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मोहन भागवत की राह पर RCP! कहा- 'आरक्षण मुद्दा नहीं'

'आरक्षण अब मुद्दा नहीं रहा' ये बयान देकर जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने बिहार की राजनीति में गर्माहट ला दी है. जितनी गर्मजोशी से आरसीपी का स्वागत हुआ उतनी ही गर्माहट के साथ आरसीपी सिंह ने आरक्षण पर ये बात कह दी. निश्चित तौर पर इसके मायने बहुत दिनों तक निकाले जाते रहेंगे. विपक्ष इसको मुद्दा बनाएगा तो बीजेपी को ये बयान राहत देने वाला है.

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Published : Aug 16, 2021, 10:20 PM IST

आरसीपी सिंह
मोहन भागवत की राह पर RCP

पटना: जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (RCP Singh) ने कहा है कि 'आरक्षण अब मुद्दा नहीं रहा'. 1980 के दशक में आरक्षण की जो स्थिति थी वह आज नहीं है. इस बयान के बाद ये कहा जाने लगा है कि RCP अब मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) की राह पर चलने लगे हैं.

ये भी पढ़ें- जातीय जनगणना पर बोले CM नीतीश- एक बार PM मोदी से मिलने का समय मिल जाए

साल 2015 में जब बिहार विधानसभा के चुनाव थे और नीतीश बीजेपी के खिलाफ चुनावी मैदान में थे तब RSS प्रमुख मोहन भागवत ने बिहार में कह दिया था कि आरक्षण की समीक्षा होनी चाहिए. इतना कहते ही विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाकर तूल दिया. हालात ये हो गए कि जो राजनीतिक जमीन बीजेपी ने बनाई थी वो सोशल इंजीनियरिंग के नाम पर भटक गई. लालू-नीतीश के गठबंधन ने 2015 के चुनाव में जीत दर्ज कर ली. लेकिन अब नीतीश की पार्टी के पूर्व अध्यक्ष RCP सिंह ही कह रहे हैं 'आरक्षण कोई मुद्दा नहीं'.

देखें रिपोर्ट.

'हमारा देश संविधान के अनुसार चलता है. जातीय जनगणना SC/ST के लिए होती है. क्योंकि उसी के अनुरूप संविधान में आरक्षण देने की योजना बनती है. आरक्षण आज उस तरह का मुद्दा नहीं है जो 70 के दशक में 80 के दशक में होता था. आज सब लोग मांग करते हैं कि डेटा चाहिए. किस बात के लिए डेटा चाहिए?'- RCP सिंह, केंद्रीय इस्पात मंत्री

ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि जब आरक्षण कोई मुद्दा नहीं है तो जातीय जनगणना की मांग को लेकर नीतीश कुमार लागातार प्रधानमंत्री से समय आने का इंतजार क्यों कर रहे हैं?

मामला बिल्कुल साफ है. नीतीश कुमार यह चाहते हैं कि जातीय जनगणना होनी चाहिए, ताकि दूसरी तमाम सहूलियत जातियों को दी जा सकें. जब आरक्षण जाति का मुद्दा रहा नहीं तो फिर जो सियासी विभेद खड़ा हुआ है उसमें आरक्षण की समीक्षा और आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर बिहार में उतर आया है.

यानी 2015 में जहां से मोहन भागवत ने इस मुद्दे को छोड़ा था 2021 में RCP ने इसे सम्यक तरीके से आगे बढ़ा दिया है. RCP सिंह के मुताबिक ये साफ है कि आरक्षण अब मजबूत मुद्दा नहीं है. ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि सीएम नीतीश कुमार जाति की जनगणना से किन चीजों को साधने की जरूरत देख रहे हैं?

