर अजफर शम्शी ने कहा कि राजद के पास जवाब देने के लिए बचा ही क्या है. जनता ने उन्हें पूरी तरह से नकार दिया है.
आलोक मेहता ने की ईटीवी भारत से बातचीत
वहीं, ईटीवी भारत से खास बातचीत में राजद नेता आलोक मेहता ने कहा कि कमेटी अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही है. जल्द ही उसका काम पूरा हो जाएगा. लेकिन यह जरूरी नहीं कि रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाये. वहीं, तेजस्वी यादव के सवाल पर उन्होंने कहा कि विपक्ष पूरी मजबूती के साथ पहले से ही मुजफ्फरपुर मुद्दे को उठा रहा है. तेजस्वी यादव भले ही पटना में न हों लेकिन उनके दिशा-निर्देश के अनुसार ही पार्टी काम कर रही है.
हार की समीक्षा के लिये कमेटी
गौरतलब है कि 1997 में पार्टी बनने के बाद 2019 का लोकसभा चुनाव ऐसा पहला मौका था, जब राष्ट्रीय जनता दल राज्य में किसी भी तरह के चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई. इस करारी हार की समीक्षा के लिए पार्टी की तरफ से जगदानंद सिंह के नेतृत्व में एक समीति बनाई गई थी. इस कमेटी में आलोक मेहता और अब्दुल बारी सिद्दीकी के होने की भी खबर थी. सबसे खास बात ये कि 1 महीने के अंदर इस रिपोर्ट को सौंपना था. लेकिन एक महीना से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी इस समीक्षा को लेकर कहीं कोई चर्चा नहीं है.