पटना: पूर्व आईपीएस अधिकारी विनय कुमार सिंह बिहार में महा परिवर्तन आंदोलन (Maha Parivartan movement in Bihar) चला रहे हैं. इस आंदोलन के तहत वह बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं और हर गांव में घूम कर वहां के लोगों को पांच विषयों को लेकर जागरूक करने का काम कर रहे हैं. विनय कुमार सिंह ने तेलंगना में साढ़े 5 वर्षों तक डीजी जेल के पद पर अपनी सेवा दी है. इसके अलावा वह बिहार में एसटीएफ के गठन के वक्त साल 2001 में एसटीएफ के डीआईजी का पदभार भी संभाल चुके हैं.
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दस वर्षों से चला रहे सामाजिक चेतना अभियान: पूर्व आईपीएस अधिकारी ने बताया कि बीते 10 वर्षों से वह सामाजिक चेतना अभियान के नाम से अपने अभियान को चला रहे हैं और सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने इस अभियान को और तेज करते हुए इसका नाम महा परिवर्तन आंदोलन कर दिया है. उन्होंने कहा कि महा परिवर्तन आंदोलन एक प्रयास है. समाज की बुराइयां और गंदगी राजनीतिक क्षेत्र की बुराइयां को साफ किया जाए. उनका मानना है कि राजनीति और राजनेता से बिहार का भला नहीं हो सकता है.
पूर्व आईपीएस अधिकारी विनय कुमार सिंह ने बताया कि 75 वर्षों के अब तक के इतिहास को देखें तो बिहार में 45 साल धर्मनिरपेक्ष सरकार रही. 15 साल सामाजिक न्याय की सरकार रही और 17 वर्षों से सुशासन की सरकार ने आज बिहार को इस स्थिति में ला दिया है कि बिहार आज मजदूरों का खदान बनकर रह गया है. जिस भी प्रदेशों में जाएं तो वहां मजदूर सिर्फ बिहारी मिलते हैं. बिहार देश में गरीबी, बेरोजगारी, गिरती कानून व्यवस्था, शिक्षा की बदहाल स्थिति के लिए एक पर्याय बन कर रह गया है.
'बिहार में जातिवाद नहीं स्वार्थवाद है': लोग कहते हैं बिहार में जातिवाद है लेकिन उनका मानना है कि बिहार में जातिवाद नहीं है यहां सिर्फ स्वार्थ वाद है. अगर जातिवाद रहता तो हर जात के नेता अपनी जात को ऊपर उठाने का काम करते और आज बिहार एक अच्छी स्थिति में होता, लेकिन जात के नाम पर लोगों के सेंटीमेंट से खेल कर नेता चुनाव जीत जाते हैं और फिर अपने हित साधने में लग जाते हैं. बिहार में हर जाति वादी नेता के बेटे बेटी पोता पोती मंत्री, मुख्यमंत्री बन जाते हैं और जनता भूखमरी के कगार पर है. महा परिवर्तन आंदोलन जनता में एकता और जागरूकता जताने का प्रयास है.
विनय कुमार सिंह ने कहा कि वह अपने महापरिवर्तन आंदोलन के पहले चरण में बिहार के 10 जिलों का दौरा करने के लिए चुना है. इन दस जिलों में मोतिहारी, छपरा, कैमूर, रोहतास, बक्सर, आरा, औरंगाबाद, गया, जहानाबाद और अरवल है. छपरा जिले का वह दौरा कर चुके हैं और आज को आरा जिले का दौरा करना है और इसी प्रकार सभी जिलों का वह दौरा कर रहे हैं. उनके महा परिवर्तन आंदोलन के पांच प्रमुख बिंदु है, जिसको लोगों को समझा रहे हैं.
