पटना: 2020 से ही उद्योग जगत को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. लोगों को उम्मीद थी कि 2021 में सब ठीक हो जाएगा. इस उम्मीद पर कोरोना की दूसरी लहर ने पानी फेर दिया है. एक बार फिर से देश के साथ ही बिहार भी उसी मोड़ पर आ कर खड़ा हो गया, जहां पर लोगों की समस्याओं और उससे उठ रहे सवालों का जवाब देना मुश्किल हो गया है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी लोगों से अपील कर चुके हैं कि अगर शादी-ब्याह टाल सकते हैं तो टाल दीजिए. मगर इसका खामियाजा प्रिंटिंग प्रेस के कारोबार से जुड़े लोगों को उठाना पड़ रहा है. इन लोगों को लॉकडाउन में भी दुकान का किराया, बिजली का बिल और कर्मचारियों को तनख्वाह देनी पड़ रही है.
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ऑर्डर में आई गिरावट
प्रिंटिंग एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें काफी संख्या में लोगों को रोजगार मिलता है. वर्तमान की परिस्थिति और इस शादी के मौसम में संक्रमण की इस दूसरी लहर ने प्रिंटिंग उद्योग को काफी प्रभावित किया है. लॉकडाउन के कारण आज 200 से 300 कार्ड भी प्रिंटिंग के लिए नहीं आ रहे हैं. पहले 1200 से 1500 रोजाना की कमाई होती थी. और आज हालात ऐसे हैं कि मुश्किल से दो से तीन सौ रुपये ही निकल रहे हैं.
प्रिंटिंग प्रेस को हो रहा नुकसान
लॉकडाउन लगने के साथ ही स्कूल-कॉलेज, शिक्षण संस्थान बंद हैं. शादी ब्याह में आने वाली कमी के कारण प्रिंटिंग प्रेस से जुड़े लोग काफी प्रभावित हुए हैं. प्रिंटिंग से जुड़े लोगों का कहना है कि जब तक लॉकडाउन का प्रभाव रहेगा, तब तक उनके उद्योग में तेजी आने के आसार नहीं दिख रहे हैं.
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पटना की सैकड़ों प्रिंटिंग प्रेस बंद
पटना के लंगर टोली इलाके में प्रिंटिंग के कारोबार से जुड़ी सैकड़ों दुकानें हैं. लॉकडाउन के कारण इन दुकानों का कारोबारी फिलहाल बंद ही रखा जा रहा है. सुबह में कुछ समय के लिए दुकान खोल कारोबारी इस शादी-ब्याह के सीजन में अपने जीवन यापन और परिवार चलाने के लिए थोड़े बहुत आर्डर लेकर गुजारा करते नजर आ रहे हैं.
'पहले हजार रुपये तक की कमाई हो जाती थी, लेकिन आज एक रुपये की भी आमदनी नहीं है. ऊपर से दुकान का किराया भी चुकाना है. चार हजार का बिजली बिल भी चुकाना है. मैं सरकार से क्या अनुरोध करूं. क्या सरकार बिजली बिल छोड़ देगी. पुलिस आती है और दुकान बंद करा देती है. दुकान खोलने के कारण मार भी पड़ जाती है.'- मोहम्मद शाहनवाज कुरैशी, प्रिंटिंग प्रेस व्यवसायी
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कर्मचारियों को सैलरी देने में मुश्किल
लॉकडाउन के कारण दुकानें बंद हैं, लेकिन दुकानों पर मौजूद कर्मचारियों की सैलरी देने में व्यवसायियों के पसीने छूटते नजर आ रहे हैं. इस उद्योग से जुड़े व्यवसायी कहते हैं कि जहां पहले रोजाना हजारों रुपए की कमाई होती थी. अब वह कमाई सैकड़ों में बदल गई है.
'स्थिति बहुत खराब है. सुबह 7 बजे से 11 बजे तक ही दुकान खोलना है. जिसके कारण काम ही नहीं आ पा रहा है.पहले के मुकाबले अब कमाई बहुत कम हो गई है.'- विक्की, प्रिंटिंग प्रेस व्यवसायी
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काम हुआ कम
सुबह 7:00 से 11:00 बजे तक दुकान खोलने के कारण इस व्यवसायी को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है. कम समय के कारण बमुश्किल एक या दो प्रिंटिंग के आर्डर ही मिल पाते हैं. उसके बाद दुकानें बंद करनी पड़ रही है.
ईद उल फितर का रंग हुआ फीका
मोहम्मद शाहनवाज कहते हैं 'ईद उल फितर का त्योहार है और इस लॉकडाउन के कारण इस त्यौहार को भी ठीक ढंग से नहीं मना पाएंगे. लॉकडाउन के कारण उद्योग पूरी तरह से चौपट हो गया है. हालात यह है कि दुकान के बिजली का बिल और कर्मचारियों को उनकी सैलरी देने के लिए दोस्तों से उधार लेना पड़ रहा है.'
नुकसान उठा रहे प्रिंटिंग प्रेस से जुड़े कारोबारी अब सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
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