पटना: प्रदेश में इसी साल विधानसभा चुनाव होने के कयास लगाए जा रहे हैं. चुनाव आयोग अपने स्तर से तैयारियां कर रहा है. वहीं, कई पार्टियां इस पक्ष में नहीं हैं कि कोरोना काल में चुनाव हो. ऐसे में लोकतंत्र की राय जाननी भी जरूरी हो जाती है. लिहाजा, ईटीवी भारत ने पटनाइट्स से बात की.
बिहार में कोरोना संक्रमण तेजी से फैला है. हर रोज तकरीबन 3 हजार संक्रमित मरीजों की पुष्टि हो रही है. ऐसे में लोगों का कहना है कि कोरोना काल में चुनाव नहीं होने चाहिए. लोगों का ये भी कहना है कि अगर, इलेक्शन कमीशन चुनाव कराने का निर्णय लेता है, तो ऐसे में उनके लिए रोजगार, शिक्षा का स्तर और बेहतर कानून व्यवस्था प्रमुख मुद्दे होंगे और वो अपने मताधिकार का प्रयोग जरूर करेंगे.
लोगों ने यह भी कहा कि तमाम मुद्दों के बावजूद चुनाव में कब और किस दिशा में हवा बह चले, यह कुछ कहा नहीं जा सकता. महिलाओं, बुजुर्गों और युवाओं की नजर में क्या है? राजनीतिक दलों के लिए प्रमुख मुद्दे और कौन सी पार्टी इस बार सत्ता में आएगी. इसको लेकर भी ईटीवी भारत ने जनता जनार्दन से सवाल जवाब किया.
स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार पर मतदान
शहर के कारगिल चौक से गुजर रहे युवक कौशल कुमार ने बताया कि वह चाहते हैं कि आगामी चुनाव में राजनीतिक दल इस बार रोजगार का मुद्दा प्रमुखता से उठाएं क्योंकि राज्य में बेरोजगारी बहुत ज्यादा है.
अशोक राजपथ से गुजर रहे युवक अभिषेक कुमार ने बताया कि चुनाव का प्रमुख मुद्दा विकास होना चाहिए. जो भी जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र में आर्थिक गतिविधि बढ़ाएगा. वो उसे ही चुनेंगे. उन्होंने कहा कि चुनाव में राज्य में शिक्षा के स्तर पर भी चर्चा होनी चाहिए क्योंकि यहां शिक्षा व्यवस्था काफी लचर है. उन्होंने कहा कि प्रवासी बिहारी जो वापस कोरोना काल में अपने प्रदेश लौटे हैं. उनके लिए रोजगार मुहैया कराना भी चुनाव में प्रमुख मुद्दा रहेगा. वर्तमान सरकार प्रवासियों को रोजगार देने में विफल रही है.
सत्ता-सिंहासन किसके पास?
इस सवाल के जवाब में अभिषेक ने कहा कि राज्य में ऑप्शन के रूप में कोई राजनीतिक दल नजर नहीं आता है. इस कारण उम्मीद है कि नीतीश कुमार फिर से सत्ता हासिल कर लें. उन्होंने कहा कि जो लोग राजद का शासनकाल देखे हैं, वह दोबारा से जंगलराज की उस स्थिति में नहीं जाना चाहते हैं. सरकारी कर्मचारी सत्येंद्र कुमार सिंह ने कहा कि इस बार की विधानसभा चुनाव में प्रवासी बिहारियों के लिए रोजगार प्रमुख मुद्दा रहेगा. इसके साथ ही कोरोना संक्रमण से निपटने में सरकार की जो कुछ विफलता रही है. वह भी एक प्रमुख मुद्दा होगा.
चुनाव होते हैं, तो कौन सी पार्टी सत्ता में आएगी इस पर सत्येंद्र कुमार सिंह ने भी यही बात कही की राज्य में ऑप्शन की कमी है. लोग जंगलराज नहीं लाना चाहते. भले राज्य में रोजगार की कमी क्यों ना हो. लोग शांति से रहना चाहते हैं. सत्येंद्र कुमार ने कहा कि भाजपा की छवि नीतीश कुमार के होने के कारण खराब हो रही है क्योंकि क्षत्रिय समाज आनंद मोहन के कारण नीतीश से नाराज है और क्षत्रिय समाज कभी राजद के साथ भी नहीं जाएगा.
'पॉलिटिकल प्रॉमिस भी बदल सकते हैं तस्वीर'
शहर के डाकबंगला चौराहे से गुजर रही निजी कंपनी में काम करने वाली युवती अंजू कुमारी ने कहा कि राजनीतिक दलों को जनता की जरूरतों को मुद्दे के रूप में लाना चाहिए. जो राजनीतिक दल उनकी मूलभूत जरूरतों को पूरा करने का वादा करेंगे, उन्हें वह वोट देंगी. उन्होंने कहा कि उनकी नजर में दो प्रमुख मुद्दे हैं, पहला छात्रों को डिग्री प्राप्त करने के बाद रोजगार उपलब्ध होने चाहिए और दूसरा राज्य में शिक्षा का स्तर बढ़ना चाहिए.
युवा चेहरे पर जताया जाएगा भरोसा
पटना जंक्शन के पास ई-रिक्शा चलाने वाले राजकुमार ने बताया कि नीतीश कुमार के शासनकाल में 15 वर्षों में सिर्फ रोड का विकास हुआ है और कुछ विकास नहीं हुआ है. कल कारखाने जो बंद थे. उन्हें शुरू नहीं किया गया. ना ही कोई नए उद्योग स्थापित किए गए. उन्होंने कहा कि रोज कमाने खाने वालों की हालत और खराब हुई है.
