पटना: बिहार की राजनीति के सबसे बड़े दलित चेहरा रहे रामविलास पासवान ने 28 नवंबर 2000 को जनता दल से अलग होकर लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया था. आज इस पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न दोनों अस्तित्व में नहीं है. लेकिन, पार्टी का स्थापना दिवस मनाने की होड़ मची. लोजपा से अलग होकर अपनी-अपनी पार्टी बनाने वाले रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस और उनके पुत्र चिराग पासवन दोनों ने आज मंगलवार को लोजपा का स्थापना दिवस मनाने की घोषणा की है.
चिराग और पारस मना रहे हैं स्थापना दिवसः बता दें कि 8 अक्टूबर 2020 को रामविलास पासवान का निधन हो गया था. उनके निधन के एक साल बाद ही उनकी बनाई हुई पार्टी लोजपा दो हिस्सों में बंट गयी थी. लोक जनशक्ति पार्टी को चुनाव आयोग ने भले ही डिजॉल्व कर दिया है, लेकिन दोनों राजनीतिक दल राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) आज 28 नवंबर मंगलवार को लोजपा का 24वां स्थापना दिवस मना रहे हैं. पशुपति पारस रामविलास पासवान के गढ़ हाजीपुर में अपना दमखम दिखाने जा रहे हैं, तो चिराग पासवान पटना के बापू सभागार में कार्यक्रम करेंगे.
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28 नवंबर लोक जनशक्ति पार्टी के 24वें स्थापना दिवस के पूर्व संध्या पार्टी कार्यकर्ताओं के नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय श्री @iChiragPaswan जी का संदेश :- pic.twitter.com/GeZjnMDf2t
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चाचा-भतीजा के अपने-अपने दावेः इस संबंध में पशुपति पारस कहते हैं कि हाजीपुर उनके बड़े भाई की सीट रही है. और वही इसके वारिस हैं. वही चिराग पासवान, रामविलास पासवान के बेटे होने के नाते उनके पूरे राजनीतिक विरासत पर अपना अधिकार जमा रहे हैं. स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर सोमवार को चिराग पासवान ने सोशल मीडिया एक्स पर बिहार की जनता को संदेश भेजा था. उसमें लिखा था कि 'वह उस घर में दिया जलाने चले हैं जहां सदियों से अंधेरा है'. बहरहाल अब मंगलवार को देखना होगा कि किसके समारोह में अधिक कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटती है.
दो हिस्सों में बंट गयी थी लोजपाः राजनीतिक विरासत की लड़ाई में हस्तक्षेप करते हुए चुनाव आयोग ने पांच अक्टूबर 2021 को लोक जनशक्ति पार्टी के दोनों धड़ों को अलग-अलग पार्टी के रूप में मान्यता दे दिया था. चिराग पासवान वाले धड़े को लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का नाम दिया गया. इस दल का चुनाव चिह्न हेलिकॉप्टर है. वहीं चिराग के चाचा और रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस वाले धड़े को राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी का नाम दिया गया. इसको सिलाई मशीन चुनाव चिह्न दिया गया. इसके साथ ही रामविलास पासवान की पार्टी का पुराना नाम और चुनाव चिह्न खत्म कर दिया गया. इसके बाद भी दोनों धड़ा आज स्थापना दिवस मनाने जा रहे हैं.
मामला चुनाव आयोग तक पहुंचाः बता दें कि रामविलास पासवान के निधन के बाद चिराग और पशुपति पारस के राजनीतिक महत्वाकांक्षा टकराने लगे थे. इस बीच चिरान ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ने का फैसला किया. पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली. इसके बाद दोनों के बीच मतभेद गहरे होते चले गए. पशुपति कुमार पारस गुट ने चिराग को राष्ट्रीय अध्यक्ष और संसदीय दल के नेता के पद से हटा दिया. दोनों गुटों ने पार्टी पर दावा ठोका. जिसके बाद चुनाव ने दोनों को अलग-अलग नाम और सिंबल दिये.
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