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गवाहों की सुरक्षा के निर्णय पर सराहना के साथ सवाल उठा रहे हैं जानकार और विपक्षी नेता

डीएम दिवाकर का कहना है कि सबसे बड़ी चुनौती सरकार के लिए थानों को अतिरिक्त पावरफुल बनाना होगा. क्योंकि आज भी अधिकतर थाने भू-माफियाओं और दबंगों के साये में चलता है. इसमें गवाहों को कोर्ट में पेश करना और सुरक्षित घर पर वापस लाना पुलिस की जिम्मेदारी होगी.

patna
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ मदन मोहन झा
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Published : Jan 12, 2020, 3:32 PM IST

पटनाः सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के अनुसार बिहार सरकार ने गवाहों की सुरक्षा पर कैबिनेट से मुहर लगा दी. कैबिनेट के इस फैसले को ए एन सिन्हा सामाजिक शोध संस्थान के पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर अच्छा फैसला बता रहे हैं. वहीं, आगे आने वाली अड़चनों के बारे अगाह कर रहे हैं. दूसरी तरफ विपक्ष अन्य फैसलों की तरह ही इसे देख रही है जो असफल हो गए हैं.

ए एन सिन्हा सामाजिक शोध संस्थान के पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर का कहना है कि पहल अच्छी है. लेकिन जमीनी स्तर पर इसे उतारना सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी. दिवाकर कहते हैं कि गवाहों को सुरक्षा देने में पुलिस को अतिरिक्त पावर सरकार की तरफ से देनी होगी. कई मुकदमे के जाकर गवाह दबंग हो और असामाजिक तत्वों के दबाव में आ जाते हैं.

patna
सचिवालय

'दबंगों के साये में चल रहे थाने'
डीएम दिवाकर ने बताया कि सबसे बड़ी चुनौती सरकार के लिए थानों को अतिरिक्त पावरफुल बनाना होगा. क्योंकि आज भी अधिकतर थाने भू-माफियाओं और दबंगों के साये में चलता है. डीएम दिवाकर मानते हैं कि नीतीश सरकार की यह पहल काफी सराहनीय है. लेकिन यह वक्त ही बताएगा कि जमीनी स्तर पर या कितना सफल हो पा रहा.

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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा

कांग्रेस ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया
वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ मदन मोहन झा ने कहा कि सरकार कई प्रकार की निर्णय कई लेती है. लेकिन जमीनी हर किस को पता है. कांग्रेस नेता ने कहा कि निर्णय बहुत ही अच्छा है. पूर्व में भी नीतीश सरकार ने कई निर्णय लिए लेकिन जमीनी स्तर पर वह असफल हो गई. शराबबंदी कानून को लागू करने के नाम पर नीतीश सरकार और खासकर बिहार पुलिस कटघरे में खड़ी दिखती है. इसके बाद गवाह को सुरक्षा देने वाले निर्णय को बिहार पुलिस कितना सफलता पूर्ण निर्वाह कर पायेगी यह वक्त बतायेगा.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

पुलिस पर होगी बड़ी जिम्मेदारी
बता दें कि नीतीश कैबिनेट के निर्णय के बाद संवेदनशील और अतिसंवेदनशील सभा गवाहों पर पुलिस की विशेष निगरानी रहेगी. गृह विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक गवाहों को कोर्ट में पेश करना और सुरक्षित घर पर वापस लाना पुलिस की जिम्मेदारी होगी. इसके लिए बिहार सरकार अतिरिक्त मदद की भी व्यवस्था करेगी. अति संवेदनशील गवाहों को उनके घरों से अलग भी रखने की व्यवस्था बिहार सरकार कर सकती है. इसके अलावा सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में भी गवाहों को रखा जाएगा. नीतीश कुमार के इस निर्णय का जानकार और विपक्ष सराहना तो कर रहे हैं लेकिन इसे जमीनी स्तर पर उतारना बड़ी चुनौती मान रहे हैं.

पटनाः सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के अनुसार बिहार सरकार ने गवाहों की सुरक्षा पर कैबिनेट से मुहर लगा दी. कैबिनेट के इस फैसले को ए एन सिन्हा सामाजिक शोध संस्थान के पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर अच्छा फैसला बता रहे हैं. वहीं, आगे आने वाली अड़चनों के बारे अगाह कर रहे हैं. दूसरी तरफ विपक्ष अन्य फैसलों की तरह ही इसे देख रही है जो असफल हो गए हैं.

ए एन सिन्हा सामाजिक शोध संस्थान के पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर का कहना है कि पहल अच्छी है. लेकिन जमीनी स्तर पर इसे उतारना सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी. दिवाकर कहते हैं कि गवाहों को सुरक्षा देने में पुलिस को अतिरिक्त पावर सरकार की तरफ से देनी होगी. कई मुकदमे के जाकर गवाह दबंग हो और असामाजिक तत्वों के दबाव में आ जाते हैं.

