पटना: प्रदेश में सोमवार से क्वारंटीन सेंटर बंद हो रहे हैं. बिहार सरकार ने इन्हें बंद करने का फैसला लिया है. प्रवासियों की कोरोना जांच और उन्हें क्वारंटीन करने को लेकर ये सेंटर खोले गए थे. कोराना महामारी को लेकर पुख्ता इलाज और दवा की खोज भले ही न हुई हो. लेकिन, अब सरकार इसको लेकर थोड़ी सी ढिलाई देने की तैयारी को अमली जामा पहनाने में जुट गयी है.
प्रवासी मजदूरों के आने से बढ़ी संक्रमितों की संख्या
बिहार में कोरोना को लेकर सरकारी सजगता काफी मजबूत रही. लॉकउाडन-1.0 में कोरोना के ज्यादा मामले सामने नहीं आए थे. सरकार ने इस बात को लेकर तैयारी कर रखी थी कि राज्य में कोरोना के ज्यादा मरीज न होने पाए. इसके लिए पुख्ता इंतजाम कर लिए जाएं. हालांकि, प्रवासी बिहारी मजदूरों के आने के बाद इस बात का खतरा बढ़ गया था कि मरीजों की संख्या बढ़ सकती है.
खोले गए थे 534 प्रखंड में 15 हजार से ज्यादा क्वारंटीन सेंटर
केन्द्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार जो भी लोग बाहर से आ रहे थे उनको 14 दिनों के क्वारंटीन सेंटर में रखने के बाद ही घर जाने की इजाजत थी. इसी के मद्देनजर बिहार के सभी प्रखंडों में क्वारंटीन सेंटर खोले गए थे. बिहार के 534 प्रखंड में 15 हजार से ज्यादा सेंटर खोले गए थे.
श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की संख्या में कमी
बिहार सरकार का यह निर्णय इस आधार पर भी लिया गया है कि राज्यों से आने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की संख्या भी अब कम हो गयी है. पहले रोजाना औसतन 100 ट्रेनें बिहार आती थी. अब ट्रेनों की संख्या 10 से 15 पर आ सिमटी है. हालांकि बिहार में कोरोना मरीजों के ठीक होने वालों की संख्या बढ़ी है. लेकिन इसके मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है
अब भी सजग रहने की जरूरत
बिहार सरकार क्वारंटीन सेंटर भले ही बंद कर रही है. लेकिन, उसके बाद भी सभी को सजग रहने की जरूरत है. साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कोरोना से बचाव के दूसरे मानकों का पालन भी करना है.