पटना: देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद के स्मारकों की दयनीय हालत (Monuments Of Dr Rajendra Prasad) के सम्बन्ध में दायर जनहित याचिका पर पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) में सुनवाई हुई. इस मामले में आर्किलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के क्षेत्रीय निदेशक पटना स्थित राजेंद्र स्मृति 1 और 2 का पटना के डीएम के साथ जायजा लेकर आज कोर्ट को रिपोर्ट किया. अधिवक्ता विकास कुमार की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल(Chief Justice Sanjay Karol) की खंडपीठ ने सुनवाई की.
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कोर्ट ने अर्कीलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से जानना चाहा कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद से सम्बंधित स्मारकों को देख रेख कर सकता है या नहीं. इस पर अर्कीलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से बताया गया कि जो सौ वर्ष से पुराने स्मारक हैं, ये उनकी ही देख रेख कर सकते हैं. कोर्ट ने उनसे कहा कि वे विशेष परिस्थिति में क्या वे इसके देख रेख का जिम्मा ले सकते हैं. महाधिवक्ता ललित किशोर ने बताया कि कोर्ट ने जानना चाहा कि डॉ राजेंद्र प्रसाद से सदाकत आश्रम, बांसघाट और जीरादेई स्थित स्मारकों को अपने नियंत्रण में लेकर देख भाल कर सकते हैं. इस मामलें पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी. पिछली सुनवाई में कोर्ट को क्या बताया गया था? पढ़ें इस खबर में.. डॉ राजेन्द्र प्रसाद के स्मारकों की दयनीय स्थिति पर हाईकोर्ट में सुनवाई, डीएम को जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश
पटना कोर्ट में इन मामलों पर भी हुई सुनवाई: राजीव रंजन सिंह की बिहार में राष्ट्रीय राजमार्गों की खस्ताहाल स्थिति से सम्बंधित जनहित याचिका पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने गंडक नदी पर पुल समेत अन्य योजनाओं के पूरा में विलम्ब होने पर सख्त रुख अपनाया. कोर्ट ने गंडक नदी पर पुल हाजीपुर के रामाशीष चौक, अजानपीर ओवर ब्रिज, बीएसएनएल गोलम्बर आदि योजनाओं का मौके पर जायजा लेने के एक टीम गठित की है. इस टीम में सारण और वैशाली के डीएम, एनएचएआई के अधिकारी, सड़क व पुल निर्माण करने वाली कंपनी के प्रबंध निदेशक और अधिवक्ता सिद्धार्थ प्रसाद शामिल है. कोर्ट ने इन्हें इन योजनाओं के अलावे अन्य अधूरे बने सड़कों का आज ही जायजा लेकर रिपोर्ट अगले सप्ताह में पेश करने का निर्देश दिया है. इस मामलें पर अगली सुनवाई 25 अप्रैल, 2022 को होगी.
उत्पाद कोर्ट के बुनियादी सुविधाओं के मामले पर सुनवाई: राज्य के उत्पाद कोर्ट के बुनियादी सुविधाओं के नहीं होने और विकास के मामले पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की. जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई उत्पाद कोर्ट समेत अन्य कोर्ट में बुनियादी सुविधाओं के अभाव पर सख्त रुख अपनाया. कोर्ट ने कहा कि राज्य में उत्पाद कानून से सम्बंधित मामलें बड़ी संख्या में सुनवाई के लिए लंबित हैं. लेकिन उत्पाद कोर्ट के गठन और सुविधाएं उपलब्ध कराने की रफ्तार धीमी हैं. कोर्ट ने उत्पाद कानून में राज्य सरकार द्वारा किये गए संशोधन की प्रति अगली सुनवाई में कोर्ट के समक्ष रखने को कहा.
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उत्पाद कोर्ट के भवन पर उठा सवाल: कोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा था कि सीबीआई, श्रम न्यायलयों और अन्य कोर्ट के लिए अलग-अलग भवन की व्यवस्था है, तो उत्पाद कोर्ट के लिए अलग भवन की व्यवस्था क्यों नहीं की जा रही है. महाधिकवक्ता ललित किशोर ने राज्य सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए कोर्ट को बताया था कि सभी 74 उत्पाद कोर्ट के लिए जजों की बहाली हो चुकी हैं. साथ ही 666 सहायक कर्मचारियों की बहाली के लिए स्वीकृति दे दी गई हैं. उन्होंने सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार इन उत्पाद कोर्ट के एक फ्लोर उपलब्ध कराने की जाने की व्यवस्था की जा रही. सही ढंग से के लिए बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए राज्य सरकार लगातार प्रयासरत हैं. इस मामलें पर अगली सुनवाई 27 अप्रैल,2022 को होगी.
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