पटना: राजधानी स्थित पटना विश्वविद्यालय कैंपस में डॉल्फिन रिसर्च सेंटर बनना था. इसको लेकर साल 2015 में केंद्र सरकार की तरफ से अनुमति भी मिल गई थी. बावजूद इसके अभी तक डॉल्फिन रिसर्च सेंटर बनने का काम शुरू नहीं हुआ है. डॉल्फिन रिसर्च सेंटर को लेकर विश्वविद्यालय प्रबंधन को कई आपत्तियां हैं. विश्वविद्यालय प्रबंधन रिसर्च सेंटर के भवन पर अपना स्वामित्व चाहता है. वहीं, सरकार इसे यूनिवर्सिटी कैंपस में एक ऑटोनॉमस बॉडी के रूप में विकसित करना चाहती है.
पटना विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार कर्नल मनोज मिश्रा ने बताया कि डॉल्फिन रिसर्च सेंटर का प्रपोजल पटना यूनिवर्सिटी में 2015 में आया था. उस प्रपोजल को पटना यूनिवर्सिटी के सिंडीकेट ने रिजेक्ट किया था. उन्होंने कहा कि सिंडिकेट ने प्रपोजल को इसलिए रिजेक्ट किया था क्योंकि उसके बहुत सारे प्रावधान पटना विश्वविद्यालय के हित में नहीं थे. डॉल्फिन रिसर्च सेंटर का एक सोसाइटी के अंदर रजिस्टर्ड होना था. पटना विश्वविद्यालय के कुलपति उसमें सिर्फ एक मेंबर के तौर पर काम करते, पटना विश्वविद्यालय का स्वामित्व उस पर नहीं था और विश्वविद्यालय से जमीन भी उसे ट्रांसफर होनी थी. उन्होंने बताया कि उस वक्त सिंडिकेट ने इन्हीं सब मुद्दों के मद्देनजर कड़े विरोध के साथ इस प्रपोजल को अस्वीकार किया था.
प्रपोजल में हुए कई संसोधन
रजिस्ट्रार मनोज मिश्रा ने बताया कि साल 2017 में सरकार ने डॉल्फिन रिसर्च सेंटर के प्रपोजल में कई संशोधन किए और उसके बाद फिर प्रपोजल भेजा. जिसे उस वक्त पटना विश्वविद्यालय के सिंडिकेट ने स्वीकार भी किया. उन्होंने बताया कि इन संशोधनों में सबसे महत्वपूर्ण संशोधन यात्रा की यूनिवर्सिटी कैंपस में बनने वाले डॉल्फिन रिसर्च सेंटर के भवन का स्वामित्व पटना यूनिवर्सिटी के पास ही था. रिसर्च सेंटर के लिए जमीन भी हस्तांतरित नहीं करना था और यूनिवर्सिटी के कुलपति को रिसर्च सेंटर का कार्यकारी अध्यक्ष होना था. इस प्रपोजल के अनुसार डॉल्फिन रिसर्च सेंटर का कंट्रोल विश्वविद्यालय प्रबंधन के अंदर था. मगर हाल के दिनों में एक बार फिर से रिसर्च सेंटर के लिए नया प्रपोजल सरकार ने भेजा है. यह प्रपोजल 2015 जैसा ही है. उन्होंने बताया कि इसी बात को लेकर रिसर्च सेंटर के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन की असहमति है.
पीयू के पास को डॉल्फिन रिसर्च सेंटर का कंट्रोल
मनोज मिश्रा ने बताया कि नए प्रपोजल में पटना विश्वविद्यालय के कुलपति को रिसर्च सेंटर का कार्यकारी अध्यक्ष नहीं रखा गया है. इससे यूनिवर्सिटी की परेशानियां काफी बढ़ सकती हैं. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रबंधन चाहता था कि विश्वविद्यालय कैंपस में जैसे बाकी संस्थान चल रहे हैं, जैसे पापुलेशन रिसर्च सेंटर, यूजीसी एकेडमिक कॉलेज, विमेन एजुकेशन रिसर्च सेंटर और अन्य जो भी संस्थान हैं. उसी प्रकार यह भी संस्थान हो. उन्होंने कहा कि यह जितने भी संस्था ने किसी थर्ड एजेंसी की ओर से पटना विश्वविद्यालय में स्थापित है. लेकिन उसका पूरा कंट्रोल पटना यूनिवर्सिटी के पास है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रबंधन यह नहीं चाहता कि उसके परिसर में ऐसी संस्था हो जिसका कंट्रोल उसके पास ना हो. वह ऑटोनॉमस हो. उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर बहुत सारे एडमिनिस्ट्रेटिव प्रॉब्लम होने शुरू हो जाएंगे. जोकि विश्वविद्यालय के हित में नहीं होगा. रजिस्ट्रार ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रबंधन चाहता है कि डॉल्फिन रिसर्च सेंटर जिसे पटना विश्वविद्यालय कैंपस में बनना है, वह इसी शर्त पर बनेगा जब इसके भवन और जमीन का स्वामित्व पटना विश्वविद्यालय के पास रहे और पटना विश्वविद्यालय के कुलपति इसके कार्यकारी अध्यक्ष हों.