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सचिवालय

'दबंगों के साये में चल रहे थाने'
डीएम दिवाकर ने बताया कि सबसे बड़ी चुनौती सरकार के लिए थानों को अतिरिक्त पावरफुल बनाना होगा. क्योंकि आज भी अधिकतर थाने भू-माफियाओं और दबंगों के साये में चलता है. डीएम दिवाकर मानते हैं कि नीतीश सरकार की यह पहल काफी सराहनीय है. लेकिन यह वक्त ही बताएगा कि जमीनी स्तर पर या कितना सफल हो पा रहा.

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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा

कांग्रेस ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया
वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ मदन मोहन झा ने कहा कि सरकार कई प्रकार की निर्णय कई लेती है. लेकिन जमीनी हर किस को पता है. कांग्रेस नेता ने कहा कि निर्णय बहुत ही अच्छा है. पूर्व में भी नीतीश सरकार ने कई निर्णय लिए लेकिन जमीनी स्तर पर वह असफल हो गई. शराबबंदी कानून को लागू करने के नाम पर नीतीश सरकार और खासकर बिहार पुलिस कटघरे में खड़ी दिखती है. इसके बाद गवाह को सुरक्षा देने वाले निर्णय को बिहार पुलिस कितना सफलता पूर्ण निर्वाह कर पायेगी यह वक्त बतायेगा.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

पुलिस पर होगी बड़ी जिम्मेदारी
बता दें कि नीतीश कैबिनेट के निर्णय के बाद संवेदनशील और अतिसंवेदनशील सभा गवाहों पर पुलिस की विशेष निगरानी रहेगी. गृह विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक गवाहों को कोर्ट में पेश करना और सुरक्षित घर पर वापस लाना पुलिस की जिम्मेदारी होगी. इसके लिए बिहार सरकार अतिरिक्त मदद की भी व्यवस्था करेगी. अति संवेदनशील गवाहों को उनके घरों से अलग भी रखने की व्यवस्था बिहार सरकार कर सकती है. इसके अलावा सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में भी गवाहों को रखा जाएगा. नीतीश कुमार के इस निर्णय का जानकार और विपक्ष सराहना तो कर रहे हैं लेकिन इसे जमीनी स्तर पर उतारना बड़ी चुनौती मान रहे हैं.

Intro:सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के अनुसार बिहार सरकार ने गवाहों की सुरक्षा पर कैबिनेट से मुहर लगा दी। नीतीश कैबिनेट के निर्णय के बाद संवेदनशील और अतिसंवेदनशील सभा गवाहों पर पुलिस की विशेष निगरानी रहेगी। गृह विभाग से मिली जानकारी के अनुसार गवाहों को कोर्ट में पेश करना और सुरक्षित घर पर वापस लाना पुलिस की जिम्मेदारी होगी। इसके लिए बिहार सरकार अतिरिक्त मदद की भी व्यवस्था करेगी।
अति संवेदनशील गवाहों को उनके घरों से अलग भी रखने की व्यवस्था बिहार सरकार कर सकती है इसके अलावा सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में भी गवाहों को रखा जाएगा।
नीतीश कुमार के इस निर्णय का जानकार और विपक्ष सराहना तो कर रहे हैं लेकिन इसे जमीनी स्तर पर उतारना बड़ी चुनौती मान रहे हैं।


Body:एन्सिनो के पूर्व निदेशक डीएन दिवाकर का मानना है कि यह अच्छी पहल है। लेकिन जमीनी स्तर पर इसे उतारना सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी।
दिवाकर कहते हैं कि गवाहों को सुरक्षा देने में पुलिस को अतिरिक्त शक्ति सरकार द्वारा प्रदान करनी होगी। आज भी कई मुकदमे के जाकर गवाह दबंग हो और असामाजिक तत्वों के दबाव में आ जाते हैं। सबसे बड़ी चुनौती सरकार के लिए थानों को अतिरिक्त शक्तिमान बनाना होगा।
क्योंकि आज भी अधिकतर थाने भू माफियाओं और दबंगों के साए में चलता है।
डीएम दिवाकर मानते हैं कि नीतीश सरकार की यह पहल काफी सराहनीय है। लेकिन यह वक्त ही बताएगा कि जमीनी स्तर पर या कितना सफल हो पा रहा।


Conclusion:कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डॉ मदन मोहन झा का मानना है कि सरकार तो निर्णय कई लेती है लेकिन जमीनी स्तर पर उसका हाल सभी जानते हैं। झा कहते हैं कि यह निर्णय तो बहुत ही बेहतर है । पूर्व में भी नीतीश सरकार ने कई निर्णय लिए लेकिन जमीनी स्तर पर वह असफल हो गई।
शराबबंदी कानून को लागू करने के नाम पर नीतीश सरकार और खासकर बिहार पुलिस कटघरे में खड़ी दिखती है। इसके बाद कला को सुरक्षा देने वाले निर्णय को बिहार पुलिस कितना सफलता पूर्ण निर्वाह कर पाएगी यह वक्त बताएगा।

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