पटना: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Election Strategist Prashant Kishor) ने सोमवार को अपने नए 'जन सुराज' अभियान का शंखनाद किया है. उन्होंने कहा कि वे इसकी शुरुआत बिहार से करेंगे. इसके साथ ही इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि वे अपनी खुद की पार्टी बनाएंगे. राजनीति में उनकी एंट्री (Prashant Kishor will enter politics) के संकेत के साथ ही बिहार के सियासी गलियारे में हलचल तेज हो गई है. तमाम दलों के नेताओं ने 'पीके' पर हमले शुरू कर दिए हैं.
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राजनीति में एंट्री लेंगे प्रशांत किशोर?: प्रशांत किशोर ने सोमवार को ट्वीट कर कहा, 'लोकतंत्र में एक सार्थक भागीदार बनने और जन-समर्थक नीति को आकार देने में मदद करने की मेरी खोज ने 10 साल के रोलरकोस्टर की सवारी का नेतृत्व किया. जैसे ही मैं पन्नों को पलटता हूं, पता चलता है कि अब मुद्दों और ''जन सुराज'' के मार्ग को बेहतर ढंग से समझने के लिए रियल मास्टर्स यानी जनता तक जाने का समय आ गया है. शुरुआत बिहार से होगी.'
नीतीश और अमित शाह पर स्थिति स्पष्ट करें पीके: राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता एजाज अहमद ने प्रशांत किशोर से पूछा है कि बिहार में जन-सुराज से पहले वह ये स्पष्ट करें कि उनका नीतीश कुमार और अमित शाह से कैसा संबंध रहा है? क्योंकि जब उन्हें जेडीयू से हटाया गया था, तब नीतीश कुमार ने कहा था कि हमने प्रशांत किशोर को जेडीयू में अमित शाह के कहने पर शामिल किया था. क्या अभी भी उनका और उनकी कंपनी का नीतीश कुमार के साथ वैसा ही संबंध है? जहां तक जन-सुराज की बात है, उन्हें पहले जनसरोकार के मुद्दे पर जनता के बीच जाना होगा.
"प्रशांत किशोर को स्पष्ट करना चाहिए कि उनका नीतीश कुमार और अमित शाह से कैसा संबंध रहा है? क्योंकि जब उन्हें जेडीयू से हटाया गया था, तब नीतीश कुमार ने कहा था कि हमने प्रशांत किशोर को जेडीयू में अमित शाह के कहने पर शामिल किया था. वैसे अभी तक उन्होंने सिर्फ सोशल मीडिया के माध्यम से अपने को स्थापित किया है, लेकिन जनता के बीच में वे खुद को कैसे पेश करेंगे, ये देखना होगा"- एजाज अहमद, प्रवक्ता, बिहार आरजेडी
बिहार की राजनीति पर असर नहीं पड़ेगा: वहीं, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के महासचिव दानिश रिजवान का कहना है कि पीके पार्टी बनाएं या कुछ करें लेकिन बिहार की राजनीति में उससे कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि आज अगर कोई युवा राजनीति में आना चाहते हैं, तो वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कारण प्रभावित हैं. प्रशांत किशोर चुनावी रणनीतिकार हैं कई पार्टी के चुनाव को लेकर उन्होंने रणनीति बनाई है और मुख्यमंत्री नीतीश के साथ भी काम किया है. वो अगर आज अपना पार्टी बना रहे है तो उनकी इस सोच का हम स्वागत करते हैं, अच्छी बात है कि वो पार्टी बनाकर युवाओं को अपनी पार्टी से जोड़े और युवाओं को राजनीति में लाएं.
"पीके पार्टी बनाएं या कुछ करें लेकिन बिहार की राजनीति में उससे कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. वह चुनावी रणनीतिकार हैं कई पार्टी के चुनाव को लेकर उन्होंने रणनीति बनाई है और मुख्यमंत्री नीतीश के साथ भी काम किया है. वो अगर आज अपना पार्टी बना रहे है तो उनकी इस सोच का हम स्वागत करते हैं, अच्छी बात है कि वो पार्टी बनाकर युवाओं को अपनी पार्टी से जोड़े और युवाओं को राजनीति में लाएं"- दानिश रिजवान, प्रधान महासचिव, हम पार्टी
पीके को जनता पहचानती तक नहीं: उधर, बीजेपी प्रवक्ता अरविंद कुमार सिंह ने साफ-साफ कहा है कि प्रशांत किशोर एक इवेंट मैनेजर हैं और कहीं ना कहीं वह लगातार कई पार्टियों के लिए रणनीति बना चुके हैं और इस दौरान उन्होंने मोटी रकम भी लिया है. उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर प्रशांत किशोर एक राजनेता नहीं बल्कि एक ऐसे बैंक मैनेजर हैं जो कि हमेशा पैसों के लिए काम करते हैं. बिहार की जनता उन्हें पहचानती तक नहीं है और कभी भी वह जनता के बीच नहीं गए हैं. ऐसी हालत में अगर प्रशांत किशोर कोई राजनीतिक पार्टी खड़ा करना चाहते हैं और जनता के बीच जाना चाहते हैं तो सबसे पहले उन्हें जनता की सेवा करनी होगी.
"प्रशांत किशोर एक राजनेता नहीं बल्कि एक ऐसे बैंक मैनेजर हैं जो कि हमेशा पैसों के लिए काम करते हैं. बिहार की जनता उन्हें पहचानती तक नहीं है और कभी भी वह जनता के बीच नहीं गए हैं. ऐसी हालत में अगर प्रशांत किशोर कोई राजनीतिक पार्टी खड़ा करना चाहते हैं और जनता के बीच जाना चाहते हैं तो सबसे पहले उन्हें जनता की सेवा करनी होगी"- अरविंद कुमार सिंह, प्रवक्ता, बिहार बीजेपी
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