पटना: बिहार में भारतीय जनता पार्टी बदलाव के दौर से गुजर रही है. पार्टी के तीन पुरोधा किनारे किए जा चुके हैं. बिहार भाजपा की जिम्मेदारी सुशील मोदी, नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार के कंधों पर थी. तीनों नेता भाजपा की कोर कमेटी में शामिल थे. सुशील मोदी और नंदकिशोर यादव प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं.
भाजपा पर लगता था जदयू की बी टीम होने का आरोप
सुशील मोदी को पार्टी ने राज्यसभा भेजकर संकेत दिया है. बिहार भाजपा पर लंबे समय से यह आरोप लग रहा था कि भाजपा बिहार में जदयू की बी टीम के रूप में काम कर रही है. सरकार में शामिल भाजपा कोटे के मंत्रियों का सामंजस्य पार्टी से नहीं था. भाजपा में सुशील मोदी का कद इतना बड़ा था कि उनके फैसले पर उंगली उठाने की हैसियत किसी नेता में नहीं थी.
सुशील मोदी के साथ प्रेम कुमार और नंदकिशोर यादव कोर कमेटी में शामिल थे. दोनों नेताओं की मदद से सुशील मोदी अपनी रणनीति को अंजाम देने में कामयाब हो जाते थे. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और अश्विनी चौबे तीनों नेताओं के एकाधिकार को लेकर सवाल उठाते रहते थे.
सुशील मोदी पर लगता था नीतीश का एजेंडा लागू करने का आरोप
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और सुशील मोदी के बीच रिश्ते काफी अच्छे थे. सुशील मोदी पर अक्सर यह आरोप लगता रहता है कि वह नीतीश कुमार के एजेंडे को भाजपा में लागू करते हैं. कई बार टिकट बंटवारे में भी इसकी छाया देखने को मिली. इस बार विधानसभा चुनाव के दौरान जब नीतीश कुमार ने देवेंद्र फडणवीस और भूपेंद्र यादव को यह कह कर लौटा दिया कि सुशील मोदी से बात हो गई है तो भाजपा के केंद्रीय नेताओं का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया था. नीतीश को संदेश दिया गया कि केंद्र ने जिन नेताओं को भेजा है वही सीट शेयरिंग पर बात करेंगे.
सुशील मोदी का कद पार्टी में अब भी कम नहीं हुआ है. जब उपमुख्यमंत्री के पद के लिए सुशील मोदी को छोड़कर दूसरे नाम सामने लाने की चर्चा हुई तब उन्होंने इसका विरोध किया था. उन्होंने अपने चहेते नेताओं को उपमुख्यमंत्री के लिए प्रस्तावित किया था.
तीन युवा नेता उभरकर आए हैं सामने
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को यह चिंता है कि सुशील मोदी, नंदकिशोर और प्रेम कुमार के बाद बिहार में भाजपा का क्या होगा? क्योंकि तीनों नेताओं की उम्र 70 के आसपास है. ऐसे में पार्टी ने युवाओं को आगे करने के लिए ठोस रणनीति तैयार कर ली है. बिहार भाजपा के तीन युवा नेता राज्य की राजनीतिक क्षितिज पर उभरकर सामने आए हैं. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे पर केंद्रीय नेतृत्व को भरोसा है.
विधानसभा चुनाव के दौरान भी तीनों नेताओं के कंधों पर केंद्रीय नेतृत्व ने बड़ी जिम्मेदारी दी थी. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय को चुनाव संचालन समिति का अध्यक्ष बनाया गया था. मंगल पांडे को चुनाव प्रबंधन समिति का अध्यक्ष बनाया गया था. चुनावी सफलता के बाद नित्यानंद राय की भूमिका और कद पार्टी के अंदर बढ़ी है.
युवा चेहरों को आगे लाने की तैयारी
वरिष्ठ पत्रकार सरोज सिंह का मानना है कि बिहार भाजपा और युवा चेहरों को आगे लाने की तैयारी कर रही है. मंत्रिमंडल विस्तार में भी इसकी झलक देखने को मिलेगी. आने वाले दिनों में बिहार भाजपा की बागडोर युवाओं के कंधों पर होगी. राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का कहना है कि भाजपा ने तीन युवा नेता संजय जयसवाल, नित्यानंद राय और मंगल पांडेय पर भरोसा जताया है. विधानसभा चुनाव के दौरान तीनों नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी और तीनों ने उसे बखूबी निभाया भी. केंद्रीय नेतृत्व भविष्य में तीनों नेताओं के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी देने जा रही है.
इन नेताओं ने बीजेपी को किया मजबूत
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 की मजबूत रणनीति बिहार के युवा नेताओं द्वारा बनाई गई थी. नित्यानंद राय, संजय जायसवाल और मंगल पांडेय ने चुनाव में महत्वपूर्ण रोल निभाया और बीजेपी को बिहार एनडीए में छोटे भाई से बड़े भाई की भूमिका में पहुंचा दिया. इन तीनों नेताओं को आगे बढ़ाकर केंद्रीय नेतृत्व बिहार के सामाजिक समीकरण को भी साधने में जुटी है.
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल वैश्य वर्ग से आते हैं. उन्हें आगे बढ़ाकर पार्टी अपने परंपरागत वोट बैंक को मजबूत करने में जुटी है. जायसवाल की छवि जमीनी नेता की है. इसके साथ ही उन्हें संगठन का भी अच्छा अनुभव है. नित्यानंद राय यादव समाज से आते हैं. इन्हें आगे बढ़ाकर बीजेपी राजद के यादव वोट बैंक में सेंध लगाने में जुटी है. नित्यानंद राय पहले भी अच्छा परफॉर्म कर चुके हैं. यही कारण है कि उन्हें केंद्र में मंत्री बनाया गया है. मंगल पांडेय पिछली सरकार में भी स्वास्थ्य मंत्री थे और नई सरकार में भी स्वास्थ्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. राष्ट्रीय स्तर पर मंगल पांडेय की पहचान एक सशक्त संगठनकर्ता की है. यही कारण है कि पार्टी ने उन्हें झारखंड और हिमाचल प्रदेश का चुनाव प्रभारी बनाया था.