पटना: बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के आवास पर आज ब्राह्मणों-पंडितों के लिए विशेष भोज का आयोजन (Brahmin Bhoj At Jitanram Manjhi Residence) किया जा रहा है. इस भोज में दलित और ब्राह्मण दोनों समुदाय के लोग भी शामिल होंगे. लेकिन बिहार के विभिन्न जिलों से ब्राह्मण संगठन के लोगों ने इस भोज में नहीं जाने का मन बनाया है. परशुराम सेवा संस्थान के अध्यक्ष आशुतोष कुमार झा (Parshuram Seva Sansthan President Ashutosh Kumar Jha) ने कहा है कि ब्राह्मण खरमास में चूड़ा-दही नहीं खाते है, तो फिर इस भोज में शरीक कौन होगा.
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परशुराम सेवा संस्थान के अध्यक्ष आशुतोष कुमार झा ने कहा कि जीतन राम मांझी जी ने ब्राह्मण को अपशब्द कहा है. मैं पूरे बिहार का दौरा किया हूं और पूरे बिहार में जो ब्राह्मण समाज के लोग हैं, वो मांझी जी के इस भोज के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि ब्राह्मण खरमास में चूड़ा-दही नहीं खाते हैं, तो फिर इस भोज में शरीक कौन होगा.
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उन्होंने कहा कि मांझी जी अपने बयान को लेकर सार्वजनिक मंच से माफी मांगने के बजाय राजनीति कर रहे हैं. भोज भी जो दिया उससे पहले शर्त रखा. उसे लेकर भी हमलोगों ने विरोध किया था. मांझी आखिर कौन होते हैं बताने वाले कि कौन ब्राह्मण हैं, जो सच्चा है. उन्हें अपने जुबान पर अभी भी लगाम नहीं है और पूरे बिहार के ब्राह्मण एकजुट होकर नहीं जाने की निर्णय लिया है. आशुतोष कुमार झा ने कहा कि हम जानते है कि इसमें भी राजनीति होगी. लेकिन सच्चाई यही है कि जो ब्राह्मण कुल के सच्चे पंडित हैं, वो इस भोज में किसी हालात में नहीं जाएंगे.
'हमारा स्पष्ट कहना है कि जो भी ब्राह्मण होंगे वे उनके भोज का बहिष्कार करेंगे. क्योंकि मांझी जी ने आमंत्रण ही पवित्र मन से नहीं किया है. उसमें वो खंड-खंड करना चाहते हैं. अभी भोज का कोई मतलब नहीं है क्योंकि अभी तो मकर संक्राति नहीं है. अभी तो खरमास चल रहा है. उनको ज्ञान ही नहीं है. अभी जो ब्राह्मण जाएंगे वो अपवित्र खाएंगे.' -आशुतोष कुमार झा, अध्यक्ष, परशुराम सेवा संस्थान
हम पार्टी के नेताओं के मुताबिक यह भोज दोपहर 12.30 से किया जाएगा. इसके लिए चूड़ा चनपटिया से मंगाया गया है. दही और गुड़ के साथ गया का तिलकुट भी है. वहीं भोज में बिना लहसुन और प्याज की सब्जी बनाई जाएगी. हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के नेताओं का कहना है कि हमलोगों की ओर से यह प्रयास है कि जिस बयान को लेकर बिना मतलब का विवाद हो रहा है उसे दूर किया जाए. जीतन राम मांझी की ओर से दलित और ब्राह्मण समाज को एकजुट रखने के लिए इस भोज का आयोजन किया गया है.
बता दें कि, मांझी ने कुछ दिन पहले एक कार्यक्रम में ब्राह्मण समाज के लोगों पर अमर्यादित टिप्पणी की थी, जिसके बाद से ही उनके बयान का विरोध हो रहा है. बाद में हालांकि मांझी ने माफी मांगते हुए कहा कि, वे ब्राह्मण के खिलाफ नहीं, ब्राह्मणवाद के खिलाफ है. उन्होंने कहा, 'हम अपने समाज के लिए '@#&^%$' शब्द का इस्तेमाल किया था. पंडित जी के लिए नहीं किया था. अगर इसमें कहीं गलतफहमी हो गई हो तो हम इसके लिए माफी चाहते हैं. लेकिन हम अपने समाज के लिए कहा था कि ऐसे आप लोग हो गए हैं कि अपने देवता को छोड़कर दूसरे का पूजा कराते हैं. उसमें भी शर्म आना चाहिए कि आपके यहां जो नहीं खाने वाले हैं, उनसे आपलोग पूजा कराते हैं.'
वहीं, जब मामला तूल पकड़ने लगा तो जीतन राम मांझी डैमेज कंट्रोल में जुट गये हैं. जिसके बाद उन्होंने ने ऐलान किया कि, 27 दिसम्बर को ब्राह्मण-पंडितों को भोज कराएंगें. बताया जा रहा है कि, मांझी ने वैसे ब्राह्मण-पंडित जिन्होंने कभी मांस-मदिरा का सेवन नहीं किया, चोरी-डकैती नहीं की है, उनको भोज का निमंत्रण दिया है. हालांकि ब्रह्मण संगठनों उनके भोज के शर्त को लेकर फिर नाराज हो गये हैं. आयोजन का बहिष्कार करने का ऐलान किया है.
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