"गांव का झगड़ा गांव में ही हल हो और इसके लिए 20 लोगों की गांव में एक समिति बनाई जाए. ऐसा इसलिए क्योंकि पुलिस और न्यायालय में इतने केस पेंडिंग है कि यदि उनको इस रफ्तार से हल किया जाए तो सभी केस को हल होने में 50 साल लगेंगे. दूसरा बिंदु है शिक्षा का व्यापक प्रचार-प्रसार हो. इसके लिए हम लोगों को जागरूक कर रहे हैं. गांव के वरिष्ठ लोगों का यह कर्तव्य बनता है कि गांव का कोई भी नौजवान अशिक्षित ना रहे, शिक्षा से दूर ना रहे और गांव के सभी लड़कों को शिक्षा मिले, क्योंकि बिहार में कल कारखाने नहीं है. ऐसे में यदि शिक्षा बेहतर नहीं मिलेगी तो बच्चों का भविष्य आगे बर्बाद होगा."- विनय कुमार सिंह, पूर्व आईपीएस अधिकारी
10 लाख नौकरी पर साइन करने वाली कलम सूख गई: पूर्व आईपीएस अधिकारी ने कहा कि बिहार की स्थिति ऐसी है कि एक पार्टी आती है, कहती है हम 19 लाख रोजगार देंगे. रोजगार का क्या होता है पता नहीं. फिर एक पार्टी जो कहती है कि सरकार बनते ही पहले कैबिनेट में 1000000 नौकरियां देंगे, सरकार बने दो महीने हो गए और ऐसा लग रहा है कि सरकार को जिस कलम से 1000000 नौकरी के आदेश पर साइन करना है, उस कलम में स्याही खत्म हो गई है. इस स्थिति में शिक्षा का प्रचार-प्रसार बेहद अहम है.
विनय कुमार सिंह ने कहा कि तीसरा उनका प्रमुख बिंदु है स्वच्छता का, जिसमें स्वास्थ्य की व्यवस्था भी शामिल हैं, 1 लोगों से आग्रह कर रहे हैं कि अपने गांव को स्वच्छ और साफ रखने का प्रयास करें और गांव एक रिजॉर्ट जैसा लगे इसकी तैयारी करें. इससे हमारा जीवन और स्वास्थ्य दोनों अच्छा होगा. चौथा उनका प्रमुख बिंदु है कि भ्रष्टाचार को रोका जाए और नहीं रुके तो कम से कम जितना संभव हो इसे कम किया जाए. इसके लिए गांव की समिति थाने में सरकारी कार्यालयों में, अस्पतालों में हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुट होकर रोकने की कोशिश करें.
विनय कुमार सिंह ने कहा कि उनका पांचवा और अंतिम बिंदु यह है कि वह लोगों से अपील कर रहे हैं कि जाति और धर्म से ऊपर उठकर चुनाव में उम्मीदवारों का चयन करें. उम्मीदवार साफ-सुथरा और इमानदार छवि का है तो वह कोई भी पार्टी से है उसे अपना समर्थन करें और उसे वोट करें. दागी अपराधी छवि का कोई उम्मीदवार है तो वह किसी राजनीतिक दल से हो उसका विरोध करें.
साफ और स्वच्छ छवि के उम्मीदवार का हो चयन: पूर्व आईपीएस अधिकारी ने कहा कि देखने को मिलता है कि 36 प्रतिशत वोट महागठबंधन को जाता है. 36 प्रतिशत वोट एनडीए को जाता है, लेकिन 28 परसेंट वोट इधर उधर जाता है. ऐसे में इन 28 प्रतिशत में कम से कम 10 परसेंट लोगों को इस बात को लेकर जागरूक किया जा सकता है कि वह साफ सुथरा और स्वच्छ छवि के उम्मीदवारों को वोट करें और उनका यह वोट किसी दूसरे उम्मीदवार को हराने और जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है. इसको देखते हुए राजनीतिक दल अगले बार से साफ और स्वच्छ छवि के उम्मीदवारों का चयन करेंगे.
विनय कुमार सिंह ने कहा कि इन पांचों बिंदु को लागू करने के लिए गांव के लोगों का एकजुट होना जरूरी है. उन्हें इस बात की काफी खुशी होती है कि जहां भी वह जा रहे हैं लोग उन्हें पूरी गंभीरता से सुन रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह जब गांव में जाकर सभा करने जाते हैं तो लोगों को बुरी तरह डांटते हैं और उन्हें बिहार के बदहाल स्थिति के लिए जिम्मेदार भी ठहराते हैं, लोग भी मानते हैं कि बिहार में किसी की भी सरकार रही हो शिक्षा की स्थिति में लगातार गिरावट हुई है, जो प्रदेश को गरीब और विकास के सूचकांकों में पीछे खींच रहा है.
