पटना: पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय (Patliputra University) प्रबंधन की गलतियों का खामियाजा विश्वविद्यालय के सैकड़ों छात्र भुगत रहे हैं. सत्र 2018-21 और 2019-22 बैच के लगभग 1600 ऐसे छात्र हैं, जो फर्स्ट ईयर में फेल हैं. लेकिन विश्वविद्यालय ने बिना फर्स्ट ईयर क्लियर किए, ऐसे छात्रों का थर्ड ईयर का परीक्षा ले लिया. थर्ड ईयर की परीक्षा में जब छात्र उत्तीर्ण हो गए हैं, तब उनका रिजल्ट पेंडिंग (Result of hundreds of students Pending) हो गया है, क्योंकि अब फर्स्ट ईयर में जो उनका बैक पेपर है, उसकी परीक्षा नहीं ली जा रही.
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अधड़ में लटका छात्रों का भविष्य: छात्रों का कहना है कि प्रथम वर्ष की परीक्षा को लेकर विश्वविद्यालय की ओर से फॉर्म भी भरा लिया गया है, लेकिन अब विश्वविद्यालय प्रबंधन कह रहा है कि गलती से फॉर्म भरा लिया गया है, ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. उन लोगों की अब परीक्षा नहीं ली जाएगी. छात्रों को फिर से 4 साल के नए स्नातक कोर्स में दाखिला लेना होगा.
करीब 1600 छात्रों का रिजल्ट अटका: सत्र 2018 21 और 2019-22 बैच के 2 दर्जन से अधिक छात्र-छात्राएं सोमवार को बीजेपी कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी से मिलने पहुंचे. जहां उनसे मिलकर अपनी समस्या बताई. सम्राट चौधरी से मिलकर निकलने के बाद 2018-21 बैच के छात्र अभिषेक भारद्वाज ने बताया कि उनका फर्स्ट ईयर में एक पेपर बैक रह गया और सेकंड ईयर में कोरोना के कारण वह परीक्षा में सम्मिलित नहीं हो पाए. कोरोना के कारण बीच में कुछ वर्ष परीक्षा नहीं हुआ. अचानक से सेकंड ईयर थर्ड ईयर की परीक्षा ले ली गई. वह सेकंड ईयर, थर्ड ईयर उत्तीर्ण कर गए हैं और अब कुछ दिनों पहले फर्स्ट ईयर के बैक पेपर को क्लियर करने के लिए फॉर्म निकला था, जिसे उन्होंने भर दिया लेकिन अब एडमिट कार्ड नहीं आया.
फिर से एडमिशन लेने के लिए कह रहा प्रबंधन: अभिषेक भारद्वाज ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रबंधन का रहा है कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है और गलती से फॉर्म का डेट निकल गया. एजेंसी की गलती से ऐसा हुआ है. छात्रों को फॉर्म का पैसा वापस लौटा दिया जाएगा. अभिषेक ने बताया कि कहीं भी अन्य विश्वविद्यालयों में बिना फर्स्ट ईयर क्लियर किए थर्ड ईयर की फाइनल परीक्षा नहीं देने दी जाती है. विश्वविद्यालय प्रबंधन से जब मिलने गए तो उनका कहना है कि उन लोगों के कोर्स का समय खत्म हो चुका है, अब कुछ नहीं हो पाएगा. फिर से 4 साल के नए स्नातक कोर्स जो नई शिक्षा नीति के तहत इस वर्ष से लागू हो रही है उस में दाखिला लेना पड़ेगा.
