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VIDEO : चारे के लिए मवेशियों की पूंछ पकड़कर नदी पार करते हैं पशुपालक - कोरोना संक्रमण का पशुपालकों पर असर

मवेशी पालक अपने मवेशियों के चारा के लिए प्रतिदिन पशुओं की पूंछ के सहारे लगभग 45 मिनट तक गंगा नदी में मौत का सामना करते हैं. जान जोखिम में डालने वाले पशुपालकों की संख्या एक या दो नहीं बल्कि लगभग 500 के करीब है. जो चारा की खोज में मवेशियों के साथ गंगा पार जाते हैं और शाम होने से पहले अपने अपने पशुओं को लेकर घर लौटते हैं.

पटना
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Published : Aug 27, 2020, 8:03 PM IST

पटना: जिले में कोरोना संक्रमण का लोगों पर काफी प्रभाव पड़ा है. स्थिति इतनी दयनीय है कि दानापुर कैंट स्थित कचहरी घाट से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में पशुपालक मवेशियों की पूंछ पकड़कर गंगा नदी पार करने को विवश हैं. जानकारी के मुताबिक प्रतिदिन गाय-भैंस के सहारे गंगा नदी के तेज धार में पशुपालक मवेशियों की पूंछ पकडकर या उस सवार होकर चारा की तलाश में जाते हैं.

पटना
गंगा में मवेशी और पशुपालक

बता दें कि मवेशी पालक अपने मवेशियों के चारा के लिए प्रतिदिन पशुओं की पूंछ के सहारे लगभग 45 मिनट तक गंगा नदी में मौत का सामना करते हैं. जान जोखिम में डालने वाले पशुपालकों की संख्या एक या दो नहीं बल्कि लगभग 500 के करीब है. जो चारा की खोज में मवेशियों के साथ गंगा पार जाते हैं और शाम होने से पहले अपने अपने पशुओं को लेकर घर लौटते हैं.

पटना
मवेशियों के सहारे नदी पार करते पशुपालक

जान जोखिम में डालने को मजबूर पशुपालक
मवेशियों के चारा के जुगाड़ में उसी के पूंछ के सहारे गंगा की घार में तीन किलोमीटर की दूरी तय करने वाले मवेशी पालकों का कहना है कि हम लोग यह जोखिम पशुओं के चारा के लिए उठातें हैं. यह हमारा रोज का दिनचर्या है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

कोरोना संक्रमण ने बढ़ाई मुश्किल
कोरोना संक्रमण का कहर और लॉकडाउन की वजह से आसमान छू रहे पशु चारा की कीमत की वजह से पशुपालक अपने पशुओं को लेकर प्रतिदिन गंगा नदी पार चराकर फिर शाम को वापस अपने घर आ जाते हैं.

पटना
शशि यादव पशुपालक

पटना: जिले में कोरोना संक्रमण का लोगों पर काफी प्रभाव पड़ा है. स्थिति इतनी दयनीय है कि दानापुर कैंट स्थित कचहरी घाट से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में पशुपालक मवेशियों की पूंछ पकड़कर गंगा नदी पार करने को विवश हैं. जानकारी के मुताबिक प्रतिदिन गाय-भैंस के सहारे गंगा नदी के तेज धार में पशुपालक मवेशियों की पूंछ पकडकर या उस सवार होकर चारा की तलाश में जाते हैं.

पटना
गंगा में मवेशी और पशुपालक

बता दें कि मवेशी पालक अपने मवेशियों के चारा के लिए प्रतिदिन पशुओं की पूंछ के सहारे लगभग 45 मिनट तक गंगा नदी में मौत का सामना करते हैं. जान जोखिम में डालने वाले पशुपालकों की संख्या एक या दो नहीं बल्कि लगभग 500 के करीब है. जो चारा की खोज में मवेशियों के साथ गंगा पार जाते हैं और शाम होने से पहले अपने अपने पशुओं को लेकर घर लौटते हैं.

पटना
मवेशियों के सहारे नदी पार करते पशुपालक

जान जोखिम में डालने को मजबूर पशुपालक
मवेशियों के चारा के जुगाड़ में उसी के पूंछ के सहारे गंगा की घार में तीन किलोमीटर की दूरी तय करने वाले मवेशी पालकों का कहना है कि हम लोग यह जोखिम पशुओं के चारा के लिए उठातें हैं. यह हमारा रोज का दिनचर्या है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

कोरोना संक्रमण ने बढ़ाई मुश्किल
कोरोना संक्रमण का कहर और लॉकडाउन की वजह से आसमान छू रहे पशु चारा की कीमत की वजह से पशुपालक अपने पशुओं को लेकर प्रतिदिन गंगा नदी पार चराकर फिर शाम को वापस अपने घर आ जाते हैं.

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शशि यादव पशुपालक
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