"अगर प्रदेश में पुलिस को उसकी स्वतंत्रता दी जाए तो प्रदेश में राम राज्य आ सकता है. भारत के सभी प्रदेशों में अमूमन यही स्थिति है कि सत्ताधारी दल पुलिस को अपनी प्राइवेट सेना के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अपने गाइडलाइंस में जो पुलिस को स्वतंत्रता देने की बात कही है. स्वतंत्रता अगर बिहार में भी पुलिस को दी जाए तो 1 साल के अंदर प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति पूरी तरह से बदल सकती है. लेकिन दुर्भाग्य है कि कोई भी सरकार पुलिस को स्वतंत्र नहीं बनाना चाहती और उसे अपनी प्राइवेट सेना के तौर पर इस्तेमाल करती है."- विनय कुमार सिंह, पूर्व आईपीएस अधिकारी
विनय कुमार सिंह ने कहा कि बिहार में जब अपराध बढ़ गया और एसटीएफ का गठन किया गया, उस समय वो वह आंध्र प्रदेश से यहां एसटीएफ के डीआईजी बन कर आए, तब उन्होंने देखा कि बिहार पुलिस में जातिवाद बहुत है. अगर किसी अपराधी को पकड़ने जाइए तो पहले ही उसकी जाति के पुलिस उसे अलर्ट कर देते थे कि उन पर छापेमारी होने वाली है और अपराधी सतर्क हो जाता था.
पूर्व आईपीएस अधिकारी ने कहा कि उन्होंने एसटीएफ में जवानों का मॉरल बूस्टअप किया. जवानों को यह बताया कि आज वह जो कुछ कमा खा रहे हैं सब यह मिट्टी का कर्ज है और इसके खिलाफ बेईमानी मातृभूमि के प्रति गद्दारी होगी. उसके बाद जवानों ने एकजुट होकर ऐसा काम किया कि उस समय सर्वोत्कृष्ट कमांडो फोर्स के रूप में इसका नाम आया और सम्मान मिला.
विनय कुमार सिंह ने कहा कि बिहार के लोगों में कोई कमी नहीं है और हम लोग सम्राट अशोक के वंशज हैं, वीर कुंवर सिंह के वंशज है. जिन्होंने अंग्रेजों से एक भी लड़ाई नहीं हारी, बैलगाड़ी के युग में पटना से अफगानिस्तान तक यही पाटलिपुत्र राज करता था. आज भी हम ऐसा कर सकते हैं लेकिन इसके लिए लोगों को जगाने की जरूरत है जो सोए हुए हैं.
पूर्व आईपीएस अधिकारी ने कहा कि वह लोगों के इसी चेतना को जगाने की कोशिश कर रहे हैं. लोगों को गौरवशाली इतिहास बताते हुए यह बता रहे हैं कि उनमें प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, अगर आज आप जब जाते हैं, शिक्षा के प्रति सजग हो जाते हैं, लोकतंत्र में उम्मीदवार चुनने के प्रति सजग हो जाते हैं, समाज से भ्रष्टाचार और बुराइयों को दूर करने के लिए सजग हो जाते हैं, तो आने वाले समय में आपका और आपके आने वाली पीढ़ियों का भविष्य स्वर्णिम होगा.
1987 बैच के अधिकारी हैं विनय कुमार सिंह: विनय कुमार सिंह 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और साल 2020 में उन्होंने रिटायरमेंट से 1 वर्ष पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले लिया और इसके बाद से वो बिहार में सामाजिक कार्य में लग गए हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में विनय कुमार सिंह ने बताया कि आजादी के 75 वर्षों के बाद भी बिहार में जो विकास होना चाहिए था, वह नहीं हुआ और आज भी सभी सूचकांकों में बिहार देशभर में निचले स्थान पर है. इसके लिए उन्होंने बिहार के लोगों को जिम्मेदार ठहराया है.
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