पटना: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री (Former Chief Minister of Bihar) और हम के सुप्रीमो जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) अक्सर अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं. गुरुवार को दिल्ली में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (Hindustani Awam Morcha) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उन्होंने समान स्कूलिंग सिस्टम और दलितों के लिए अलग से वोटर लिस्ट बनाने की बात कही. जिस पर बिहार में सियासी बयानबाजी शुरू हो गयी. जिसको उनकी सहयोगी बीजेपी ने गलत बताया और विपक्ष ने कहा कि वह केवल बोलते हैं. उनकी बात को एनडीए में कोई भी सुनने वाला नहीं है. हालांकि जदयू ने उनके बयान से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि उनका बयान नहीं सुना.
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बता दें कि जीतन राम मांझी सुर्खियां में बने रहने के लिए विवादास्पद बयान देते रहते हैं. कुछ दिन पूर्व भगवान राम को लेकर उनकी विवादित टिप्पणी सामने आयी थी. फिर महर्षि बाल्मीकि को सबसे बड़ा संत और भगवान राम को काल्पनिक कहा. इसके बाद गुरुवार को दलितों के लिए अलग से वोटर लिस्ट बनाने की बात कही. जिसको बीजेपी ने गलत बताया और कहा कि इस देश मे ऐसा नहीं होना चाहिए.
वहीं, बीजेपी ने कहा कि वर्तमान में केंद्र सरकार सबका साथ और सबका विकास करने में विश्वास करती है और दलित, पीड़ित और शोषितों के कल्याण के लिए लगातार योजनाएं चलाई जा रही है. जहां तक गरीब और दलित बच्चे की पढ़ाई की बात है. वर्तमान सरकार में प्राइवेट स्कूल 25 प्रतिशत सीट पर गरीब बच्चों का मुफ्त में एडमिशन होता है और उनकी पढ़ाई व खर्च सरकार वहन करती है. जब केंद्र सरकार सब कुछ कर ही रही है तो फिर दलित वोटर के अलग से वोटर लिस्ट की जरूरत देश में कहां हैं?
वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौड़ ने कहा कि मांझी जी कब क्या बोल दे कुछ नहीं पता. जब वह मुख्यमंत्री थे, तो उन्हें समान शिक्षा नजर नहीं आयी. आज वह एनडीए में इस मांग को केन्द्र सरकार और राज्य सरकार से कहें. देश में दलित वोटर लिस्ट को अलग से बनाने की मांग कर रहे हैं, ये कैसी मांग हैं. इसको हम उचित नहीं मानते. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार दलितों के हक को मार रही है. उसकी लड़ाई कांग्रेस लड़ रही है, लेकिन अलग से दलित वोटर लिस्ट की वकालत नहीं करती.
हालांकि राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि मांझी जी सरकार में हैं फिर भी उन्हें सरकार से मांग करना पड़ता है. उनकी एक बात भी बीजेपी के लोग नहीं मानते फिर सरकार में बने रहने का क्या औचित्य है, वह सरकार से बाहर आयें. मांझी जी की कोई भी बात एनडीए गठबंधन में नहीं सुनी जाती. हालांकि मांझी के बयान पर राजद प्रवक्ता की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गयी.
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