पटना: बिहार में जहरीली शराब से मौत (Death Due to Poisonous Liquor) का सिलसिला जारी है. मंगलवार को भी सारण जिले में जहरीली शराब से दो लोगों की मौत की खबर सामने आई है. जबकि कुछ रोज पहले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के गृह जिले नालंदा में जहरीली शराब 12 लोगों की जान गई है. साल 2021 की बात करें तो जहरीली शराब से एक-दो नहीं बल्कि पूरे 13 मामले सामने आए थे, जिसमें करीब 66 लोगों की मौत हुई थी. 28 अक्टूबर 2021 की रात मुजफ्फरपुर के सरैया थाना क्षेत्र में 8 लोगों की मौत के बाद हड़कंप मच गया था.
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वहीं, साल 2021 की शुरुआत में ही 18 जनवरी को जहरीली शराब से 5 लोगों की जान चली गई थी. 26 फरवरी को मनिहारी में दो लोगों की मौत हुई थी. नवादा जिले में जहरीली शराब पीने से नगर थाना क्षेत्र के डेढ़ दर्जन लोगों की मौत की बात सामने आई थी. जबकि साल 2021 के जुलाई महीने में पश्चिम चंपारण में एक दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. साल 2021 के नवंबर माह में ही गोपालगंज और पश्चिम चंपारण में कुल 35 मौत हुई थी. गोपालगंज जिले में 18 और पश्चिम चंपारण में 17 लोगों की जान जहरीली शराब के कारण चली गई थी.
दरअसल बिहार में शराबबंदी कानून (Liquor Prohibition Law in Bihar) लागू होने के बाद 2016 में स्वतंत्रता दिवस के दिन गोपालगंज के खजुर्बानी में 19 लोगों की मौत होने के बाद तहलका मच गया था. हालांकि इस मामले में कोर्ट द्वारा पहली बार शराब कांड में किसी को मौत की सजा भी सुनाई गई थी. कुल 9 लोगों को फांसी की सजा और 4 को उम्र कैद की सजा दी गई थी. शराबबंदी कानून के तहत अब तक लगभग 400000 लोगों को सजा हो चुकी है. बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद भी आखिर क्यों नहीं शराबबंदी कानून पूर्ण रूप से लागू हो पा रहा है, इसके कई कारण हैं. रक्षा विशेषज्ञ और पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स की मानें तो कई तरह कमियों की वजह से बिहार में पूर्ण रूप से शराब बंदी कानून नहीं लागू हो पा रहा है.
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शराबबंदी कानून पूर्ण रूप से बिहार में नहीं लागू होने का मुख्य कारण ये भी है कि बिना लोगों को अवेयर किए हुए इस कानून को लागू कर दिया गया था. जिसका परिणाम है कि लोग अभी भी शराब का सेवन कर रहे हैं और जहरीली शराब से लोगों की मौत हो रही है.
- बिहार के बॉर्डर पर सख्ती नहीं बरती जा रही है. ढील के कारण कहीं ना कहीं बिहार में अवैध रूप से दूसरे राज्यों से शराब पहुंच रही है.
- जिसके कंधे पर शराबबंदी कानून को लागू करवाने का जिम्मेवारी है, उसे ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी. जानकारी में ये बात सामने आती रहती है कि बिहार में पुलिसकर्मी भी शराब के धंधे में संलिप्त हैं. ऐसे में शराब की सप्लाई को रोक पाना मुमकिन नहीं है. यही वजह है कि बिहार में शराबबंदी फेल बताई जा रही है.
- बिहार सरकार के द्वारा सिर्फ चौकीदार थानेदार या फिर छोटे पुलिस अधिकारी पर कार्रवाई करने से शराबबंदी कानून पूर्ण रूप से बिहार में लागू नहीं हो पाएगा. जब तक कि बिहार के बड़े पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हो.
- विशेषज्ञों के अनुसार जिस तरह से बालू के अवैध धंधे में नीचे से लेकर ऊपर तक के अधिकारी इंवॉल्व थे, ठीक उसी प्रकार शराब के धंधे में भी बड़े अधिकारी के मिलीभगत के बिना यह नहीं सफल हो पाएगा.
- बिहार में पूर्ण शराबबंदी है, लेकिन बगल के राज्य में शराब पर कोई प्रतिबंध नहीं है. जिस वजह से बिहार में झारखंड, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से शराब पहुंच रही है.
- एक्सपर्ट के अनुसार झारखंड या अन्य राज्यों से दूसरे राज्यों में सप्लाई होने वाली शराब को बिहार के माफिया को ज्यादा पैसे में बेच रहे हैं.
- बिहार में लिमिटेड पुलिस फोर्स हैं. उन्हीं से कानून-व्यवस्था, बालू और शराब के साथ-साथ अन्य काम लिए जा रहे हैं. जिसका परिणाम है कि बिहार में शराबबंदी कानून सही से लागू नहीं हो पा रहा है. शराब बंदी के लिए अलग पुलिस फोर्स का गठन करना होगा.
- बेरोजगारी भी एक बड़ा कारण माना जा रहा है. बिहार में रोजगार नहीं होने के वजह से और शराब में मोटी कमाई की वजह से बिहार के युवा अब शराब के धंधे में जुट गए हैं.
- बिहार के बगल में पड़ोसी देश नेपाल में शराब पर किसी तरह की कोई बंदिश नहीं है. नेपाल से बिहार में कई ऐसे जगह से घुसने का रास्ता है, जहां पर किसी तरह की रोकटोक नहीं है. जिसका फायदा उठाकर शराब तस्कर नेपाल के रास्ते भी बिहार में शराब ला रहे हैं.
- बिहार सरकार को कानून में परिवर्तन लाना होगा. सभी दलों के साथ सर्वदलीय बैठक बुलाकर उनसे राय मशविरा कर ही शराबबंदी कानून को इंप्लीमेंट किया जा सकता है.
- शराब आज कोई पहली बार बिकने वाली चीज नहीं है. सदियों से लोग शराब का सेवन करते आए हैं, जो आदतन इसका सेवन करने वाले लोग हैं उनके लिए सरकार को कुछ वैकल्पिक रास्ता निकालना चाहिए.
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