राजकुमार ने बताया कि वह पहले ऑटो चलाते थे और इस दौरान उन्हें 60 रुपये प्रति दिन टैक्स देना पड़ता था. उन्होंने कहा कि जो सरकार उनका 60 रुपया माफ नहीं कर सकती है. ऐसी सरकार को वह नहीं चुनेंगे और आगामी चुनाव में वह युवा चेहरे को चुनेंगे. राजद की ओर इशारा करते हुए राजकुमार ने कहा कि गलती सभी से होती है और जिस इंसान से गलती हुई है. वह सजा भोग रहा है, ऐसे में एक बार युवा चेहरे को मौका देना चाहिए.
सुधरी है प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था- महबूब
शहर के बुद्धा पार्क के बाहर बैठे वृद्ध महबूब आलम ने कहा कि अगर चुनाव होते हैं, तो वह जरूर वोट डालेंगे. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार के क्रियाकलापों पर जनता वोट देती है और उनकी समझ से राज्य में भाजपा-जदयू की सरकार अच्छा काम कर रही है. उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार ने काम किया है, इसमें कोई शक नहीं है. सरकार की कुछ खामियां जरूर रही है जैसे कि राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का स्तर कम हुआ है क्योंकि सरकारी स्कूलों में कई ऐसे शिक्षक हैं जिन्हें पढ़ने का हुनर नहीं पता.
महबूब की मानें, तो मैट्रिक और इंटर के रिजल्ट में काफी सुधार हुआ है. महबूब आलम ने कहा कि आगामी चुनाव में सरकार विकास के मुद्दे को लेकर उतरेगी और शिक्षा में सुधार के मुद्दे को लेकर उतरेगी, सरकार ने जो छात्र छात्राओं को छात्रवृत्ति देनी शुरू की है उसको भी जनता के बीच ले जाएगी. गांव पंचायत में हर घर नल जल योजना से लोगों को काफी सबसे बढ़ी हैं और यह मुद्दा भी चुनाव में रहेगा. महबूब आलम ने कहा कि वर्तमान सरकार को फिर से सत्ता में आने के लिए कोई संकट नजर नहीं आता दिख रहा मगर चुनाव में हवा, कब और किस दिशा में बह चले यह कहा नहीं जा सकता.
पटना का जलजमाव और बिहार की बाढ़
यहीं पास बैठे एक और शख्स मुरारी कुमार ने कहा कि उनकी समझ से अभी के समय राज्य में चुनाव नहीं होने चाहिए. हालांकि, फिर भी अगर चुनाव होते हैं तो विकास का मुद्दा होना चाहिए और लोगों को जात-पात से ऊपर उठकर वोट करना चाहिए. उन्होंने कहा कि पिछले साल बरसात में राजेंद्र नगर में जिस प्रकार जलजमाव हो गया. इस बात को लेकर नीतीश कुमार से लोग काफी नाराज हैं. उन्होंने कहा कि उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी बीच मझधार में लोगों को छोड़ खुद निकल गए. यह लोगों के जेहन में अब तक है और इसका असर चुनाव में देखने को मिलेगा.
मुरारी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कुर्सी से प्यार हो गया है और उन्हें आम लोगों से कोई वास्ता अब नहीं रहा है. उन्होंने कहा कि सिर्फ रोड और मकान बनाने से विकास नहीं होता है. शहर में कई ऐसे नाले हैं, जो पिछले 5 साल में तीन बार बनाए गए हैं और तोड़े गए हैं. उस नाले के पानी का निकासी का कोई व्यवस्था नहीं हो पायी है. उन्होंने कहा कि प्रवासी बिहारियों को बुलाने वक्त शुरू में नीतीश कुमार ने जो हाथ खड़ा कर दिया. उस बात को लेकर भी नाराजगी है और नीतीश कुमार फिर से सत्ता में वापस आए इस बात पर उन्हें संकट नजर आ रहा है. राज्य में पिछले 15 वर्षों में बंद पड़े उद्योग शुरू नहीं हो पाए और नए उद्योग भी स्थापित नहीं हुए यह भी एक बड़ा मुद्दा रहेगा.
नीतीश कुमार पर विश्वास कम जता रहे यूथ!
फ्रेजर रोड से गुजर रही युवती वर्षा झा ने कहा कि वह चुनाव में विकास, रोजगार और शिक्षा को प्रमुख मुद्दा मानती हैं. उन्होंने कहा कि पटना राज्य की राजधानी है और यहां हल्की सी बरसात में जगह-जगह जल जमाव हो जाता है. विकास के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है. उन्होंने कहा कि उनकी समझ से नीतीश कुमार इस बार फिर से सत्ता नहीं दोहरा पाएंगे.
कुल मिलाकर, पटना की जनता मुद्दों के साथ वोटिंग करने के मूड में है. सत्तासीन वर्तमान सरकार पर कुछ लोगों ने विश्वास सिर्फ इसलिए जताया है क्योंकि उनके सामने अन्य कोई विकल्प नहीं है और वे इस बात से भी गुरेज नहीं करते कि सरकार से गलतियां नहीं हुईं हैं. वहीं, कई लोगों ने युवा चेहरे पर भरोसा जताने की बात कही है. पटनाइट्स ने साफ कर दिया है कि इस बार स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के साथ विकास की बात करने वालों पर भरोसा किया जाएगा.