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हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर पटना सिटी के सब जज से जवाब तलब - ईटीवी भारत न्यूज

पटना हाईकोर्ट में बिहार राज्य परीक्षा समिति (Bihar State Examination Committee) के परीक्षा हॉल और केंद्र के निर्माण को लेकर दायर याचिक पर सुनवाई हुई. जिसमें जस्टिस सन्दीप कुमार ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर पटना सिटी के सब जज 6 से जवाब तलब किया है.

पटना हाईकोर्ट में सुनवाई
पटना हाईकोर्ट में सुनवाई
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Published : Nov 15, 2022, 11:06 PM IST

पटना: पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने आदेश का अनुपालन नहीं करने पर खुद अपने अधीन के न्यायिक पदाधिकारी से जवाब तलब किया है. जस्टिस सन्दीप कुमार (Justice Sandeep Kumar) ने आफताब हुसैन की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना सिटी के सब जज 6 को एक सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने उन्हें बताने को कहा कि इस मामले में हाई कोर्ट ने जो निर्देश सब जज महोदय को दिया था, उसका अनुपालन किस प्रकार से हुआ है.

यह भी पढ़ें: PMCH में बंद पड़ी डायलिसिस मशीनों पर हुई HC में सुनवाई, पीएमसीएच अधीक्षक से जवाब तलब

साढ़ें पांच एकड़ जमीन का मामला: ये मामला पटना के सुल्तानगंज थाना क्षेत्र के संदलपुर के धनुकी मौजा स्थित साढ़े पांच एकड़ जमीन पर राज्य परीक्षा समिति के परीक्षा हॉल और केंद्र के निर्माण का है. इसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि इस पूरे भूमि पर टाईटल सूट के तहत पटना सिटी के सब जज की अदालत में मुकदमा चल रहा है. इस पर निचली अदालत से निषेद्याज्ञा तक जारी है. परीक्षा केंद्र का निर्माण उक्त निषेध आज्ञा के उल्लंघन कर किया जा रहा है.

सब जज को एक हफ्ते में देना है जवाब: राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इस टाईटल सूट में जब राज्य सरकार पक्षकार है ही नहीं, तो उसपर वह निषेद्य आज्ञा लागू नहीं होती और ना ही कोई बंदिश है. फिर भी न्यायहित में पटना डीएम ने इस टाइटल सूट मे पक्षकार बनने की इजाजत मांगी. जिसे हाईकोर्ट ने गत 4 जुलाई को मंजूरी देते हुए सम्बन्धित निचली अदालत को निर्देश दिया था कि राज्य सरकार की तरफ से पक्षकार बनाने के लिए जो आवेदन पड़ेगा, उस पर रोजाना सुनवाई करते हुए निचली अदालत उसका निष्पादन दो हफ्ते में कर देगी.

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से हाई कोर्ट को बताया गया कि पटना सिटी के सब जज 6 के समक्ष आवेदन देने के बावजूद हाई कोर्ट आदेश के तहत रोज़ाना सुनवाई नहीं हुई. उल्टा अगली सुनवाई की तिथि 4 महीने के बाद निश्चित किया गया. जस्टिस सन्दीप कुमार ने आश्चर्य जताते हुए कहा पटना सिटी के अवर न्यायाधीश को हाईकोर्ट का आदेश समझ में नहीं आता या, आदेश समझने के बावजूद उसका अनुपालन नहीं करते हुए अवमानना कर रहे हैं. दोनों ही स्थितियों में वे अपनी कुर्सी पर बने रहने लायक नहीं हैं. मामले में अलगी सुनवाई एक हफ्ते बाद होगी.

पटना: पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने आदेश का अनुपालन नहीं करने पर खुद अपने अधीन के न्यायिक पदाधिकारी से जवाब तलब किया है. जस्टिस सन्दीप कुमार (Justice Sandeep Kumar) ने आफताब हुसैन की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना सिटी के सब जज 6 को एक सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने उन्हें बताने को कहा कि इस मामले में हाई कोर्ट ने जो निर्देश सब जज महोदय को दिया था, उसका अनुपालन किस प्रकार से हुआ है.

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साढ़ें पांच एकड़ जमीन का मामला: ये मामला पटना के सुल्तानगंज थाना क्षेत्र के संदलपुर के धनुकी मौजा स्थित साढ़े पांच एकड़ जमीन पर राज्य परीक्षा समिति के परीक्षा हॉल और केंद्र के निर्माण का है. इसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि इस पूरे भूमि पर टाईटल सूट के तहत पटना सिटी के सब जज की अदालत में मुकदमा चल रहा है. इस पर निचली अदालत से निषेद्याज्ञा तक जारी है. परीक्षा केंद्र का निर्माण उक्त निषेध आज्ञा के उल्लंघन कर किया जा रहा है.

सब जज को एक हफ्ते में देना है जवाब: राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इस टाईटल सूट में जब राज्य सरकार पक्षकार है ही नहीं, तो उसपर वह निषेद्य आज्ञा लागू नहीं होती और ना ही कोई बंदिश है. फिर भी न्यायहित में पटना डीएम ने इस टाइटल सूट मे पक्षकार बनने की इजाजत मांगी. जिसे हाईकोर्ट ने गत 4 जुलाई को मंजूरी देते हुए सम्बन्धित निचली अदालत को निर्देश दिया था कि राज्य सरकार की तरफ से पक्षकार बनाने के लिए जो आवेदन पड़ेगा, उस पर रोजाना सुनवाई करते हुए निचली अदालत उसका निष्पादन दो हफ्ते में कर देगी.

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से हाई कोर्ट को बताया गया कि पटना सिटी के सब जज 6 के समक्ष आवेदन देने के बावजूद हाई कोर्ट आदेश के तहत रोज़ाना सुनवाई नहीं हुई. उल्टा अगली सुनवाई की तिथि 4 महीने के बाद निश्चित किया गया. जस्टिस सन्दीप कुमार ने आश्चर्य जताते हुए कहा पटना सिटी के अवर न्यायाधीश को हाईकोर्ट का आदेश समझ में नहीं आता या, आदेश समझने के बावजूद उसका अनुपालन नहीं करते हुए अवमानना कर रहे हैं. दोनों ही स्थितियों में वे अपनी कुर्सी पर बने रहने लायक नहीं हैं. मामले में अलगी सुनवाई एक हफ्ते बाद होगी.

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