पटना: बिहार में इन दिनों लगातार अपराध (Crime Graph In Bihar) और अपराधी बेलगाम होते दिख रहे हैं. इसी क्रम में पटना हाई कोर्ट के पीआईएल एक्सपर्ट और आरटीआई एक्टिविटी मणिभूषण सेंगर ने अपराध बढ़ने के कारणों के बारे में जानने की कोशिश की है. उन्होंने बिहार के डीजीपी संजीव कुमार सिंघल (Bihar DGP Sanjeev Kumar Singhal) से सूचना के अधिकार के माध्यम से कारण जानने की कोशिश की है. जिसके बाद पता चला कि राजधानी पटना ही नहीं पूरे बिहार में अपराध बढ़ने का मुख्य कारण अपराधियों का गिरफ्तारी से बाहर होना है. यानी कि पुलिस के माध्यम से अपराधी की गिरफ्तारी नहीं होना, एक मुख्य कारण पता चला है.
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दरअसल बिहार के डीजीपी संजीव कुमार सिंघल के आदेश के बावजूद भी उनके आदेशों की अवहेलना की जा रही है. बिहार पुलिस के महानिदेशक के माध्यम से साल 2020 में बिहार के सभी जिले के वरीय पुलिस अधीक्षक और पुलिस अधीक्षक को पत्र के माध्यम से सभी लंबित वारंट और कुर्की जब्ती के लिए निर्देश जारी किया गया है. लेकिन उसके बावजूद भी काफी कम संख्या में गिरफ्तारी और कुर्की जब्ती हुई है.
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लॉ एंड ऑर्डर सही करने और कानून के सामने अपराधियों का समर्थन कराने का सबसे बड़ा कारण कहीं न कहीं हथियार कुर्की जब्ती का होना है. कुर्की निकलते ही अपराधी इतने कमजोर पड़ जाते हैं कि उनके पास सरेंडर करने के सिवाय अन्य कोई उपाय नहीं होता है. पुलिस मुख्यालय के माध्यम से दी गई आरटीआई एक्टिविटी रिपोर्ट के अनुसार बिहार के भागलपुर में सबसे ज्यादा 2,449 कुर्की जब्ती के मामले लंबित हैं.
वहीं, दूसरे स्थान पर मुजफ्फरपुर जिले में न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के बावजूद भी 1,456 कुर्की जब्ती के आदेश लंबित हैं. ठीक इसी प्रकार लखीसराय में 313, वैशाली में 268, सीतामढ़ी में 192 और राजधानी पटना में 158 कुर्की जब्ती के मामले लंबित हैं. बिहार के पुलिस अपराध नियंत्रण और अपराधियों को सजा दिलवाने में कितनी ज्यादा मुस्तैद है इसका उदाहरण इस सूचना के अधिकार के तहत आए जवाब से प्रत्यक्ष प्रमाणित होता है.
राजधानी पटना में इस वर्ष यानी कि साल 2021 की जुलाई माह तक लगभग 59,014 वारंट और कुर्की जब्ती मामला लंबित है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि न्यायालय का आदेश कुर्की वारंट को पुलिस दौरा भयादोहन का साधन न बनाए बल्कि ससमय निष्पादन करें. लेकिन कहीं न कहीं न्यायालय के द्वारा दिए गए आदेश का बिहार पुलिस पालन नहीं करती दिख रही है. वर्तमान में वर्ष 2021 के जुलाई माह तक कुर्की के 5,663 मामले लंबित है. भोजपुर जैसे अपराध प्रभावित क्षेत्र में इस वर्ष जुलाई माह तक 12,000 से ज्यादा वारंट और कुर्की के मामले लंबित हैं.
दरअसल, पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता मणि भूषण प्रताप सेंगर सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत सूचना की मांग किए थे. जिसमें वर्ष 2018, 2019, 2020 और 21 जुलाई 2021 तक लंबित कुर्की का जिलेवार आंकड़ों की सूची मांगी गई थी. जिस पर पुलिस मुख्यालय के माध्यम से दी गई रिपोर्ट के अनुसार 30 जुलाई 2021 तक कुल 5,663 कुर्की के मामले लंबित बताए गए हैं.
वहीं, साल 2020 में 5,478, साल 2019 में 11,769, साथ ही साल 2018 में 10,377 कुर्की के मामले लंबित हैं. यही नहीं पुलिस मुख्यालय के रिपोर्ट पर गौर की जाए, तो बिहार के 4 जिले ऐसे भी हैं, जहां कुर्की निष्पादन के मामले जीरो हैं. इनमें शिवहर, नवगछिया, अरवल और बगहा शामिल है. पुलिस मुख्यालय के माध्यम से दी गई रिपोर्ट के आधार पर यह जरूर कहा जा सकता है कि बिहार में अपराध बढ़ने का कहीं न कहीं सबसे बड़ा कारण वरीय पुलिस अधिकारी के आदेश के बावजूद भी गिरफ्तारी या कुर्की जब्ती न होना है.
बिहार में अपराधी और अपराध दोनों बेलगाम है, इसका कारण कुछ तो होगा? जनहित याचिका दायर करने के उद्देश्य से यह जानना चाहा कि कहीं अपराधी गिरफ्त से बाहर तो नहीं है? इसी क्रम में मैंने बिहार के पुलिस महानिदेशक महोदय से सूचना मांगा हूं कि 2018 से लेकर 15 जुलाई 2021 तक कुल कुर्की और वारंट की डिटेल दी जाए. -मणि भूषण प्रताप सेंगर, एडवोकेट, पटना हाई कोर्ट