पटनाः बिहार में दो अक्टूबर को जातिगत गणना की रिपोर्ट जारी की गयी थी. इसके बाद राष्ट्रीय लोक जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने रिपोर्ट के सही होने पर आशंका जाहिर करते हुए कहा था कि उनके यहां कोई भी गणना करने नहीं आया था. इसके बाद जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा के घर जाकर गणना की गई थी, इसका सबूत पेश करते हुए उनकी तमाम जानकारियों को साझा किया. भाजपा सांसद सुशील मोदी ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज की है.
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सरकार को देना होगा जवाबः भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि न्यायालय में शपथपत्र देकर राज्य सरकार ने जातीय सर्वे के व्यक्तिगत आंकड़े को सार्वजनिक नहीं करने की बात कही थी. इसके बाद भी उपेंद्र कुशवाहा के परिवार के आंकड़े जारी होना कई सवाल खड़े करता है. मोदी ने सवाल उठाये कि जदयू प्रवक्ता के पास ये आंकड़े कैसे आये? कितने लोगों के ऐसे आंकड़े लीक किये गए, ऐसे सवालों का उत्तर सरकार को देना होगा.
"कुशवाहा या किसी भी व्यक्ति के आंकड़े जारी करना निजता के अधिकार का उल्लंघन और कोर्ट की अवमानना है. सर्वे में फर्जीवाड़ा होने और कई जातियों की संख्या बहुत कम या बहुत ज्यादा दर्ज करने की शिकायतों को भी गंभीरता से लिया जाना चाहिए. जातीय सर्वे को पूरी तरह त्रुटिहीन और प्रमाणिक बता कर मुख्यमंत्री सारी गड़बड़ियों पर पर्दा डाल रहे हैं."- सुशील मोदी, राज्यसभा सांसद, भाजपा
जदयू ने कुशवाहा की जानकारी साझा कीः उपेंद्र कुशवाहा के आरोपों पर जदयू बौखला गया. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने मोर्चा संभाल लिया. जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा पर पलटवार करते हुए कहा कि जातिगत जनगणना की रिपोर्ट के अंदर कोई त्रुटि नहीं है. नीरज कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा के घर जाकर गणना की गई थी उसका सबूत पेश करते हुए उनकी तमाम जानकारियों को साझा किया.
क्या कहा था उपेंद्र कुशवाहा नेः उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था कि जो रिपोर्ट जारी की गयी है उसे लोग शंका की दृष्टि से देख रहे हैं. जातीय गणना में भारी गड़बड़ी हुई है. कई लोगों ने शिकायत की है कि उनसे कभी जाति पूछने के लिए कोई नहीं आया, तो फिर किस आधार पर सरकार ने जातीय गणना करवाया है. हमें पता नहीं चल रहा है.
बिहार में जातिगत गणना का आंकड़ा जारीः सोमवार को पटना में प्रेस कांफ्रेंस में प्रभारी मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने इसकी जानकारी दी. विभागीय जानकारी के अनुसार 215 जातियों का आंकड़ा जारी कर दिया गया है. सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 36 फीसदी अत्यंत पिछड़ा, 27 फीसदी पिछड़ा वर्ग, 19 फीसदी से थोड़ी ज्यादा अनुसूचित जाति और 1.68 फीसदी अनुसूचित जनजाति बताई गई है. जातीय गणना में बिहार की कुल आबादी 13, 01725310 है.
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