पटना: रविवार को लोक शिक्षकों ने बीजेपी कार्यालय का घेराव किया. गुस्साए शिक्षकों ने सरकार और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की. शिक्षकों का कहना है कि साल 2006 में उन्हें नौकरी से हटा दिया गया. जिसके बाद वे लोग दर-दर भटक रहे हैं. सरकार को उनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए.
दरअसल, साल 2003 में लोक शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी. उस समय उन्हें 1000 रुपये मिलते थे. फिर साल 2006 में उनका पद निरस्त कर दिया गया. शिक्षामित्रों को तो नौकरी दे दी गई. लेकिन, लोक शिक्षकों के बारे में किसी ने नहीं सोचा. सालों तक चुप बैठे तकरीबन 15 हजार शिक्षक रविवार को उग्र हो गए.
'सत्ता में है बीजेपी तो समाधान होगा'
धरने पर बैठे लोक शिक्षकों का कहना है कि बीजेपी सत्ता में है इसलिए वे बड़ी उम्मीद से बीजेपी कार्यालय पहुंचे हैं. प्रदर्शन में शामिल कई महिलाएं रोती-बिलखती नजर आईं. उनका कहना है कि कोई उनकी फरियाद नहीं सुन रहा है. उम्र बीतती जा रही है और वे बेरोजगार हैं. 2003 से 2006 तक उनसे काम लिया गया और अचानक हटा दिया गया.
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बता दें कि लोक शिक्षक पिछले कई दिनों से गर्दनीबाग में धरना प्रदर्शन भी कर रहे हैं. रविवार को अचानक वे बीजेपी कार्यालय पहुंचे और घंटों धरने पर बैठे रहे. वहीं, कई शिक्षक दोबारा बहाली नहीं मिलने पर बीजेपी कार्यालय में ही जान देने की बात करते नजर आए.