बहरहाल आरक्षण का राग छेड़ करके एक बार फिर आरसीपी सिंह ने बिहार में नई समीक्षा को हवा दी है. अब चर्चा इस बात की है कि दिल्ली जाने के बाद आरसीपी का नजरिया बदला है या नए नजरिए की राजनीति में अब आरक्षण की चर्चा कालांतर में इसी रूप में होगी. बिहार की सियासत में इस मुद्दे पर भूचाल मचना तय है. विपक्ष तो इसे उठाएगा ही सीएम नीतीश को 'RCP के आरक्षण वाला मुद्दा' कितना हजम होता है ये देखने वाली बात होगी. एक बात और RCP के बयान से बीजेपी को आज जरूर ठंडक मिली होगी.

ये भी पढ़ें- RCP आए तो पूरे बिहार को पता चला लेकिन उपेन्द्र कुशवाहा को खबर तक नहीं!

पटना: जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (RCP Singh) ने कहा है कि 'आरक्षण अब मुद्दा नहीं रहा'. 1980 के दशक में आरक्षण की जो स्थिति थी वह आज नहीं है. इस बयान के बाद ये कहा जाने लगा है कि RCP अब मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) की राह पर चलने लगे हैं.

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साल 2015 में जब बिहार विधानसभा के चुनाव थे और नीतीश बीजेपी के खिलाफ चुनावी मैदान में थे तब RSS प्रमुख मोहन भागवत ने बिहार में कह दिया था कि आरक्षण की समीक्षा होनी चाहिए. इतना कहते ही विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाकर तूल दिया. हालात ये हो गए कि जो राजनीतिक जमीन बीजेपी ने बनाई थी वो सोशल इंजीनियरिंग के नाम पर भटक गई. लालू-नीतीश के गठबंधन ने 2015 के चुनाव में जीत दर्ज कर ली. लेकिन अब नीतीश की पार्टी के पूर्व अध्यक्ष RCP सिंह ही कह रहे हैं 'आरक्षण कोई मुद्दा नहीं'.

देखें रिपोर्ट.

'हमारा देश संविधान के अनुसार चलता है. जातीय जनगणना SC/ST के लिए होती है. क्योंकि उसी के अनुरूप संविधान में आरक्षण देने की योजना बनती है. आरक्षण आज उस तरह का मुद्दा नहीं है जो 70 के दशक में 80 के दशक में होता था. आज सब लोग मांग करते हैं कि डेटा चाहिए. किस बात के लिए डेटा चाहिए?'- RCP सिंह, केंद्रीय इस्पात मंत्री

ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि जब आरक्षण कोई मुद्दा नहीं है तो जातीय जनगणना की मांग को लेकर नीतीश कुमार लागातार प्रधानमंत्री से समय आने का इंतजार क्यों कर रहे हैं?

मामला बिल्कुल साफ है. नीतीश कुमार यह चाहते हैं कि जातीय जनगणना होनी चाहिए, ताकि दूसरी तमाम सहूलियत जातियों को दी जा सकें. जब आरक्षण जाति का मुद्दा रहा नहीं तो फिर जो सियासी विभेद खड़ा हुआ है उसमें आरक्षण की समीक्षा और आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर बिहार में उतर आया है.

यानी 2015 में जहां से मोहन भागवत ने इस मुद्दे को छोड़ा था 2021 में RCP ने इसे सम्यक तरीके से आगे बढ़ा दिया है. RCP सिंह के मुताबिक ये साफ है कि आरक्षण अब मजबूत मुद्दा नहीं है. ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि सीएम नीतीश कुमार जाति की जनगणना से किन चीजों को साधने की जरूरत देख रहे हैं?

बहरहाल आरक्षण का राग छेड़ करके एक बार फिर आरसीपी सिंह ने बिहार में नई समीक्षा को हवा दी है. अब चर्चा इस बात की है कि दिल्ली जाने के बाद आरसीपी का नजरिया बदला है या नए नजरिए की राजनीति में अब आरक्षण की चर्चा कालांतर में इसी रूप में होगी. बिहार की सियासत में इस मुद्दे पर भूचाल मचना तय है. विपक्ष तो इसे उठाएगा ही सीएम नीतीश को 'RCP के आरक्षण वाला मुद्दा' कितना हजम होता है ये देखने वाली बात होगी. एक बात और RCP के बयान से बीजेपी को आज जरूर ठंडक मिली होगी.

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