पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू और बीजेपी से टिकट नहीं मिलने के कारण कई नेता लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे. ऐसे सभी नेता चुनाव हार गए. ऐसे नेताओं को लोजपा में अब अपना कोई भविष्य नहीं दिख रहा है. अब वे वापस अपनी पार्टी में लौटने की कोशिश में लगे हैं. बीजेपी से गए रामेश्वर चौरसिया ने लोजपा से इस्तीफा दे दिया है और भाजपा में लौटने की कोशिश कर रहे हैं. भगवान सिंह कुशवाहा प्रयास कर रहे हैं कि उन्हें जदयू में जगह मिल जाए.
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जेडीयू और बीजेपी के बागियों के लिए विधानसभा चुनाव में लोजपा का प्लेटफार्म मिला था, लेकिन सब के सब चुनाव हार गए. खुद तो हारे ही अपनी पुरानी पार्टी के उम्मीदवार को भी हरा दिया. भगवान सिंह को 45000 वोट मिले तो जदयू के उम्मीदवार को उनसे भी कम 25000 वोट मिले. इसी तरह बीजेपी से गए रामेश्वर चौरसिया भी चुनाव हार गए.
खुद तो हारे ही अपनी पुरानी पार्टी के उम्मीदवार को भी हरा दिया
करगहर से बीजेपी के राजेंद्र सिंह भी चुनाव नहीं जीत सके. जदयू के जय कुमार सिंह भी चुनाव हार गए. जदयू से बागी होकर बीजेपी के मिथिलेश तिवारी के खिलाफ गोपालगंज के बैकुंठपुर से चुनाव लड़ने वाले मंजीत सिंह खुद तो हारे मिथिलेश तिवारी को भी हरा दिया. इसी तरह पालीगंज से उषा विद्यार्थी ने भी बीजेपी से बागी होकर लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और चुनाव हार गई. अधिकांश नेता अब फिर से जेडीयू और बीजेपी में लौटना चाहते हैं. भगवान सिंह कुशवाहा का कहना है कि लोजपा से चुनाव लड़ना जदयू में फिर से लौटने में मुश्किल नहीं बनेगा. क्योंकि जब उपेंद्र कुशवाहा की वापसी हो सकती है तो मेरी क्यों नहीं?
"लोजपा के टिकट से चुनाव लड़ना जदयू में वापसी के लिए कोई परेशानी की बात नहीं है. उपेंद्र कुशवाहा तो अलग ही चुनाव लड़े थे. अगर वह अलग चुनाव लड़कर जदयू में शामिल हो सकते हैं तो मेरे मामले में क्या दिक्कत होगी."- भगवान सिंह कुशवाहा
"जो लोग हमारे नेता नीतीश कुमार के सिद्धांत पर विश्वास करते हैं. अगर वे भूल-चूक वश इधर-उधर चले गए हैं. वे पार्टी की नीति, सिद्धांत और नेता में विश्वास करते हैं तो ऐसे लोगों पर पार्टी विचार करेगी."- उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष, जदयू
पार्टी में बागियों का लौटना नहीं आसान
बीजेपी और जदयू के बागी जिस प्रकार से लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे और बीजेपी व जदयू के उम्मीदवारों को हराया था ऐसे में उनके लिए फिर से पार्टी में वापसी आसान नहीं है. पार्टी के अंदर विद्रोह होने का भी खतरा है. ऐसे बागी नेता लगातार वरिष्ठ नेताओं से मिल रहे हैं और अपने लिए घर वापसी का माहौल बनाने में लगे हैं. ऐसे में देखना है कि उन्हें कितनी सफलता मिलती है.
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