"लगभग 1600 छात्र हैं, जो फर्स्ट ईयर के एक सब्जेक्ट में फेल है. सेकंड ईयर और थर्ड ईयर पास कर चुके हैं. 2018 बैच और 2019 बैच के सभी छात्र हैं और कोरोना के कारण पहले ही सेशन काफी लेट हो चुका है. विश्वविद्यालय प्रबंधन से जब मिलने जाते हैं तो हम लोगों को भगा दिया जाता है और कहा जाता है कि कुछ नहीं हो पाएगा. फिर से 4 साल का ग्रेजुएशन कोर्स करना होगा. इस मसले को लेकर जब हमलोग राजभवन में गये तो राज्यपाल ने हम लोगों की बातों को सुना और विश्वविद्यालय को इस समस्या का निदान जल्द निकालने का निर्देश दिया. लेकिन कई दिन हो गए हैं विश्वविद्यालय में परीक्षा भी शुरू हो गई है और विश्वविद्यालय प्रबंधन ने कोई निदान नहीं निकाला है."- नीरज कुमार झा, छात्र
प्रबंधन कह रहा सेशन हो गया समाप्त: छात्र सौरव राज ने बताया कि वह 2019-22 बैच के छात्र हैं. सेकंड ईयर थर्ड ईयर क्लियर है. फर्स्ट ईयर की एक सब्जेक्ट में बैक है. कुछ दिनों पूर्व विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा उन लोगों के फर्स्ट ईयर को क्लियर कराने के लिए बैक पेपर का फॉर्म भी भरा लिया गया. लेकिन जब एडमिट कार्ड देने की बारी आई तो बताया गया कि उन लोगों का एडमिट कार्ड जारी नहीं होगा, क्योंकि थर्ड ईयर वह लोग क्लियर कर चुके हैं और उनके सेशन का समय समाप्त हो चुका है.
"फर्स्ट ईयर का एक सब्जेक्ट बैक होने के कारण पूरा ग्रेजुर्वेशन की डिग्री फंस गया है. अब विश्वविद्यालय प्रबंधन कह रहा है फिर से नई शिक्षा नीति के तहत स्नातक कोर्स में दाखिला लें. 5 साल पहले ही खत्म हो चुका है और अब फिर से 4 साल यानी 9 साल में ग्रेजुएशन सरासर अनुचित है. जबकि एक पेपरबैक है. हम लोगों ने राज्यपाल का भी दरवाजा खटखटाया, राजनेताओं का भी दरवाजा खटखटा रहे हैं और हमारी गुहार यही है कि किसी प्रकार एक पेपर के बैक के कारण पूरे ग्रेजुएशन की डिग्री को बर्बाद नहीं होने दिया जाए."- सौरव राज, छात्र
बिना पढ़ाई के हुआ एग्जाम: छात्रा नेहा कुमारी ने बताया कि कोरोना के समय पढ़ाई नहीं हुई और परीक्षा ले ली गई. बहुत सारे विद्यार्थी फेल हुए. फर्स्ट ईयर से थर्ड ईयर तक सारा पेपर क्लियर है. फर्स्ट ईयर का मात्र एक पेपर में बैक लगा हुआ है. बैक पेपर क्लियर करने के लिए उन लोगों का फॉर्म भी भरा लिया गया लेकिन जब एडमिट कार्ड देने की बारी आई तो कहा जा रहा है कि उन लोगों का एडमिट कार्ड जारी नहीं होगा. इसके साथ ही परीक्षा भी शुरू कर दी गई है. लगभग 371 छात्रों ने बैक पेपर का फॉर्म भरा था.
"3 साल का कोर्स पहले से ही 5 साल का हो गया है और अब विश्वविद्यालय कह रहा है कि फिर से 4 साल के स्नातक कोर्स में दाखिला लें. इस समय हम लोग मानसिक रूप से काफी प्रताड़ना झेल रहे हैं और हमारी स्थिति ऐसी है कि आगे फिर से 4 साल परिवार नहीं पढ़ाएगा. हम हर किसी के पास जाकर यही गुहार लगा रहे हैं कि एक पेपर में बैक होने की वजह से पूरा ग्रेजुएशन की डिग्री बर्बाद ना होने दिया जाए. हम लोगों को एक मौका दिया जाए."- नेहा कुमारी, छात्रा
"फर्स्ट ईयर का एक पेपर बैक है. 2021 में फर्स्ट ईयर सेकंड ईयर का एक साथ परीक्षा ले ली गई थी. ऐसे में सेकंड ईयर में उन लोगों को फर्स्ट ईयर के बैक पेपर को क्लियर करने का मौका नहीं मिला. फिर इसके बाद उन लोगों को थर्ड ईयर का परीक्षा देने का फॉर्म भरा लिया गया. थर्ड ईयर भी क्लियर हो गया है और फर्स्ट ईयर की एक बैक पेपर के कारण डिग्री फंसी हुई है. विश्वविद्यालय के कुलपति के पास जब इस मामले को लेकर गए तो उन्होंने कहा कि फिर से 4 साल के नए स्नातक कोर्स में दाखिला लें और 4 साल ग्रेजुएशन की पढ़ाई करें. तभी ग्रेजुएशन की डिग्री मिलेगी."- सरिता कुमारी, छात्रा